Overview: शास्त्रों में वर्णित है कैलाश का अद्भुत गौरव
कैलाश पर्वत 6638 मीटर ऊंचा एक पवित्र और रहस्यमय स्थल है, जिसे हिंदू, बौद्ध, जैन और तिब्बती बोन धर्मों में अत्यंत पूज्य माना जाता है। आज तक कोई भी व्यक्ति इसकी चोटी तक नहीं पहुंच पाया है। आइए जानते हैं इस पर्वत के अनसुलझे रहस्यों के बारे में..
Kailash Parvat Mystery: कैलाश पर्वत सिर्फ एक पर्वत नहीं, बल्कि आध्यात्मिकता, रहस्य और धार्मिक विश्वासों का ऐसा संगम है, जो न केवल हिंदू धर्म बल्कि बौद्ध, जैन और तिब्बती बोन परंपरा में भी समान रूप से पूजनीय है। तिब्बत क्षेत्र में स्थित यह पर्वत भगवान शिव का निवास माना जाता है, और यही कारण है कि इसे सबसे पवित्र पर्वतों में गिना जाता है।
2025 में पांच वर्षों के अंतराल के बाद कैलाश मानसरोवर यात्रा की फिर से शुरुआत हो चुकी है, जिसे दुनिया की सबसे कठिन और रहस्यमयी तीर्थ यात्राओं में गिना जाता है।
शास्त्रों में वर्णित है कैलाश का अद्भुत गौरव
कैलाश पर्वत की महिमा का उल्लेख शिव पुराण, स्कंद पुराण और मत्स्य पुराण जैसे धार्मिक ग्रंथों में मिलता है। यह स्थान केवल एक तीर्थ नहीं, बल्कि एक दिव्य अनुभव है। मान्यता है कि यह पर्वत साक्षात भगवान शिव का निवास स्थल है, जहां वे समाधि में लीन रहते हैं।
क्यों नहीं चढ़ा जा सकता कैलाश पर्वत?
आज भी अजेय हैं कैलाश पर्वत
हालांकि दुनिया में माउंट एवरेस्ट जैसी ऊंची चोटियों को फतह किया जा चुका है, कैलाश पर्वत, जो उससे कम ऊंचाई का है, आज भी अजेय बना हुआ है। अनेकों पर्वतारोहियों ने इस पर चढ़ने का प्रयास किया, लेकिन कोई भी सफल नहीं हुआ। यह पर्वत अब तक एक रहस्य और चुनौती बना हुआ है।
मिलारेपा: अकेले विजेता?
एकमात्र नाम जो इस पर्वत से जुड़ा है, वो है बौद्ध संत मिलारेपा, जिन्होंने 11वीं सदी में कैलाश पर चढ़ने का दावा किया था और वापस लौटे। लेकिन इस घटना को भी धार्मिक चमत्कार के रूप में देखा जाता है, न कि भौतिक विजय के तौर पर।
धार्मिक मान्यताओं से जुड़ा है पर्वत का रहस्य
कैलाश पर्वत के बारे में यह भी मान्यता है कि यह देवताओं और पुण्य आत्माओं का निवास स्थान है। कहा जाता है कि यहां केवल वे शक्तियां ही पहुंच सकती हैं जो अत्यंत पवित्र और दिव्य हों। साधारण मनुष्य के लिए इस पर्वत की चढ़ाई धार्मिक दृष्टि से वर्जित मानी गई है।
भगवान शिव का निवास स्थल होने के कारण इस पर चढ़ना पाप माना जाता है।
चार धर्मों में पूजनीयता के कारण इसकी पवित्रता को सर्वोपरि रखा गया है।
अदृश्य शक्ति और रहस्यमयी ध्वनियाँ भी इस स्थान को और अधिक रहस्यमय बनाती हैं।
कैलाश पर हेलीकॉप्टर क्यों नहीं उड़ते?
भौगोलिक दृष्टि से देखा जाए तो कैलाश पर्वत की ऊंचाई पर वायुदाब और ऑक्सीजन का स्तर बहुत कम होता है, जिससे किसी भी प्रकार के वायुयान या हेलीकॉप्टर को वहां उड़ान भरना असंभव हो जाता है। इसके अलावा धार्मिक भावनाओं की भी कद्र करते हुए, सरकार और स्थानीय प्रशासन ने इस क्षेत्र को नो-फ्लाई ज़ोन घोषित कर रखा है।
वैज्ञानिक कारण भी हैं इस रहस्य के पीछे
कठिन भू-आकृति : कैलाश पर्वत की चढ़ाई में खड़ी और फिसलन भरी चट्टानें आती हैं, जो इसे खतरनाक बना देती हैं।
चुंबकीय प्रभाव : कुछ वैज्ञानिकों का मानना है कि कैलाश पर्वत के क्षेत्र में मजबूत चुंबकीय क्षेत्र है, जो इलेक्ट्रॉनिक उपकरणों और मानव शरीर पर असर डाल सकता है।
दिशाभ्रम की समस्या : कई पर्वतारोहियों का दावा है कि यहां चढ़ते समय दिशा भ्रम की स्थिति उत्पन्न हो जाती है, जिससे वे रास्ता भटक जाते हैं या लौट नहीं पाते।
