Kailash Parvat mystery
Kailash Parvat mystery

Overview: कैलाश पर्वत — आस्था, विज्ञान और रहस्य का अद्भुत संगम

माउंट कैलाश सिर्फ एक पर्वत नहीं, बल्कि आस्था, रहस्य और वैज्ञानिक अन्वेषणों का संगम है। यह वह स्थान है जहाँ धर्म, भूगोल और चेतना एक-दूसरे से मिलते हैं। इसकी अनछुई चोटी और रहस्यमयी ऊर्जा इसे ब्रह्मांड का केंद्र बनाने के दावे को और अधिक गहराई देती है।

Mount of Kailash Mystery: हिमालय की गोद में बसा माउंट कैलाश न सिर्फ आध्यात्मिक आस्था का प्रतीक है, बल्कि इसे ब्रह्मांड का केंद्र भी माना जाता है। हिंदू, बौद्ध, जैन और बोन धर्मों के लिए यह पर्वत अत्यंत पवित्र है। लेकिन सिर्फ धार्मिक दृष्टिकोण से ही नहीं, वैज्ञानिक और भूगोलिक तथ्यों के आधार पर भी इसकी स्थिति असाधारण मानी गई है। आखिर ऐसा क्या है इस पर्वत में जो इसे ब्रह्मांड का केंद्र कहा जाता है? आइए, जानें विस्तार से।

चार प्रमुख धर्मों का आध्यात्मिक केंद्र

हिंदू मान्यता में माउंट कैलाश भगवान शिव का निवास है। बौद्ध धर्म में इसे ‘कंग रिनपोचे’ यानी रत्नों से सुशोभित पर्वत कहते हैं। जैन धर्म में यही वह स्थान है जहाँ प्रथम तीर्थंकर ऋषभदेव ने मोक्ष प्राप्त किया था। तिब्बती बोन धर्म भी इसे ब्रह्मांड का केंद्र मानता है। इतनी विविध धार्मिक मान्यताओं का एक ही स्थान से जुड़ना इसे अद्वितीय बनाता है।

ब्रह्मांडीय ऊर्जा का केंद्रबिंदु

कई साधक और योगी मानते हैं कि माउंट कैलाश से विशेष प्रकार की ऊर्जा निकलती है। कहा जाता है कि यह ऊर्जा शरीर, मन और आत्मा को संतुलित करने की शक्ति रखती है। कुछ का मानना है कि यहां ध्यान करने से आध्यात्मिक स्तर पर तेज़ उन्नति होती है।

रहस्यमयी भौगोलिक स्थिति

माउंट कैलाश जिस स्थान पर स्थित है, उसे अक्षांश और देशांश के अनुसार पृथ्वी का अक्षीय केंद्र माना जाता है। वैज्ञानिक भी इसकी स्थिति को अत्यंत संतुलित और विशिष्ट मानते हैं। यह पर्वत दुनिया के अन्य तीर्थ स्थलों से लगभग समान दूरी पर स्थित है — एक ऐसा तथ्य जो इसे ‘जियोमैट्रिक सेंटर’ साबित करता है।

मानव चढ़ाई से परे पर्वत

अब तक कोई भी पर्वतारोही माउंट कैलाश की चोटी पर नहीं पहुँच पाया है। चीन सरकार ने इस पर्वत पर चढ़ाई पर रोक लगा रखी है, लेकिन कई पर्वतारोही स्वयं पीछे हट चुके हैं। कुछ ने अनुभव साझा किए हैं कि जैसे किसी अदृश्य शक्ति ने उन्हें ऊपर जाने से रोका। यह रहस्य इसे और भी अलौकिक बनाता है।

मानसरोवर और राक्षसताल

कैलाश पर्वत के पास स्थित दो झीलें — मानसरोवर (शांत, पवित्र) और राक्षसताल (उग्र, खारा) — जीवन के दो पहलुओं का प्रतीक मानी जाती हैं। इनका ऐसा संतुलन दर्शाता है कि कैलाश केवल भौगोलिक नहीं, बल्कि दार्शनिक और ब्रह्मांडीय द्वैत का केंद्र भी है।

वैज्ञानिक दृष्टिकोण और ऊर्जा क्षेत्र

कुछ वैज्ञानिक मानते हैं कि कैलाश के आसपास का चुंबकीय क्षेत्र बहुत शक्तिशाली है, जिससे घड़ियाँ और इलेक्ट्रॉनिक डिवाइस काम करना बंद कर देते हैं। सैटेलाइट इमेज भी यहां के टॉपोग्राफ़ी में अजीब असमानता दिखाते हैं, जो सामान्य भौगोलिक नियमों से मेल नहीं खाती।

कैलाश को ‘मेरु पर्वत’ क्यों कहा गया

प्राचीन ग्रंथों में कैलाश को ‘मेरु पर्वत’ या ‘ध्रुव’ कहा गया है, जो सृष्टि का केंद्र और देवताओं का निवास स्थान माना गया है। वेदों और पुराणों में इसका वर्णन एक ऐसे स्तंभ के रूप में है जो स्वर्ग, पृथ्वी और पाताल — तीनों लोकों को जोड़ता है।

मेरा नाम वंदना है, पिछले छह वर्षों से हिंदी कंटेंट राइटिंग में सक्रिय हूं। डिजिटल मीडिया में महिला स्वास्थ्य, पारिवारिक जीवन, बच्चों की परवरिश और सामाजिक मुद्दों पर लेखन का अनुभव है। वर्तमान में गृहलक्ष्मी टीम का हिस्सा हूं और नियमित...