''ललक क्या बला है''?- गृहलक्ष्मी की कहानियां: Hindi Kahaniyan
Lalak Kya Bala Hain

Hindi Kahaniya: ललक कभी अच्छी तो कभी बुरी होती है अच्छी तब जब तुमको वो कोई मुकाम हासिल करवा सके। बुरी तब जब वो आपके अस्तित्व से भी गिरा दे। तो ये कहानी थी दो दोस्तों की यदि सोचो तो आप को हर एक चौराहे पर एक कहानी आप से मिलती-जुलती मिल जाएगी।

शुरू करती हूं एक दोस्त का नाम था शिल्पी और दूसरी का नाम था पल्लवी, उन दोनों का घर भी ज्यादा दूर नहीं था दोनों साथ स्कूल जाती थी जैसा आप सभी जानते हैं लड़की माता-पिता के लिए बोझ के समान होती है, जिस कारण शिल्पी की शादी जल्दी हो गई और 4 या 5 साल बाद पढ़ाई पूरी करने के बाद पल्लवी की भी शादी हो गई।

सब ठीक चल रहा था, पल्लवी एक बहुत सीधी लड़की थी पर उसमें एक ललक थी कि कोई नहीं कुछ लोग उसे जाने उसकी एक पहचान हो। वो अपने नाम से जानी जाए ना कि पति या पिता के तो उसने सोशल मीडिया में रील जो की पुराने गाने पर गा कर रील डालती……. इंस्टा पर कभी कुछ लिख कर डाल देती। एक दिन पल्लवी के पति ने कहा कि तुम क्या ये फालतू के काम करती हो रोज?

पल्लवी ने कहा नीलम जी मैं घर में इस तरह नहीं रह सकती या तो मैं नौकरी करूं या कुछ ऐसा काम जिस से मेरी अलग पहचान बने और लोग मुझे मेरे नाम से लोग जाने तो नीलम ने कहा ठीक जो मन करे वो करो………….. बोल कर ऑफिस चले गए। धीरे-धीरे उसके फॉलोअर्स बढ़ने लगे। शिल्पी का एक दिन कॉल आया ; क्या बात है? तुम तो छा रही हो……..पल्लवी ने कहा नहीं यार ये तो टाइम पास है मुझे तो कुछ और करना है।

इसके कुछ दिनों के बाद ही शिल्पी का एक वीडियो पल्लवी ने इंस्टा पर देखा, शिल्पी को कमेंट किया वाह क्या बात! ऐसे करते-करते पल्लवी ने लिखना शुरू कर दिया एक दिन पल्लवी को उनके एक मित्र का फोन आया। पल्लवी एक शो है तुम चलोगी तो पल्लवी ने हां कह दिया। जब पल्लवी वहां पहुंची तो देखा कि 200/300, लोग बैठे थे उस सब के सामने उसे गाना गाना था। वहां थोड़े लोग इंस्टा की वजह से जानते थे वो पल्लवी के पास आए और बोले आप पल्लवी हो ना। पल्लवी ने एक अच्छी ललक के चलते अपनी पहचान बनाई थी इसलिए लोग उसे जानने लगे थे। इसलिए आज पल्लवी इतने बड़े स्टेज पर थी।

वहीं दूसरी तरफ शिल्पी की रील दिन पर दिन वल्गर रूप लेती जा रही थी। पर अब उसको भी ललक थी कि मेरा नाम हो तो वो कई तरह के वीडियो बनाती जो थोड़े से चीप होते पर बोले कौन क्योंकि जब उसके पति ने कुछ नहीं कहा तो कोई और क्यों बोले। इस तरह एक ललक ने दो सहेलियों के जीवन पर सकरात्मक और नकारात्मक दोनों ही रूपों से असर डाला।

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