Hindi Love Story: यह बात उन दिनों की है जब मैं अपने मामा जी की शादी में ननिहाल गई हुई थी।वहां पर मेरी मुलाकात मामा जी के साले सुनील से हुई। सुनील बड़ा ही मजाकिया क़िस्म का इंसान था और हर समय हंसी मजाक में ही लगा रहता था। कोई चाहे कितना भी परेशान क्यों ना हो सुनील की बातें सुनकर वह अपनी सारी परेशानियां भूल जाता और ठहाके मारकर हंसता। सुनील की जितनी तारीफ की जाए वह कम है। मिलनसार स्वभाव और व्यवहारिता का धनी सुशील हर किसी से घुल मिलकर रहता था। मैं उसे बस दूर से ही देखा करती थी। अभी तक हमारी ना तो जान पहचान हुई थी और ना ही कोई बात ही नहीं हुई थी। पर फिर भी वो मुझे बहुत अच्छा लगता था।एक दिन मैं चुपचाप अकेले बैठी थी। इतने में सुनील भी चुपचाप से मेरे बगल में आकर बैठ गया और मैं अपने ख्यालों में इतनी खाई थी कि मुझे उसके आने का आभास ही नहीं हुआ। थोड़ी देर बाद जब उसने मुझसे कहा है हाय! मेरा नाम सुनील है और मैं आपके मामा का होने वाला साला हूं। उसकी आवाज़ सुनकर मैं चौंक पड़ी और कहा आपने तो मुझे डरा ही दिया। फिर थोड़ा संभलते हुए कहा जानती हूं ।इस पर मुस्कुराते हुए सुनील ने कहा जब आप जानती हैं तो मुझसे बात क्यों नहीं करती है।उसके सवाल के जवाब में मैंने सिर्फ मुस्कुरा दिया। धीरे-धीरे हमारी बातें आगे बढ़ी सुनील का६ स्वभाव मुझे बहुत अच्छा लगता था और वो उस भीड़ में भी मुझे अपना सा लगता था ।ऐसा लगता था जैसे मैं उसे वर्षों से जानती हूं। और हमारा पिछले जन्म से रिश्ता हो। मन ही मन मैं उसे पसंद भी करने लगी थी ।
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पर उससे कहने की मेरी हिम्मत नहीं हुई । सुनील जिस तरह से मेरे साथ व्यवहार करता था उससे तो ऐसा ही लगता था कि वह भी मुझे बहुत चाहता है । मग़र उसने भी कभी कहा नहीं। एक-एक करके सारे फंक्शन हो गए शादी हो गई गौना हो गया और सारे रिश्तेदार अपने-अपने घर वापस चले गए और आखिर में मैं भी आज अपने घर वापस जाने वाली थी ।पर कई दिन से सुनील वहां नहीं आया था। मैं अपने घर वापस आने से पहले एक आखरी बार सुनील से मिलना चाहती थी ईश्वर से प्रार्थना कर रही थी।कि भगवान बस एक बार मुझे उससे मिला दो और पता नहीं कैसे मेरी यह आवाज सुनील तक पहुंच गई और वह किसी कारण से मामा जी से मिलने वहां आया था तो मेरी भी उससे मुलाकात हो गई।उसे देखकर मुझे एक अजीब सा सुकून मिला और मन ही मन ईश्वर को मैंने ढेरों धन्यवाद कहा ।क्यों कि उन्होंने मेरी इच्छा पूर्ण कर दी थी। बातों ही बातों में सुनील को पता चला कि मैं आज अपने घर वापस जाने वाली हूं। तो उसने मुझे सवालिया नजरों से देखा। मैं उसकी आंखों में देख नहीं पाई और अपनी नज़रें झुका ली। कुछ देर बाद उसने मुझे किसी काम के बहाने बुलाया । उसके मुंह से अपना नाम सुनकर मैं अंदर ही अंदर शर्मा गई।जब मैं उसके पास गई तो उसने मुझसे कहा लता..!! आज तुम आज अपने घर वापस जा रही हो। मैंने अपनी नजर झुकाए ही हां में सिर हिलाया। तब उसने कहा कुछ बात तो ३करो। मैं बोली तुम ही बताओ मैं क्या बोलूं ।फिर सुनील ने कहा आज मैं भी शहर वापस जा रहा हूं ।अपनी पढ़ाई पूरी करने ,तो सोचा जाते-जाते दीदी और जीजा जी से मिलकर जाऊं और मुझे तो पता भी नहीं था कि तुम से यूं मुलाकात हो जाएगी। मैं मजाक में कहा अच्छा तुम मुझसे मिलने नहीं आए हो । बल्कि अपने दीदी और जीजा जी से मिलने आए हो ।सुनील ने मुस्कुराते हुए मेरी तरफ देखा और कहा अपनी नज़र उठाओ और एक बार मेरी तरफ देखो तो सही।क्यों बुत बनी हुई खड़ी हो कुछ तो बोलो ।नहीं तो मैं जा रहा हूं।
मैं बोली अभी चले जाओगे फिर कब मिलोगे मुझ से ,मेरी बातें सुनकर सुनील ने कहा अपना हाथ आगे बढ़ाओ उसके इतना कहते ही मेरी धड़कनें तेज हो गई मेरी सांसों की रफ्तार बढ़ गई। और मैं सोचने लगी सुनील मुझ से हाथ आगे करने के लिए क्यों बोल रहा है…?
फिर मैंने पूछा क्यों मेरे हाथों का क्या करोगे..??
उसने कहा हाथ दिखाओ तो सही फिर जैसे ही मैंने अपना हाथ आगे किया उसने मेरे हाथों को अपने हाथों में लेकर होठों से लगा लिया और एक प्यार भरा चुम्बन मेरी हथेली पर जड़ दिया। उसके उस छुअन में इतनी मिठास थी कि मैं उस प्रेम के पहला उपहार को आज तक भुला नहीं पाई हूं और शायद कभी भूल भी नहीं पाऊंगी…!!
फिर एक दूसरे के प्यार को अपने दिलों में दबाए बिना एक दूसरे से अपने प्यार का इजहार किए , हम दोनों एक दूसरे से अलग हो गए। सुनील अपने रास्ते चला गया और मैं अपने रास्ते ।कुछ सालों बाद हम दोनों ने शादी कर ली ।शादी के बाद सुशील ने बेशकीमती अनगिनत उपहार मुझे दिए मग़र सुनील के दिए हुए उस प्रथम प्रेम पूर्ण उपहार के आगे ये सारे कीमती उपहार मुझे फीके ही लगते है।
जब सुनील ने मेरे हाथों को अपने हाथों में थामा वो पल मेरी ज़िन्दगी का सबसे सुखद था।
क्यों कि इससे पहले मैंने ऐसा स्नेह भरा स्पर्श कभी अनुभव नहीं किया था। मैं अपने उस अनुभव को शब्दों में बयां नहीं कर सकती। दुनिया की सारी दौलतें मिल कर भी शायद उस एक उपहार की बराबरी नहीं कर सकतें,आज भी जब पीछे मुड़ कर देखती हूं तो ऐसा लगता है। काश!!समय थोड़ा पीछे जाता तो मैं उन पलों को पुनः एक बार फिर से महसूस कर पाती।पर वक्त कहां किसी की सुनता है।पर मैंने अपने दिल में अपने उन सुनहरे पलों को कैद करके रख लिया है और जब कभी भी उन गुज़रे लम्हों को मैं याद करती हूं तो किसी नई नवेली दुल्हन की तरह ही मैं शर्म से लाल हो जाती हूं और अपने अगल बगल देखने लगती हूं कि कहीं कोई देख तो नहीं रहा है।
