मेरा घर है-गृहलक्ष्मी की कहानियां: Mera Ghar
Mera Ghar Hai

Mera Ghar: सुनैना अपने घर से ऑफिस जाने के लिए निकली थी, कि गुरमी साहूकार ने रोक लिया | बहन इस महीने का किराया | सुनैना सकपका गयी, किराया का घर, और रोज़- रोज़ गुरमी का आकर किराया मांगना उसे बहुत खलता था | उसने ५०० के ८ नोट निकाले और बड़े बेमन से उसकी तरफ बड़ा दिए | साहूकार झूमता हुआ आगे बढ़ गया |
सुनैना सोच रही थी, कब उसका अपना घर होगा और कब इस साहूकार से छुटकारा मिलेगा | सुनैना के घर पर उसकी माँ और दो छोटे भाई थे | पिताजी एक हादसे में चल बसे थे | माँ को हमेशा सुनैना की शादी की चिंता सताती थी उम्र भी अब २८ साल की हो गयी थी | घर परिवार की ज़िम्मेदारी उठाते-उठाते कब जवानी की दहलीज पार कर गयी पता ही नहीं चला | दोनों भाई अब बड़े हो गए थे | दोनों ने नौकरी शुरू कर दी थी |

आज सुनैना को देखने लड़के वाले आने वाले थे | माँ सुबह से ही पकवान बनाने में लगी हुई थी | राकेश एक अच्छे घर का सभ्य लड़का था | उसकी दो बहनें थी जो की शादी शुदा थी | और एक बड़ा भाई जो साथ में ही कारोबार करता था | आज माँ चाहती थी की सुनैना का रिश्ता हो जाये | राकेश का परिवार सही वक़्त पर आ गए |
सुनैना ने पीले रंग की साड़ी पहन रखी थी | और बहुत खूबसूरत लग रही थी | उसे राकेश पसंद आ गया था | खुले विचारो वाला , उसे उसकी नौकरी करने पर कोई ऐतराज़ नहीं था | राकेश को भी सुनैना पसंद आ गयी थी | दोनों का रिश्ता तय हो गया | अब बस शहनाई बजने की देर थी | दो महीने बाद का मुहरत निकला और सुनैना अपने आँखों में नए सपने सजोए हुए ससुराल आ गयी | कुछ महीने सब ठीक चलता रहा | पर अब राकेश और उसके परिवार का असली चेहरा दिखाई देने लगा |

अब सासूमाँ को सुबह पूरा बना कर जाने वाली बहु चाहिए | बड़ी भाभी ज़्यादा तर बीमार रहती थी , तो वह कुछ काम नहीं करती थी | उनकी बेटी रानो को भी सासूमाँ ही संभालती थी | अब राकेश भी सुनैना से नौकरी न करने के लिए ज़िद करने लगा था | और घर परिवार की ज़िम्मेदारी उठाने के लिए कहता |
सुनैना भी पूरी कोशिश करती कि किसी को कोई मौका न मिले, पर कुछ न कुछ गड़बड़ हो ही जाती | लड़ाईया बढ़ने लगी | राकेश ने एक दिन सुनैना से अपने घर जाने को बोल दिया | सुनैना ने पूछा क्या यह मेरा घर नहीं है ? राकेश ने साफ़ कह दिया कि यह मेरा घर है , यहाँ पर रहना है, तो मेरे हिसाब से रहो | वरना जाओ अपने घर |
सुनैना की आखों में आँसू भर आये | रोते रोते वह अपने माँ के घर चली गयी | माँ ने जब सारी बातें सुनी, तो सुनैना को समझाया बीटा अब वो ही तेरा घर है, राकेश ही तेरा सब कुछ है | ससुराल ही तेरा घर है | यह घर पराया है | तेरे भाइयों के लिए भी लड़की देख रखी है, उन्हें पता चलेगा तो सब गड़बड़ हो जाएगी | तुम कल राकेश से माफ़ी माँग लेना और अपनी नौकरी छोड़ दो |
माँ का ऐसा जवाब सुन कर सुनैना अवाक् रह गयी | वह चुप चाप अपने पति के घर चली गयी और राकेश से वादा किया कि कुछ दिनों में नौकरी से इस्तीफा दे देगी |
अब वह सुबह सबका खाना बनाती और रात को आकर घर घर के काम करती | लेकिन उसने चुपके से एक १ b h k बुक कर दिया और अपनी सैलरी से उसकी किश्त कटवाने लगी | २ साल बीत गए, भाभी भी आ गयी | पर सुनैना अपने माँ के घर नहीं गयी | माँ बुलाती थी पर वो जाती नहीं थी | शायद उसे बहुत चोट लगी थी |

अब उसका घर तैयार था और उसने उसका पोस्सेशन भी ले लिया |
अब बड़ा फैसला लेने का वक़्त आ चुका था | उसने राकेश तलाक लेने का फैसला किया | राकेश को पेपर्स भेज दिए और खुद अपने घर में शिफ्ट हो गयी | राकेश को ऐसी उम्मीद नहीं थी | वो सुनैना से मिलने गया , तो सुनैना ने बस इतना कहा कि यह मेरा घर है | न मेरी माँ का और मेरे पति का | इस पर सिर्फ मेरा अधिकार है | शायद आपको याद होगा आपने कहा था, कि अपने घर जाओ | लो आ गयी अपने घर | अब आपकी कोई ज़रुरत नहीं | आप स्वतंत्रत है अपने घर में |
राकेश अपना सा मुँह लेकर वहाँ से चला गया और सुनैना आज अपने घर में बहुत खुश है |

ख़ुशी शायद हमारे अंदर ही होती है, हमें उसे बहार निकालना होता है | यह मेरा घर है, उसी को दर्शाती है, कि आप स्वाबलंबी बने अहंकारी नहीं | इसी विचार के साथ आप आगे बढ़ते रहे और जीवन में नई ऊचाईया हासिल करते रहें | सुनैना ने तो अपना मक़ाम हासिल कर लिया, आपका क्या इरादा है ?
सोचिये और मुझे बताइये | तब तक अलविदा और पढ़ते रहिये ऐसी ही मनोरंजक कहानियाँ |