saavadhaanee hatee durghatana ghatee
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भारत कथा माला

उन अनाम वैरागी-मिरासी व भांड नाम से जाने जाने वाले लोक गायकों, घुमक्कड़  साधुओं  और हमारे समाज परिवार के अनेक पुरखों को जिनकी बदौलत ये अनमोल कथाएँ पीढ़ी दर पीढ़ी होती हुई हम तक पहुँची हैं

कोरोना वायरस के चलते जब से स्कूल बंद हुए हैं, कीर्तिम और शैली दादा जी के बैस्ट फ्रेंड बन गए हैं। इनकी अपनी ही अलग खिचड़ी पकती है आजकल। दोनों दादा जी के साथ खुले हरे-भरे आंगन में खेलते व मजे करते रहते हैं। दादा के साथ मिलकर आंगन का तो रूप ही बदल दिया है इन्होंने। कोरोना के कारण दादा आजकल सैर को भी नहीं निकलते। यहीं लोन में बच्चों के साथ उछल-कूद कर लेते हैं और वही इनकी सैर हो जाती है।

मार्च से आज तक, फूलों से लेकर सब्जियां लहलहा रही हैं यहां। कीर्तिम और शैली के पांव तो जमीन पर नहीं लगते आजकल। खुशी के मारे नाना-नानी और मामा-मामी को वीडियो कॉल कर चिड़ियों की तरह चहकते हुए खिला-खिला आंगन दिखाते रहते हैं। कहते हैं, “देखो! हमने कितने रंग-बिरंगे सुंदर फूल यहां खिलाए हैं और कितनी क्यारियां बनाई हैं दादा जी के साथ मिलकर। दादा जी हमें नई-नई कविताएं और कहानियां भी सुनाते हैं। दादा जी की भी खुशी का आजकल ठिकाना नहीं है। अपने पोते-पोती की तारीफ करते नहीं थकते। मम्मी-पापा की बहस भी कम हो गई है आजकल। जो दोनों की पढ़ाई को लेकर हुआ करती थी। क्योंकि होमवर्क भी दादा जी के साथ, खाना भी दादाजी के साथ ही। दादा भी खुश, पोता-पोती भी खुश और पूरा परिवार भी खुश। सबकी जान दादा में बसती है। सब मिलकर इनका खूब ख्याल रखते हैं क्योंकि उन्हें बी.पी. की शिकायत थी। कोरोना वायरस से सभी डर गए हैं। बहू कोशिश करती है कि बाहर से आया कोई भी, दादा से दूर ही रहे। कम ही मिले। आजकल बच्चे भी बाजार की जिद भूल गए हैं। वे मस्त हैं अपने घर-आंगन में दादा संग।

वहीं पड़ोसी रिंकू और विक्की रोज बेमतलब, बिना मास्क बाजार घूमते रहते हैं। जब पुलिस के डंडे पड़े तो नाममात्र के मास्क लगाते हैं गले में लटके हुए। सीमा बहू उन्हें देखती रहती है और कहती है, “सुधरो तुम लोग! करोना लगेगा न तो बचाने वाला भी कोई नहीं है। मेरे घर से तो तुम दूर ही रहा करो।”

“आंटी जी हम हट्टे-कट्ट और स्वस्थ हैं। हमें क्या कोरोना होगा! यह सब अफवाहें हैं। करोना-बरोना कुछ नहीं है। हम तो रोज घूमते हैं बाजार में। दोस्तों के साथ शादी में भी गए थे। खूब मजे किए हमने। कुछ नहीं होता। आप ऐसे ही डरती हैं। हमें भी आने नहीं देतीं अपने घर।”

“वह इसलिए, आपको पता है न। पापा की सेहत का ख्याल रखना पड़ता है।”

एक दिन सीमा बहू बाजार सामान लेने गई थी। पीछे से बाइक लेकर रिंक, विक्की पहुंच गए बाजार से चटर-पटर लेकर। और कीर्तिम, शैली को भी खिला दिए। उन्होंने न मास्क पहने हुए थे और बिना हाथ धोए खाते रहे। दादा बोलते रहे, “बेटा मत खाओ। बाजार में न जाने इन पैकेट्स को किन-किन के हाथ लगे हैं।”

बच्चे तो बच्चे होते हैं। उन्होंने खुद तो खाए उछलते-कूदते दादा के मुंह में भी डाल दिए। आजकल दोस्ती जो गहरी हुई है। सबने मिलकर खूब धमाचौकड़ी की।

आते ही यह दृश्य देख सीमा का माथा ठनका। उसने सबको खूब डांटा कि हम इतनी सावधानी बरत रहे हैं। तुमने आखिर बात नहीं मानी। बाहर बुरी तरह कोरोना वायरस फैला हुआ है।

रिंकू बोला, “आंटी हम बिल्कुल स्वस्थ हैं। चिंता मत करो। कोरोना हमारा कुछ नहीं बिगाड़ सकता।”

दो-तीन दिन बीत गए। दादा थोड़ा खांसने लग गए। ढीले-ढीले से भी हो गए। इस कारण बच्चे भी गुमसुम रहने लगे। दादाजी को खांसी, बुखार की दवाई दी, पर कुछ नहीं हुआ। सांस लेने में तकलीफ होने लगी तो कोरोना वायरस टैस्ट करवाने का फैसला लिया। और वही हुआ जिसका डर था। दादाजी कोरोना पॉजिटिव निकले। यह सुनकर दादाजी बहुत घबरा गए।

डॉक्टरों से सलाह करके दादाजी को होम आइसोलेशन की अनुमति ले ली। घर पहुंचते ही ऑक्सीजन लगाने तक का मौका नहीं मिला। दादा जी देखते-देखते तड़पते हुए चल बसे। इस अचानक हुए हादसे से किसी को कुछ समझ नहीं आ रहा था।

सीमा बहू को छोड़ सभी कोरोना पॉजिटिव आ गए। घर पर सभी अकेले-अकेले रहने को मजबूर हो गए। ऐसा बुरा खराब मंजर जिंदगी में कभी न देखा, न कभी सोचा था।

विक्की और रिंकू भी कोरोना वायरस से ग्रसित होकर क्वारेंटाइन सेंटर चले गए। अब वे वहीं से ही कोरोना से बचने के लिए सोशल मीडिया के सभी साधनों का इस्तेमाल करके लोगों को जागरुक कर रहे थे। उनकी समझ में आ चुका था कि कैसे उनकी एक छोटी-सी लापरवाही के कारण मोहल्ले की जान, दादाजी की जान चली गई। वे सबको समझा रहे थे कि जरूरी नहीं कि एक स्वस्थ व्यक्ति को लक्षण नहीं है तो उसमें कोरोना वायरस नहीं हो सकता है। वह तो उसे झेल लेगा लेकिन उसके संपर्क में आए दूसरे व्यक्ति की दादाजी की तरह जान भी जा सकती है। कोरोना का इलाज सिर्फ बचाव ही है।

भारत की आजादी के 75 वर्ष (अमृत महोत्सव) पूर्ण होने पर डायमंड बुक्स द्वारा ‘भारत कथा मालाभारत की आजादी के 75 वर्ष (अमृत महोत्सव) पूर्ण होने पर डायमंड बुक्स द्वारा ‘भारत कथा माला’ का अद्भुत प्रकाशन।’