एक नई सोच -गृहलक्ष्मी की कहानियां
Ek Nayi Soch

Hindi Story: सुनैना के सीने में अचानक तेज दर्द उठा जब वो रसोई घर में चाय बना रही थी उसने  एक हाथ से किचन स्लैब को कस कर पकड़ लिया और दूसरा हाथ अपने सीने पर रख लिया। उसे सांस लेने में दिक्कत हो रही थी। उसने अपने  पति प्रशांत को जो कि थोड़ी देर पहले ही ऑफिस से आया था, आवाज लगाई पर गले से आवाज ही नहीं निकली। बड़ी मुश्किल से वो खुद को संभाले खड़ी थी।

इधर ड्राइंग रूम में बैठा प्रशांत अपनी टाई उतारते हुए झल्ला रहा था। सुबह सुनैना से झगड़कर ऑफिस गया और वहां भी सारा दिन मूड ऑफ ही रहा बॉस से डांट सुनी सो अलग। झगड़ा भी किस बात का, उसने मायके जाने के लिए ही तो पूछा था। मेरे साफ मना करने पर कि तुम चली जाओगी तो घर का ध्यान कौन रखेगा फिर मां भी तो अकेले सारा दिन कैसे संभालेंगी सब कुछ।

सुनैना तो बस आंसू बहाती रही और सुबकती रही।

“चाय बनाने में कितनी देर लगती है।” प्रशांत चिल्लाते हुए बोला।

“चिल्ला क्यों रहा है, बहू बना तो रही है। हो सकता है तेरे लिए कुछ नाश्ता बना रही हो। सुबह ना कुछ खा कर गया और ना ही लंच ले गया। तेरा  लंच लेकर गेट तक 

गई थी पर तू तो ना जाने किस बात पर इतना गुस्सा हो जाता है।” 

संजना ने अपने बेटे प्रशांत को पानी का ग्लास थमाया।

“ले ठंडा पानी पी और गुस्सा शांत कर।”

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“मां देखिए ना कितनी देर हो गई मुझे ऑफिस से आए हुए और सुनैना ने अभी तक चाय नहीं दी और ना ही पानी तक के लिए पूछा। पता नहीं सारा दिन घर में करती ही क्या है। थका हुआ घर आऊं और चाय पानी के लिए भी तरसना पड़ता है। बेकार तुमने मेरी शादी करवाई इससे अच्छा तो पहले ही सही था मेरी जिंदगी में सब कुछ। वैसे भी तुम तो हमेशा उसका ही पक्ष लेती हो और मेरी ही गलती ढूंढ़ती हो।”

“अच्छा देखती हूं मैं, इतनी देर क्यों लग रही है। वैसे भी वो इस घर की बहू है और किसी की बेटी… नौकरानी या रोबोट नहीं जो तेरे और इस परिवार के लिए दिन भर खटती रहे और तेरे इशारे पर नाचती रहे।”

संजना को बेटे  की बातें बिल्कुल पसंद नहीं आ रही थी, ऐसे संस्कार तो नहीं दिए थे बेटे को।

फिर अपनी पत्नी के प्रति ऐसा व्यवहार क्यों कर रहा है मेरा बेटा। हो ना हो कुछ कमी तो मुझमें ही रह गई बेटे की परवरिश में। बहनों का दुलारा कभी एक ग्लास पानी तक अपने से लेकर पीने का मौका नहीं देती थी।

रसोई घर में सुनैना को जमीन पर गिरा देख उसके पास दौड़कर आई और उसके हाथों को सहलाने लगी।

उसके  चेहरे पर पानी के छींटें मारे और माथा सहलाया 

“सुनैना बच्ची उठ… क्या हुआ…

क्या हुआ मेरी बच्ची…

उठ जा बच्ची…”

संजना की आंखों से आंसू गिर कर सुनैना के चेहरे को भिगो रहे थे पर वो तो अपनी सास की गोद में आराम से सो रही थी।

संजना ने बेटे को पुकारा…

“प्रशांत…  जल्दी आ…  बेटा सुनैना को कुछ हो गया है…”

“अब क्या हुआ…?”

 झल्लाता हुआ प्रशांत सोफे से उठा और मां की पुकार सुनकर रसोईघर में पहुंचा।

“मां क्या हुआ इसे। कोई नया ड्रामा कर रही है। आप चलो यहां से। नहीं पीनी मुझे कोई चाय। आप छोड़ दो इसे यहीं पर। घर में बिस्तर की कमी पड़ रही है इसे जो यहां किचन में आकर सो रही है।”

“चुप कर…  पहले डॉक्टर को फोन लगा। मुझे लगता है या तो इसका बीपी लो हो गया है या हार्ट अटैक आया है। गरमी भी तो कितनी बढ़ गई है, शायद गर्मी से ही चक्कर आ गया हो।”

“कुछ भी नहीं हुआ है मां इसे … बस काम ना करने के 

नए बहाने खोज रही है और सोच रही होगी ऐसा कोई ड्रामा करे जिससे इसे तुरंत मायके छोड़ आऊं।”

“तेरा बहू से सुबह इसी बात पर झगड़ा हुआ है ना…

 उसी कारण इसने सुबह से कुछ खाया भी नहीं। समय बर्बाद मत कर। जल्दी से गाड़ी निकाल और हॉस्पिटल ले चल।”

संजना की दो बेटियां और एक बेटा है। दोनों बेटियों की शादी के बाद बेटे प्रशांत की शादी के समय उसके मन में सिर्फ यही ख्याल था कि दोनों बेटियों के ससुराल जाने के बाद बेटियों की कमी से घर के सूनेपन को एक बेटी ही मिटा सकती है और घर मैं रौनक बरकरार रख सकती है इसलिए उसने मन में सोच लिया था कि वो सास नहीं मां के समान ही अपनी बहू का ध्यान रखेगी। 

वो भी तो बेटियों की मां है। वो जैसा व्यवहार दूसरे की बेटी के साथ करेगी ठीक वैसा ही व्यवहार तो उसकी बेटियों के साथ उनकी सास करेगी। भले उसने अपने जीवन में कितने भी कष्ट सहे हैं, सास और ससुराल वालों के तानों का शिकार रही है पर अपनी बहू को बेटी की तरह ही मानेगी।

प्रशांत भले गुस्से में कुछ बोल रहा था पर वो सुनैना को बहुत प्यार करता है इसलिए तो उसे अपने से दूर कहीं जाने नहीं देना चाहता था। 

डॉक्टर ने बताया कि सुनैना प्रेगनेंट हैं, कई बार महिलाओं को गर्भ धारण के बाद इस तरह की समस्या आ जाती है। 

यह खबर सुनकर जहां प्रशांत के पैर जमीन पर नहीं पड़ रहे थे वहीं संजना घर में फिर से इतने सालों बाद किलकारी गूंजेगी सोच कर ही रोमांचित हो रही थी। 

सुनैना को जब होश आया और उसने अपनी सास को अपने माथे पर हाथ फेरते देखा तो उसके मन से आवाज आई कि तू तो बहुत ही भाग्यशाली है जो तुझे संजना जैसी सास मिली। 

संजना ने सुनैना की मां को फोन पर यह खुशखबरी देते हुए कहा, ‘समधन जी आप लंबा प्रोग्राम बना कर आईएगा। यहां संजना जब तक आपके साथ रहना चाहे आप यहीं रहिएगा हमारे घर। जानती हूं इन दिनों वो अपने मन की बात मुझसे ज्यादा आपसे खुलकर बता पाएगी।उसे क्या खाने का मन है या क्या करने का मन है।”

सुनैना की मां अपनी बेटी के ससुराल में आ तो गई पर लोक समाज का डर उसे संता रहा था कि लोग क्या कहेंगे कि बेटी के ससुराल में डेरा जमा लिया।

“हम लोगों की बातों पर जीना तो नहीं छोड़ सकते, वो तो कुछ न कुछ कहेंगे ही उनका तो काम ही कहना है पर हमें अपने बच्चों के बारे में सोचना चाहिए बस। अभी आपकी बेटी को आपकी ज़रुरत है।”

सुनैना अपनी सास और मां के बीच में आकर बैठ जाती है और कहती है…

” मुझे आप दोनों की जरूरत है‌ भले एक मां ने जन्म दिया है पर अब मेरी शादी के बाद मेरी दो दो मां है।”

प्रशांत को भी अपनी गलती का एहसास हो रहा था कि उसे सुनैना के बारे में ऐसा नहीं बोलना चाहिए था। 

सुनैना की दोनों ननद को भी जब पता चला कि भाभी मां बनने वाली हैं तो दोनों बहुत खुश हुई और अपने मायके आ गई।

 संजना सदन में खुशियों दरवाजे पर दस्तक दे घर में समा रही थी। दोनों बहनों को देखकर प्रशांत बड़ा खुश हुआ। 

“देख जैसे तुझे अपनी बहनों का यहां आना अच्छा लगता है और उनका भी मायके आने का मन करता है वैसे ही सुनैना भी है ना। उसके भाई बहन और उसका भी मन करता होगा, एक साथ समय बिताने का। शादी के बाद अपने खून के रिश्तों को भुला दे एक लड़की यह उचित तो नहीं।”

प्रशांत ने अपने काम पकड़ उठक बैठक करते हुए कहा… ” समझ गया अब। अब कभी नहीं सुनैना से झगड़ा करूंगा जब वो मायके जाने के लिए बोलेंगी।”

“जी मेरा मायका ससुराल दोनों जब एक ही घर में है तो मुझे कहीं जाने की जरूरत नहीं।”

कुछ महीनों बाद सुनैना ने जुड़वां बच्चों को जन्म दिया एक बेटा और एक बेटी। 

“मैं भी बेटियों की मां बन गई।” सुनैना ने जब अपनी दोनों मांओं से कहा। तब सामने खड़ी दोनों ननद हंसकर बोली,

 “बेटियां नहीं एक बेटी और एक बेटा है ध्यान से देखो भाभी।”

“हां तो बेटे की शादी के बाद एक और बेटी आएगी ही ना। तो बन गई ना बेटियों की मां।”

सब खिलखिला उठे। सच यही सोच अगर सब रखें तो ससुराल में लड़कियों को मायके की कमी कभी नहीं अखरेगी।