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बोर्ड के परिणाम आने की खबर सुनते ही पल्लवी और उसके माता-पिता काफी उत्सुक थे, परिणाम उम्मीद के बिल्कुल विपरीत देख दोनों पति-पत्नी हताश हो गए। पल्लवी के पिता अजीत सिंह लगे तेज़ आवाज़ में पल्लवी पर झल्लाने, आजकल के बच्चों में बर्दाश्त करने की क्षमता ही कहां रहती है इसकी सबसे बड़ी वजह मन मुताबिक हर चीज जो मिलते जाता है मां-बाप कैसे किस परिस्थिति से उसकी सारी ख्वाहिशें पूरा करते हैं। यह समझदारी और सोचने समझने की क्षमता खोते चले जा रहे हैं आजकल के बच्चे । पल्लवी तेज कदमों में अपने कमरे की तरफ बढ़ते हुए आंखों में आंसुओं से भरे शैलाव के साथ अपने कमरे में जाकर  अंदर से दरवाजा बंद कर लेती है……..।

अजीत सिंह जी अपनी पत्नी शकुंतला पर गुरकते हुए। देख लो अपनी बेटी को किस तेजी में दरवाजा बंद  कि है जरा भी पश्चाताप नहीं कि, हम नहीं पढ़े इसलिए मेरा परिणाम खराब आया है। हम लोग पे तेजी दिखा रही है। दोनों पति-पत्नी आपस में ही लगे बहस बाजी करने माहौल बिल्कुल खराब हो चुका था।

तभी शकुंतला ने शांत करते हुए कहा कि ध्यान से मेरी बातों को सुनिए हल्ला और आपसी तनाव हमारे स्वास्थ्य पे असर डाल सकता है। बाद में पश्चाताप करने से कुछ मिलने वाला नहीं है। बुरा नहीं मानिएगा, पल्लवी के रिजल्ट के जिम्मेदार कहीं ना कहीं आप भी हैं। अजीत सिंह ने पूछा वह कैसे????मुझे आज जी भर बोलने की इजाजत दीजिए आप सिर्फ सुनिए, ठीक है अजीत सिंह ने कहा। देखिए आपने मुझे कभी समझा ही नहीं , ना मेरी कभी सुनी इसकी सबसे बड़ी वजह मैं देखने में सुंदर नहीं हूं और दूसरी बड़ी वजह  मैं बहुत ही कम पढ़ी-लिखी हूं…..।

सुंदरता ईश्वर का दिया वरदान हैं , मैं कम पढ़ी-लिखी भी हूं तो मेरे अंदर समझदारी कम नहीं है। लेकिन आपने दबा के रखा मुझे जब आप आठवीं क्लास में बिटिया को मोबाइल दे रहे थे तो याद कीजिए मैं दबी जुबां से मना की थी कि मोबाइल मत दीजिए बच्चे बिगड़ जाएंगे । ना चाहते हुए भी बच्चे मोबाइल पर अपना अधिक से अधिक समय व्यतीत करेंगे । जब हम इतने अच्छे विद्यालय  में उसको पढ़ा रहे हैं इतने खर्चे से होम ट्यूशन करवा रहे अलग-अलग विषयों की, फिर मोबाइल की आवश्यकता क्यों?????? मेरी आवाज़ को दबाते हुए, तुम्हें कितनी समझदारी है आजकल बिना मोबाइल के पढ़ाई होती है क्या????  आपने मेरी कुछ भी नहीं सुनी उल्टे मेरे मायके की लिविंग स्तर पर सवाल खड़ा कर दिया।  ये सवाल उठाकर शायद उस समय आपको अच्छा लगा हो, लेकिन अमीरी गरीबी का यह सवाल आपके बिटिया के पढ़ाई का स्तर डाउन कर दिया …….। 

मोबाइल आपने दिया चलो कोई बात नहीं लेकिन आपने कभी उसके पास बैठकर जानने की कोशिश की मोबाईल से पल्लवी पढ़ाई से परिचित हो रही है या सोशल साइट से परिचित हो रही है। आप तो एमबीए किए हुए हैं । जबकि आप अच्छी तरह से इस बात को जान रहे हैं कि आजकल  मोबाइल पॉजिटिव रूप में बच्चे देखें तो फायदेमंद है नेगेटिव जाने में उतने ही नुकसान देह है। पूरा पूरा दोष मैं पल्लवी को ही क्यों दूं?????  हम पेरेंट्स अपने बच्चे को देख नहीं पाते सारी सुविधाएं देते हैं बस समय नहीं दे पाते हैं। मैं एक मां होने के नाते समय देना चाहती भी थी। कभी समझदारी दिखाई भी तो ,आपने उसके सामने में ही मुझे डांट दिया, तुम कम पढ़ी लिखी हो तुम क्या समझोगी आज के समय की पढ़ाई। मेरा मुंह बंद हो जाता था। बच्चों के सामने आप मुझे डांटे तो इस वजह से पल्लवी भी कभी मुझे वेटेज नहीं दी। किसी भी पति-पत्नी को बच्चों के बीच में एक दूसरे के वेटेज को गिराना नहीं चाहिए । वरना बच्चे इसके गलत फायदा उठाते हैं………।

मोबाइल तो मोबाइल आपने उसे इतना लाड़ दुलार दिया कि जो मांगे वो तुरंत तरह- तरह के चॉकलेट, ड्रेस ,मेकअप के सामान । इतनी छोटी उम्र में बच्चियां  फैशन करेंगी तो पढ़ेंगी क्या ??? अपने सच्चे दिल से उसका ख्याल रखा होता तो उसके असली श्रृंगार शिक्षा पे ज्यादा ध्यान देते । जो उसके व्यक्तित्व को निखारती , खैर अभी भी कुछ नहीं बिगड़ा है। सिर पकड़ कर बैठ जाते हैं अजीत सिंह जी । जो सच है उसे स्वीकारने में क्या हर्ज, वह पत्नी के हाथ को पकड़ कर कहते हैं सच बोली मैंने तो कभी तुम्हें समझा ही नहीं। अब क्या करूं????तभी शकुंतला कहती है पश्चाताप करने से कोई फायदा नहीं है आगे का सोचना चाहिए अभी भी कुछ नहीं बिगड़ा है…..। 

परसेंटेज के चक्कर में हम पेरेंट्स क्या करते हैं आजकल बच्चों को इतना डांटते हैं कि बच्चे डिप्रेशन में चले जाते हैं और कुछ गलत कदम उठा लेते हैं। अपने बच्चे को गलत कदम उठाने से पहले ही हमें सचेत हो जाना चाहिए। अब वो समय नहीं है, बच्चों में बर्दाश्त करने की क्षमता दिनों दिन घटती ही चली जा रही है ।इसके कहीं ना कहीं एक बड़ी वजह हमारे पर्यावरण का दूषित होना भी है। जब बच्चे ही नहीं रहेंगे तो फिर यह टेंशन, पश्चाताप परेशानी का क्या कीजिएगा। प्रत्येक एक दूसरे दिन पर खबर सुनने को मिलती है कम रिजल्ट आने की वजह से बच्चे ने यह कर लिया वह कर लिया सुसाइड कर लिया। इसके एक और वजह बच्चों के अंदर डर कहीं परिणाम खराब हुए तो माता-पिता हमें क्या कहेंगे, क्या करेंगे। हमारे बच्चे हैं हमें ही उन्हें सहज महसूस कराना है। हमारे साथ ही वह असहज महसूस करेंगे तो फिर दुनिया से कैसे नजरें मिलाएंगे । कैसे अपने भविष्य का अपने आत्मविश्वास के साथ बेहतर निर्माण करेंगे………..।

 कोई बात नहीं है , जो बीत गई वो बात गई ।चलिए अपने मूड को फ्री कीजिए और अपनी बिटिया से प्यार से मिलिए। हमें प्यार से उसे समझाना होगा अभी भी कुछ नहीं बिगड़ा है आगे की पढ़ाई कंटिन्यू अच्छे से करवाएंगे हम लोग और वह बेहतर रिजल्ट लाएगी। हंसते हुए शकुंतला लेकिन इस बार मुझे इजाजत अपनी मां के फर्ज अदा करने का मिलना चाहिए। परसेंटेज ही सबकुछ  नहीं, ईश्वर की दी हुई उसकी जिंदगी अनमोल है। दोनों बिटिया का दरवाजा खुलवाते हैं। उसको बहुत ही प्यार से समझाते हुए सहज महसूस करवाते हैं। पल्लवी रोते-रोते तो आखें सूजा ली थी, मां ने जादू की झप्पी देते हुए कहा पगली कहीं की, चलिए आज बाहर खाना खाकर आते हैं हम सभी । किस खुशी में तुम्हारे रिजल्ट आने की खुशी में, मेरा रिजल्ट मां , मेरा रिजल्ट तो अच्छा आया ही नहीं है। अच्छा कैसे नहीं आया 64% कम होते हैं क्या??? शकुंतला जी कहती हैं मुझे तो वह भी नहीं आया था पता है क्यों ???क्योंकि मैंने एग्जाम ही नहीं दिया। माहौल को हल्का करते हुए, चलिए इंजॉय करते हैं तीनों हंसने लगते हैं खुशी-खुशी आगे की सोच कर। और कहते हैं जो बीत गई वह बात गई अब अफसोस नहीं………।