सपनों की दुनिया-गृहलक्ष्मी की कहानियां
Sapno ki Duniya

Hindi Kahani: मोहन का जन्म उत्तर प्रदेश के एक गाँव के एक मध्यमवर्गीय परिवार में हुआ था।जब वह 10 वर्ष का था, उसके सामाजिक विज्ञान के अध्यापक उसे देश-विदेश के बारे में बताते रहते थे। उसे देश के मेट्रो शहरों दिल्ली, कोलकाता, मुम्बई और चेन्नई के बारे में जानना अच्छा लगता था।उन्हीं दिनों उसके घर उसके जीजा आए,जो देश की राजधानी दिल्ली में रहते थे।मोहन ने उनसे दिल्ली के बारे में बहुत कुछ पूछा।
वह दिल्ली को नजदीक से देखना चाहता था,उसके मन में यह इच्छा बलवती होती जा रही थी कि वह बड़ा होकर किसी मेट्रो शहर में रहेगा।वैसे तो उसे सारे मेट्रो शहर पसन्द थे,किन्तु राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली उसे ज्यादा पसन्द आई।धीरे-धीरे समय आगे बढ़ता रहा,मोहन की पढ़ाई पूरी होती गई।उसने स्नातक,परास्नातक,एवम बी.एड.किया।
मोहन अब केवल मेट्रो शहरों से निकलने वाले सरकारी स्कूल में अध्यापन के विज्ञापनों को देखा करता था।अचानक एक दिन उसकी नजर “कर्मचारी चयन आयोग” के विज्ञापन पर पड़ी,उसे पढ़कर वह बहुत खुश हुआ,उसे लगा कि अब उसके सपने अवश्य पूरे होंगे,उसने फार्म वगैरह भर दिया,कुछ दिनों बाद उसका
लिखित परीक्षा का बुलावा आ गया। अब वह अपने सपनों के शहर में परीक्षा देने किए लालायित हो उठा।
उसके कठिन परिश्रम के फलस्वरूप उसका लिखित परीक्षा में चयन हो गया।
कुछ दिनों के बाद साक्षात्कार के लिए पत्र आया।
अब तो मोहन का आत्मविश्वास बढ़ चुका था। उसने साक्षात्कार पूरे मन से दिया,उसे विश्वास था कि उसका चयन अवश्य होगा।
कई महीनों की प्रतीक्षा के उपरान्त अन्तिम चयन का परिणाम घोषित हुआ।चयनित सूची में अपना नाम देखकर मोहन भावुक हो गया।
कुछ दिनों के उपरान्त वो अपने सपनों की ऐतिहासिक मेट्रो नगरी “दिल्ली”पहुँचा।
दिल्ली ने उसके सारे सपने पूरे किए।
मोहन ने अपनी लगन,साहस और परिश्रम से वो सब कुछ प्राप्त किया,जिसकी कल्पना मनुष्य करता है।
मोहन आज अपने विद्यार्थियों से कहता है,
निश्चित ही,तुममें भविष्य के कृष्ण,विवेकानन्द और सुभाष चन्द्र बोस छिपे हैं।
जब मेरे सपने पूरे हो सकते हैं मैं सफल हो सकता हूँ,तो तुम सब भी अपना मनचाहा अवश्य प्राप्त कर सकते हो।
बस,
सपने देखो!सपनों को उड़ान दो!

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