अंतराल समय का-गृहलक्ष्मी की कहानियां
Antraal

Story in Hindi: सुनैना बारात से जल्दी ही अपने घर लौट चुकी थी ।
एक तो घर पर उसकी सासु मां पूरी तरह से बिस्तर पर पड़ी हुई थीं।
दूसरी उसे अपनी बहू का गृह प्रवेश कराना था । उसे इसकी तैयारियां भी करनी थी, इसलिए उसने अपनी देवरानी और बाकी लोगों को कह रखा था कि बहू रितिका की विदाई जब हो जाए तो उसे खबर कर दिया जाए।
सुनैना थोड़ी चिंतित भी थी।कारण था उसका बड़ा बेटा विक्रम अपनी पसंद से शादी कर रहा था।
काफी दिनों से, लगभग स्कूल के समय से दोनों में दोस्ती थी।
पढ़ाई के बाद नौकरी भी लग गई लेकिन विक्रम की पसंद बरकरार रही।
उसने सुनैना से बहुत पैरवी किया था लेकिन काफी दिनों तक टालमटोल करने के बाद सुनैना ने आखिरकार हां कह ही दिया। विक्रम घर का बड़ा पोता था। इसलिए परिवार में सभी को इंतजार था कि वह परिवार की मरजी से शादी करेगा।
लेकिन विक्रम की जिद और बढ़ती उम्र ने सबके मुंह पर ताला लगा दिया था।
कहीं न कहीं इस बात के लिए भी पूरे घर में सुनैना को ही जिम्मेदार माना जा रहा था।
उसने विक्रम को अच्छी परवरिश नहीं दी है।
जैसे ही रितिका की विदाई हुई सुनैना की देवरानी रीमा ने फोन कर सुनैना को खबर कर दिया रितिका की विदाई हो चुकी है।
बहू एक घंटे तक घर पहुंच जाएगी ।
“ठीक है !,सुनैना ने कहा फिर अपने घर के सभी नौकरों को सजावट का सामान ठीक करने के लिए कहने लगी।

Also read: भ्रमजाल-गृहलक्ष्मी की कहानियां


“बाबू ,फूलों की झालर ठीक कर दो …,चंदा ,बेटे बहू का कमरा ठीक कर दो।
वहां फूलों वाली चादर बिछा देना। गुलाब और चमेली के बेलें अच्छे से लगा दो।
आज की रात बेटे बहू की पहली रात होगी तो उनका कमरा फूलों से महकना चाहिए ।”
सारी तैयारी करने के बाद सुनैना अपनी सासु मां के कमरे में गई।
वह लेटी हुई माला फेर रहीं थीं।
“अम्मा, आपकी पौत पुतोहू आ रही है। आपकी दिली इच्छा थी न। देखिए आपका सपना पूरा हो गया।”
परंतु सासु मां ने कोई जवाब नहीं दिया।वह बहुत ज्यादा बीमार भी थीं। उन्हें सुनाई भी कम देता था।
सुनैना वहीँ बैठ गई।
वह पुरानी बातें याद करने लगी थी, जब उसकी उसकी भी शादी हुई थी और उसका भी गृह प्रवेश उसकी सास ने किया था।
“आओ बहू, इस घर में तुम्हारा स्वागत है।” सास ने आरती उतारते हुए उससे कहा था ।
वह शर्माती लजाती हुई अपनी साड़ी संभालती रही थी।
उसकी सासू मां ने कहा
“इस चावल भरे कलश को पैर से गिराकर आलते से भरी हुई थाल पर अपने पैर रखकर अपनी पांव से चलकर पूजा घर तक चलो।”
पूजा घर में कुलदेवी की पूजा करने के बाद उसे और विक्रम को लेकर उसके कमरे तक पहुंचा दिया था।
” तुम दोनों थोड़ी देर आराम करो। उसके बाद शाम की रीति रिवाजें शुरू हो जाएंगे।”
शादी के बाद एक हफ्ते भी नहीं बीते थे कि उसकी सासुमां ने उसके हाथों में पूरे घर की कमान सौंपते हुए कहा
“बड़ी बहू, तुम्हारे हाथ में यह घर है।तुम इस घर की बड़ी बहू हो।इस घर की मर्यादा कम न हो पाए।सब तुम्हें ही देखना है।
अगर तुम यह सोचोगी की यह तुम्हारा ससुराल है तो तुम्हें पराया लगेगा। तुम्हें यह सोचना होगा कि यह घर तुम्हारा है।”
” जी मां, आप जो बोलेंगी मैं वैसा ही करूंगी।”
ससुराल का नया जोश था। सुनैना ने पूरे ससुराल की जिम्मेदारी अपने कंधों पर उठा ली और बड़ी बहू का पूरा फर्ज निभाना शुरू कर दिया।
सुनैना के पति शशि से छोटे दो भाई थे और दो बहने थीं।
सुबह नाश्ता बनाने से लेकर रात के खाने तक सबकी जिम्मेदारी सुनैना के ऊपर थी।
सबकी जरूरत और आशाओ को पूरी करती सुनैना अपने आप को कब की भूल भी चुकी थी।
जबतक ससुर जी रहे तबतक उसके सिर से पल्लू तक नहीं खिसका।
सलवार सूट और अपने पसंद के कपड़ों की इच्छा तो मन में ही दबी रह गई।
अपनी सारी इच्छाओं क़ो मारकर एक नई दुनिया में, फिर भी वह बहुत खुश थी।
कुछ साल पहले जब उसके बेटे ने उसे अपनी पसंद की लड़की के साथ शादी करने की बात की थी, तब सुनैना के पैरों के नीचे से जमीन खिसकने सी लगी थी।
” उसका भरा पूरा परिवार है।सब क्या कहेंगे लड़का अपने से शादी कर लिया है..!”
कितनी भी पढ़ाई कर लो हमारी मानसिकता वही रह जाती है।
जब अपने सिर पर गुजरती है तब सब मॉडर्निटी पोंगा पंथी लगने लगता है।
सुनैना के साथ भी ऐसा ही हो रहा था ।जब से उसकी बेटे की नौकरी लगी थी तब से दर्जनों लड़की वाले अपने फोटो टिपणी लेकर आ रहे थे लेकिन विक्रम जिद पर अड़ा था कि वह अपनी पसंद से शादी करेगा।
हार मानकर सुनैना और उसके पति शशि ने उसके आगे हथियार डाल दिए।
रितिका देखने में अच्छी थी, अच्छे परिवार की लड़की थी और एक अच्छी जॉब भी कर रही थी।
पर सभी को एक ही डर लग रहा था कि आजकल की मॉडर्न लड़की और प्रेम विवाह..!,वह इस घर में निभा पाएगी या नहीं।
लेकिन शशि ने सुनैना को संभालते हुए कहा
” सुनैना, समय के साथ सब कुछ बदल लेना पड़ता है।
जब तुम इस घर में आई थी, उस समय बड़ी बहू के मायने अलग थे।तुमने सिर्फ सैक्रिफाइस किया है।
और मैं भी चाहकर भी अपना मुंह नहीं खोल पाता था।
पर अब समय बदल गया है आजकल के बच्चों से हम उम्मीद नहीं करनी चाहिए बल्कि उनके साथ कदम से कदम मिलाकर चलें तभी परिवार चल पाएगा वरना टूट कर बिखर जाएगा।”
“आप बिल्कुल सही कहते हैं जी, आजकल की बच्चों से उम्मीद करना बेकार है। हमें अपनी ड्यूटी पूरी करनी चाहिए,बस।”
तभी गाड़ी की हॉर्न सुनाई देने लगी और साथ में रीमा का फोन घनघनाने लगा।
“दीदी, बस पांच मिनट में हमलोग पहुंचने वाले हैं।”
सुनैना ने चंदा को आवाज देकर कहा
” चंदा, आरती की थाली लेकर आओ!”
सुनैना आरती की थाल लेकर रितिका की आरती उतारी फिर शगुन के पानी डालकर उसके पैर धुलाया।
उसने भी दरवाजे पर चावल से भरा हुआ कलश रखा और कहा
“इसे अपने पैरों से गिरा कर आलते की थाल में पैर रखकर अंदर आओ।”
पूजा घर में कुलदेवी की पूजा करने के बाद सुनैना ने बेटा बहु को उनके कमरे में पहुंचा दिया।
” वाह मॉम, आपने मेरा कमरा कितने अच्छे से डेकोरेट किया है। आई लव इट।
थैंक यू वेरी मच!” रितिका सुनैना के गले से लिपटकर बोली।
सुनैना एक पल के लिए अवाक रह गई लेकिन फिर मुस्कुराने लगी।
उसने रितिका से कहा
” बेटी , तुम्हें पसंद आया!”
” यस मॉम बहुत ज्यादा ही।” रितिका अपने बेड पर बैठते हुए बोली।
“मॉम ,विक्रम ने मुझे बताया है कि आप हमारे हनीमून के लिए लॉन्ग डेस्टिनेशन प्लान किए हैं।
थैंक यू वेरी मच।
मैं अपने हनीमून के लिए बहुत अच्छे-अच्छे ड्रेस लेकर आई हूं ।
आपको दिखाउं? देखिए ना…
उसने अपने सूटकेस खोलकर सारे कपड़े अपने बिस्तर पर भी बिखर दिए और उन्हें उठाकर दिखाने लगी।
… देखिए मैं यह मेरे नाइट सूट, यह स्विमिंग सूट ,यह शॉर्ट टॉप, वन पीस …ना जाने कितने कपड़े उसके बिस्तर पर पड़े हुए थे है ।
” है ना सुंदर!” रितिका के गाल गुलाबी हो रहे थे। आने वाले समय को लेकर उत्साह उसके चेहरे से दिख रहा था ।सुनैना दो मिनट तक चुप रही। उसे गुस्सा भी आया फिर उसे याद आया जब वह दो दिनों के लिए रामेश्वरम जा रही थी तब भी सलवार कुर्ती पहनने की इजाजत नहीं मिली थी।
उसे बड़ी दिक्कत होती थी साड़ी के प्लेट्स बनाने में तो उसे बहुत ही ज्यादा गुस्सा आता था।
अपने दिन याद कर उसका गुस्सा काफूर हो गया। उसने रितिका के सिर पर हाथ फिराते हुए कहा
“अच्छे ड्रेस है। सुंदर है। जब घूमने जाओगी तो मुझे चुपके से सारे फोटो व्हाट्सएप कर देना।”
” येस मॉम!आफ्टर ऑल आपने हमारे प्यार को शादी के लिए गो हेड दे दिया,थैंक्यू मॉम ऑलवेज आइ बी ग्रेटफुल टू यू।”
“इट्स ओके…,सुनैना ने आगे कहा.. रीतिका तुम इस घर की बड़ी बहू हो।
अब शादी हो गई है अपनी जिम्मेदारी समझो। इस घर सभी परिवार के लोगों की इज्ज़त करना तुम्हारा काम है।
किसी को शिकायत का मौका नहीं मिले।”
“येस मॉम आई नो!, मैंने आफ्टर ऑल विक्रम से प्यार किया है और शादी किया है तो फिर उसका घर मेरा ही घर होगा ना और आप उसकी मॉम हैं तो मेरी भी मॉम है।
आप प्लीज बिल्कुल फिक्र मत कीजिए । मैं आपको शिकायत का मौका बिल्कुल भी नहीं दूंगी।
उसने विक्रम की तरफ मुस्कुराते हुए देखते हुए कहा
” है ना विक्रम !”
“हां हां बिल्कुल!” विक्रम भी उसकी बातों में हामी भरते हुए मुस्कुराते हुए कहा ।
सुनैना भोच्चकी होकर उन दोनों की बातों को सुनती रही।
आजकल के बच्चे भी न…!!हमें ही समझना कठिन था लेकिन आजकल के बच्चों को समझना बहुत आसान है। वह खुद समझदार है अपनी जिम्मेदारी समझ लेते हैं।
” चाइल्ड इस द फादर ऑफ मैन !”
“तुमलोग फ्रेश हो जाओ फिर दादी से मिलने चलते हैं।वह तुम दोनों का ही इंतजार कर रही हैं।”
सुनैना मुस्कुराती हुई वहां से निकल गई।
शशि ने ठीक कहा था थोड़ा हमें ही बदलने की जरूरत है।