Hindi Kahani: “किसी काम की नहीं हो तुम, ऐसा है!अभी निकल जाओ इस घर से” पतिदेव के कटु वचन अँगारे बरसा रहे थे ।
मैं उन्हें ठगी हुई नज़रों से देखती रह गयी, “आखिर कसूर क्या था मेरा?”
बेटी के रूखे बालों को देख उनमें थोड़ा तेल लगाने को कह दिया था।
उसके न कहने पर बस ,माँ के अधिकार ,सख़्ती का प्रयोग किया ,तो उसने अपने पिता से रो-रोकर मेरी शिकायत कर दी।
उनका नादिरशाही फ़रमान मेरे मन को घायल कर चुका था।
किशोर बेटी जो मेरी परछाईं थी,उसे तो मेरे मातृत्व की सावधानियाँ ,शत्रु बनाये ही थीं।
लेकिन ,मेरे जीवनसाथी उसने भी मेरी भावनाओं गर्म तेल की बारिश कर दी हो।मन भरा था और गला भी रुँधा हुआ था।
सबको खिलाने के बाद रसोईघर में काम निपटाने लगी पर किसी ने मेरी भूख या तकलीफ़ पर ध्यान न दिया और सो गए।
आख़िर किसके लिये ज़िन्दा हूँ मैं ?
किसी को मेरी ज़रूरत नहीँ, और फूटकर रो पड़ी।
मन इतना व्यथित था कि कुछ भी अच्छा नहीँ लग रहा था,हार कर छत पर आ गयी।फिर नीचे सड़क पर झाँका ये सोचते हुए।
कि निकल जाऊँगी इन सबकी ज़िन्दगी से तब शायद मेरी अहमियत पता चलेगी।आँखे मूँदी और नीचे छलाँग लगाने की कोशिश कर ही रही थी।
किसी ने मुझे रोक लिया ,।
मैंने पतिदेव को समझ भाव खाते हुए पीछे पलटकर देखा तो वो एक छः फुट लम्बा काला साया था और अब मेरी घिघ्घी बन्ध चुकी थी।मरने वाली को अब मौत का डर लग रहा था तभी उसकी नकियाती भारी भरकम आवाज़ गूंजी “मरना क्योँ चाहती हो”?”तुम …तुम कौन हो मैँने ?”मरी मरी सी आवाज़ में पूछा।मेरा नाम झूमा चुड़ैल है,मैं यहाँ टाइम पास के लिये आई थी, उसने बताया ।”चु..चु…चुड़ैल “मैंने कहा”हाँ बहन “उसने लम्बी साँस लेकर कहा।
थी तो मैं बेहद गुस्से में ,पर जब एक चुड़ैल ने मुझे बहन कह दिया तो उसके अंदर मुझे सासू जी का अक्स दिखने लगा अगर चुड़ैल बहन बोल दे तो दिल पर क्या बीतती है ये कैसे बताऊँ ?
हुँह शक्ल देखी है अपनी मुझसे बराबरी करेगी,अपने उल्टे पैर देख पहले मैंने अपने पैडीक्योर किये पैरों पर लगे लेटेस्ट नेलपॉलिश के शेड को देखकर सोचा।और उसे तुरन्त ही पता चल गया, उसने मेरे मन की बात ज्योँ की त्यों मेरे मुँह पर दे मारी।
मैंने नीचे भागने की सोची पर हाय… हाय पैर जैसे डर से जकड़ से गये।फिर उसने मुझसे बड़ी नरमियत से पूछा तुम जान देना क्यों चाहती हो इन्सान का जन्म बड़ा सहज नहीँ।बड़े दुःख है इन्सान के जन्म में ऊपर से औरतों का मैंने उसे पूरी बात बताकर रोते हुए कहा।उसने मुझे सान्त्वना देने के प्रयास में अपने गले लगाया पर उसका तो शरीर था ही नहीं उसके शरीर से आर पार होकर मेरी नुकीली नाक और चौड़ा माथादीवार की टक्कर से घायल हो गये और ओह की आवाज़ निकली।”बस इसी बूते पर मरने चली थीं उसने मज़ाक उड़ाने के स्वर में कहा।’मैं चोट खाने के बाद अपनी खोपड़ी के चारों तरफ नाचते तारों के दर्शन में व्यस्त थी।”आज ही मेरा भूत फ्रेंड से ब्रेकअप हुआ मैं तो मर भी नहीँ सकती,एक बार आत्महत्या करके उसके मज़े अभी तक भोग रही हूँ”,झूमा चुड़ैल ने मायूसी से कहा।”क्या भूत फ़्रेंड “मैंने अकबका कर कहा।”हाँ हमारे फ्रेंड भी होते हैं और पार्लर भी एक दूसरी चुड़ैल के हेयर स्टाइल और मेकअप को कॉपी करने का इल्ज़ाम लगा ज़लील किया उसने “वो रोते हुए बोली।”पर इसका मेरी आत्महत्या से क्या लेना-देना,तुम मेरा खून पीकर खत्म कर दो मुझे”मैंने उसे ज़ोर देते हुए कहा।इस पर उसने एक डिवाइस हाथ मे निकाल कर मुझे मेरी काल्पनिक मौत दिखाई।मैं अपने शरीर की नाक़दरी देखकर तो घबराई ही अपनी माँ ,सास पति और बच्चों को ख़ुद के लिये रोते देख सहम गई।झूमा ने मेरे चेहरे के आते जाते भाव देख कहा,”ये तो कुछ नहीँ भूत बनने में बहुत खिट खिट है रे बाबा!बहुत सारे नुकसान भी हैं ।पर मुझे आज अपने पति से बदला लेना है अपनी बेइज़्ज़ती का जो उन्होंने बच्चों के सामने की थी मेरी।तुम मेरा ख़ून पीकर मुझे खत्म कर दो।इस पर झूमा ने मुझे समझाते हुए कहा देखो …जहाँ सुई से काम चल जाये वहाँ तलवार की क्या ज़रूरत ।कभी मैं भी एक इन्सान थी आज बस पछतावा हाथ लगा मुझे।”मतलब “मैंने हैरानी से कहा।मैं तुम्हें एक दिन के लिये अदृश्य कर सकती हूँ…उसने राज़ भरे स्वर में कहा।क.. क.. क्या… फिर वापस ठीक कर दोगीहाँ शाम तक तुम नॉर्मल हो जाओगी।तब तक तुम्हें मेरी ज़िन्दगी के नुकसान के बारे में भी पता चल जाएगा।और मैंने झूमा की बात पर सहमति जता दी,और ख़ुशी ख़ुशी सोने चली गयी,झूमा मेरे साथ ही थी।सुबह अलार्म की आवाज़ पर घरवालों की घबराहट भारी थी,मेरी खोजबीन युद्ध स्तर पर थी।पतिदेव की बनाई चाय लेने मैं रसोईघर में घुसी तो कप को हवा में तैरता देख सासू जी की माला उनके हाथ से छूट गयी।झूमा को भी बहुत हँसी आई ,किसी तरह पतिदेव रसोईघर में हिम्मत कर दोबारा चाय बंनाने आये तो पाया शक्कर खत्म थी।उनकी नज़र सबसे पीछे रक्खे डिब्बे पर पड़ी तो मैंने पायाअरे!इसमें तो मैंने पूरे दो हज़ार के बीस नोट छुपाए थे।फुर्ती से उन्हें धक्का मारकर डिब्बा छीनकर भागी और ख़ुद को स्टोररूम को अंदर से बंद कर लिया।घर आज गन्दा पड़ा था मेरे हाथ झाड़ू लगाने को मचले पर झूमा ने कहा तुम बात बिगाड़ दोगी क्योंकि तुम अदृश्य हो।आज पूरे दिन आराम करो और मज़े लो।मैं आज मस्ती से सबके पीछे खड़ी सबके फोन के पास वर्ड देख रही थी।मेरी तलाश की फ़िक्र और पतिदेव का रूआंसी शक्ल अब मुझे शान्ति नहीँ दे रही थी।उन्होंने किसी तरह बर्तन धोकर खाना बनाने की सोची पर उन्हें बाहर से मंगवाना सहज लगा।सो ऑर्डर कर दिया,ऑर्डर आते ही सबको इधर उधर देख एक पिज़्ज़ा मैं तेज़ी से उठा कर भाग गई।पर और सबसे खाया न गया, मेरी खोज़ में सब थक गये बेटी के कोचिंग जाते समय मैं और झूमा भी उसके साथ ऑटोरिक्शा में बैठ गयी ,और उसमें बैठे दो मजनुओं को भी पीट लिया।बेटी जब पानीपूरी खा रही थी तो एक चुपके से मैंने भी खा ली।
बस झूमा भरी हुई आँखों से ये सब देख रही थी।घर आकर सोचा गली में ही टहल लेती हूँ तो निर्मल सब्ज़ी वाला दिखाई पड़ा।उसके ठेले से थोड़ी दूर खड़ी हो गयी,आज तो सब्ज़ी भी नहीँ ख़रीद सकती थी ,मगर जिस सब्ज़ी वाले को मैं महंगा देते हो कह कर झिड़की दे देती थी।
वो अपने बच्चे की गम्भीर बीमारी की हालत में भी काम पर निकला था।और मैं आज सबक ले रही थी कि गरीब से ज़्यादा मोलभाव उचित नहीं।तबतक नज़र घर के अन्दर जाती पड़ोसन पर पड़ी ।
माँजी बेहाल पति राजीव के गले में सुबह की चाय के बाद कुछ न उतरा था।बच्चे पूजाघर में दिया जलाए मेरी वापसी की कामना कर रहे थे।
मेरा प्यार से सजाया घर बेजान लग रहा था हाय! इस घर की जान तो मुझसे ही है।बेडरूम में गयी तो पाया पतिदेव मेरी शादी की फ़ोटो को मायूसी से देख रहे थे।तब तक पुलिस मेरे बारे में पूछने आई और उसने मेरे गायब होने का पहला शक मेरे राजीव (पतिदेव )और वृद्ध सास पर ही जताया।वो लाचारी से अपने बेगुनाह होने के बारे में बता रहे थे और पुलिस उनकी हर दलील को नकार रही थीमैं अब और बर्दाश्त न कर पाई, वैसे भी झूमा की शक्ति सुर्यास्त के बाद ही डीएक्टिव होती तभी मैं सबको दिख पाती,सो आँसू पौंछकर बाहर आ गयी।अब अपने घरवालों की तकलीफ़ मुझसे नहीँ देखी जाती, मुझे वापस नार्मल कर दो मैंने झूमा से गिड़गिड़ाते हुए कहा।सब बेकार,झूमा ने हिकारत से देखकर कहा,”अभी तो तुम सिर्फ अदृश्य हो अगर कोई गलत कदम उठा लेतीं तो कितना पछताती।
जब तुम गोलगप्पे ,पिज़्ज़ा खा रहीं थी,मैं सिर्फ़ उन्हें सोच सकती थी,तुम्हारे लौटने की आस है तुम्हारे घरवालों को और मुझसे किसी को कोई उम्मीद नहीं।
ज़िन्दगी बहुत हसीन होती है।”ये जीने के लिये है न कि खोने के लिये, तुम्हारी वापसी की आस में भगवान के आगे दिये जगे हैं,मेरा परिवार मेरे डर से तावीज़ पहनता है।मैं मंत्रमुग्ध सी उसकी बातें सुन रही थी,फिर मैंने उससे कहा बहन अब नॉर्मल कर दो मुझे।ज़रूर बस दस मिनट का समय लगेगा पर वादा करो कि कभी कभी मेरे बच्चों को भी अपनी ममता की छाँव दे दोगी इस मदद के बदले।ज़रूर मैंने आश्वासन देते हुए कहा,और थोड़ी देर बाद मैं ठीक हो चुकी थी।”ये लो चुड़ैल मन्त्र “उसने शरारत से कहा।”चुड़ैल मन्त्र …”मैंने आँखे फैलाकर कहा।हाँ चुड़ैल का इलाज़ ताबीज़ है,पर पत्नी का कोई इलाज नहीँ तो ज़िन्दा रहकर पति को सताओ न।अगर तुम्हें कुछ हो जाता तो ये डिजायनर साड़ी ज़ेवर सौतन पहनती कि नहीँ।सो तो है मैंने लम्बी साँस लेकर कहा।
तबतक सामने से राजीव छत पर मुझे खोजते परेशान दिखे और मुझे देखकर ये कहकर रो पड़े ,”,कहाँ चली गयीं थीँ, तुम “और मैंने अपने सूजे चेहरे को दिखाकर कहा बस एक छोटा सा एक्सीडेंट हो गया था।हकीकत तो बस मुझे और झूमा को मालूम थी कि ये चोट एक चुड़ैल के गले लगने का नतीजा थी। नीचे पहुँची तो मेरा स्वागत सत्कार मुझे ही हज़म नहीं हो रहा था पर झूमा ने चुड़ैल होकर भी ज़िन्दगी के मायने सिखा दिये , क्रोध पर ज़िन्दगी हमेशा भारी होती है।
