उसमें से एक ने कहा-“वाह कैसी बढ़िया मोटी बकरी है।”
दूसरे ने कहा-“यह हमारे लिए अच्छा भोजन होगा। चलो इसे किसी तरीके से हथिया लें?
“सुनो” तीसरे ने कहा। वह दोस्त के कान में फुसफुसाया-“मेरे पास एक योजना है।” उसकी योजना सुनकर सब हँस पड़े और योजना को कार्य रूप देने के लिए आगे आ गए।
जब ब्राह्मण सड़क से जा रहा था तो एक ठग पास जाकर बोला – “श्रीमान! उस कुत्ते को कंधे पर रख कर क्यों ले जा रहे हैं?मैं हैरान हूँ कि ब्राह्मण ऐसा कैसे कर सकता है।”
“कुत्ता” ब्राह्मण गुस्से में चिल्लाया। यह बकरी है, जो मुझे उपहार में मिली है। ठग ने जवाब दिया-“महाशय, गुस्सा न हों, मैंने तो वही कहा, जो देखा। कृपया माफ करें।” ठग माफी माँग कर चला गया।
ब्राह्मण अभी कुछ ही दूर गया था कि दूसरा ठग भागता हुआ आया और बोला- “इस मरे हुए बछड़े को कंधों पर बिठा कर क्यों ले जा रहे हैं? श्रीमान एक ब्राह्मण मरा हुआ जानवर उठाए, यह शोभा नहीं देता।” ब्राह्मण खीझ कर बोला “पागल हो गए हो, दिखता नहीं है? यह कोई मरा हुआ बछड़ा नहीं बल्कि जीवित बकरी है।” ठग बोला-“श्रीमान, आप गलती कर रहे हैं पर फिर भी आपको विश्वास नहीं होता तो मुझे कुछ नहीं कहना और वह मुस्कुराता हुआ चला गया।
ब्राह्मण परेशान हो गया और अपनी बकरी को संदेह से देखते हुए। वह चलता रहा।
जल्दी ही तीसरा ठग सामने आ गया। वह ब्राह्मण पर हँसा और बोला-“इतने विद्वान हो कर, एक गधे को कंधों पर रख कर लिए जा रहे हैं। हर कोई आपकी खिल्ली उड़ा रहा है।”
अब तो ब्राह्मण का दिमाग चकरा गया। सचमुच शक होने लगा कि वह अपने घर बकरी ले जा रहा था या कोई और जानवर। उसने सोचा कि वह जानवर कोई बुरी आत्मा है, जो कभी कुत्ते, बछड़े या गधे में बदल जाती है। शायद वे लोग ठीक थे।
उसने डर कर बकरी को कंधे से उतार फेंका और घर की ओर सरपट भागने लगा। तीनों ठग ब्राह्मण पर हँसने लगे। वे खुश थे, उनकी तरकीब काम कर गई थी।
शिक्षा :- अपनी बुद्धि लगाओ, दूसरों के बहकावे में मत आओ।
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