अचानक उसने कुछ कुत्तों के भौंकने की आवाज़ सुनी। वह अपनी जान बचाने के लिए भागा और एक रंगसाज के घर घुस गया। घर के आँगन में नीले रंग से भरा टब पड़ा था। सियार उसमें गिर पड़ा।
वह कुत्तों के लौटने तक उसी में छिपा रहा। जब वह टब से निकला तो अपना नीला रंग देख कर हैरान रह गया। वह काफी अलग दिख रहा था। वह झट से जंगल की ओर चल दिया। उसे देख-देख कर जानवर डर के मारे इधर-उधर भागने लगे। उन्होंने नीले रंग का विचित्र सा जानवर पहले कभी नहीं देखा था। यह देख कर सियार के दिमाग में एक योजना आई। उसने सभी जानवरों से कहा – “तुम डर क्यों रहे हो। मेरे पास आओ और बात सुनो।”
हिचकते हुए, एक-एक जानवर उसके पास जाने लगा। सियार बोला -“डरो मत! ईश्वर ने मुझे तुम्हारा राजा बनाने के लिए यहाँ भेजा है। मैं तुम सबकी रक्षा व देखभाल करूँगा।” सभी जानवरों ने उस पर विश्वास कर उसे अपना राजा मान लिया। सियार ने शेर को अपना मंत्री, चीते को सहायक और भेड़िए को दरबान नियुक्त किया। वे सब राजा को अच्छा-अच्छा भोजन भेजते। सियार खुशी-खुशी रहने लगा।
एक दिन सियार ने सभी जानवरों की सभा बुलाई थी। तभी थोड़ी दूरी पर शोर सुनाई दिया। सियारों का एक झुंड ‘हुँआ-हुँआ’ की आवाजें निकाल रहा था। अपने साथियों की आवाजें सुन कर सियार बहुत प्रसन्न हुआ, – आँखों में खुशी के आँसू आ गए। वह भूल गया कि वह अब राजा है, वह भी मुंह ऊँचा करके जोर-जोर से हुआ-हुँआ करने लगा। जल्दी ही, सारे जानवर जान गए कि उनका राजा कोई और नहीं सिर्फ एक सियार था। जो बहुत समय से उन सबको ठगता जा रहा था। वे सब गुस्से में आकर उसके पीछे भागे और उसके । टुकड़े-टुकड़े कर दिए। वह वहीं मारा गया।