Summary: सुंदरकांड पाठ कब और कैसे करें जानें विधि नियम और चमत्कारी लाभ
सुंदरकांड पाठ से मिलती है हनुमानजी की विशेष कृपा और जीवन में शांति। जानें कब, कैसे और किन नियमों से करें पाठ ताकि मिलें पूर्ण फल और मनोकामना सिद्धि।
Sunderkand Path: सुंदरकांड हिन्दू धर्म में अत्यंत पूज्य और श्रद्धा से पढ़ा जाने वाला ग्रंथ है, जो श्रीरामचरितमानस का पांचवां सोपान (अध्याय) है। इसे गोस्वामी तुलसीदास ने अपनी अमर रचना ‘रामचरितमानस’ में स्थान दिया है। सुंदरकांड में हनुमान जी की असीम भक्ति, पराक्रम और श्रीराम के प्रति समर्पण का वर्णन मिलता है। कहा जाता है कि इस कांड का पाठ करने मात्र से जीवन की बाधाएं दूर होने लगती हैं और साधक को मानसिक शांति, आत्मबल और ईश्वर की कृपा प्राप्त होती है। श्रद्धा और नियमों के साथ किए गए सुंदरकांड पाठ से न केवल आध्यात्मिक लाभ होता है, बल्कि यह जीवन के कई संकटों का समाधान भी बन सकता है। इस लेख में हम जानेंगे कि सुंदरकांड का पाठ कैसे करें, इसके क्या नियम हैं, और पाठ करने से कौन-कौन से लाभ मिलते हैं।
सुंदरकांड क्या है?
गोस्वामी तुलसीदास द्वारा रचित श्रीरामचरितमानस का पांचवां अध्याय सुंदरकांड कहलाता है। इसमें कुल 526 चौपाइयां, 3 श्लोक और 60 दोहे शामिल हैं। यह खंड हनुमान जी की वीरता, बुद्धिमत्ता और श्रीराम के प्रति उनकी निष्ठा का अद्भुत वर्णन करता है। लंका के सुंदर पर्वत पर हनुमान जी द्वारा माता सीता को प्रभु राम की मुद्रिका देने की घटना के कारण इसे “सुंदरकांड” नाम मिला।
सुंदरकांड पाठ की सही विधि
सुंदरकांड का पाठ मंगलवार या शनिवार से आरंभ करना शुभ माना जाता है। पाठ करते समय साधक का मुख उत्तर या पूर्व दिशा की ओर होना चाहिए। हनुमान जी की प्रतिमा या फोटो सामने रखें। साथ ही श्रीराम और सीता माता का चित्र भी पूजन स्थल पर रखें।
पूजन की तैयारी:
चमेली के तेल में सिंदूर मिलाकर हनुमान जी का तिलक करें। पीपल के सात पत्ते उनके चरणों में रखें। पुष्प, फल और मिठाई का भोग अर्पित करें। दीपक जलाकर रखें, जो पूरे पाठ के दौरान जलता रहे।
पाठ की शुरुआत:
पाठ से पहले गणेश वंदना करें।
फिर श्रीराम, हनुमान और शिव जी का ध्यान करके आवाहन करें।
श्रद्धा और एकाग्रता से पाठ आरंभ करें।
पाठ के दौरान रखें इन बातों का ध्यान
पाठ के समय मन और शरीर शुद्ध होना चाहिए।
ब्रह्मचर्य का पालन करें और सात्विक आहार लें।
बीच में उठना या किसी से बातचीत करना वर्जित है।
सुंदरकांड का पाठ ब्राह्म मुहूर्त या शाम के समय करें, दोपहर में पाठ न करें।
यदि समय न हो तो सुंदरकांड को रोज़ाना थोड़ा-थोड़ा कर चरणबद्ध रूप से भी पढ़ा जा सकता है।
सुंदरकांड पाठ के लाभ
हनुमान जी शीघ्र प्रसन्न होते हैं और सभी मनोकामनाएं पूर्ण करते हैं। जीवन में आत्मविश्वास और सकारात्मकता का संचार होता है। सुंदरकांड के पाठ से शत्रु बाधा, ऋण और रोग दूर होते हैं। सफलता, शांति और उन्नति के लिए यह पाठ अत्यंत प्रभावी माना गया है।
हनुमान जी की कृपा से साधक को अष्ट सिद्धि और नव निधि का आशीर्वाद प्राप्त होता है।
पाठ का समापन
पाठ पूरा होने के बाद हनुमान जी और श्रीराम की आरती करें, और उन्हें बूंदी या गुड़-चना का भोग अर्पित करें। फिर वह प्रसाद सभी को वितरित करें।
सुंदरकांड न केवल एक धार्मिक ग्रंथ है, बल्कि यह मन की शुद्धता, आत्मबल और विजय का प्रतीक भी है। यदि श्रद्धा और विधिपूर्वक इसका पाठ किया जाए, तो यह जीवन की कठिनाइयों को दूर करके साधक को ईश्वरीय ऊर्जा और सफलता प्रदान करता है।
