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जन्मों-जन्मों का बंधन-गृहलक्ष्मी की कविता

Hindi Poem: जन्म-जन्म का साथ हमारा,बंधा है कच्चे धागे से,पर दिल से दिल की ये डोर,अटूट है विश्वास के सागे से। हरी काँच की चूड़ियाँ जब खनकती हैं,सजती हैं मेरी कलाई में,लाल बिंदिया दमक उठती है माथे पर,सिंदूर की लाली मुस्काती है ललाट पे,लाल महावर, बिछिया, ये सोलह श्रृंगार —सब तेरे नाम से सजे हैं […]

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चिड़िया का बच्चा और बंदर महाराज-गृहलक्ष्मी की लघु कहानी

Hindi Short Story: एक घने जंगल में एक बड़ा सा पेड़ था। उसी पेड़ की ऊँची डाल पर एक चिड़िया और उसका परिवार रहता था। नीचे उसी पेड़ के तले रहते थे बंदर महाराज। वे बड़े ज्ञानी माने जाते थे। हमेशा अपने पास मोटा सा पंचांग रखते और हर आने-जाने वाले को भविष्य बताते। जंगल […]

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”ललक क्या बला है”?- गृहलक्ष्मी की कहानियां

Hindi Kahaniya: ललक कभी अच्छी तो कभी बुरी होती है अच्छी तब जब तुमको वो कोई मुकाम हासिल करवा सके। बुरी तब जब वो आपके अस्तित्व से भी गिरा दे। तो ये कहानी थी दो दोस्तों की यदि सोचो तो आप को हर एक चौराहे पर एक कहानी आप से मिलती-जुलती मिल जाएगी। शुरू करती […]

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सोन चिरैया-गृहलक्ष्मी की लघु कहानी

सोन चिरैया-एक खूबसूरत बाग में एक पीपल का हरा भरा पेड़ था जो सब को शीतलता प्रदान करता था और किसी के रहने का बसेरा भी था। वहा रहता था सोन चिरैया का छोटा सा परिवार तीन चूसे और एक चिरोटा बड़ा खुशहाल परिवार था सोन चिरैया का । रोज़ चिरैया जाती और चोंच में […]

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फ़रियाद-गृहलक्ष्मी की कविता

चलो आज मैं सुनता तुमको एक कहानी एक छोटा सा घरऔर घर वालों की कहानीआओ सुनाऊं तुमको एक कहानीएक घोंसला था ,रहता था उस में एक कबूतर,उसकी पत्नी और बच्चाबच्चा अभी छोटा था , उड़ना नहीं जानता थारह घोंसले में बस चूं चूं करता रहता थाबड़े सुकून से जी रहे थे ,पंख फैला कर छूते आसमान  डाली-डाली […]

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