बच्चे को जबरदस्ती खिलाना आज ही बंद कीजिए
पेरेंट्स बच्चे को जबरन खाना खिलाना शान समझते हैं और गर्व से इसे स्वीकारते है। उनके मुंह में जबरदस्ती खाना ठुंसना अपना हक समझते हैं।
Kids Eating Habits: क्या आप बच्चे को जबरन खाना खिलाते हैं? इस सवाल के जवाब में कई मम्मियां ना ही कहेंगी। वे अक्सर किसी के सामने गलती मानने को तैयार नहीं होती है, लेकिन मन ही मन जानती है कि इससे बच्चे का भला नहीं होता है। वहीं कुछ मम्मियां ये स्वीकार लेती हैं और कहती हैं कि मैं चाहती तो नहीं, लेकिन करना पड़ता है। जबरदस्ती न खिलाऊं तो यह कई हफ्ते भूखे रह सकता है। ये पेरेंट्स बच्चे को जबरन खाना खिलाना शान समझते हैं और गर्व से इसे स्वीकारते है। उनके मुंह में जबरदस्ती खाना ठुंसना अपना हक समझते हैं।
यही नहीं असुरक्षित किस्म के पेरेंट्स बच्चों को शारीरिक दंड देने से भी बाज नहीं आते हैं। वे बच्चों पर किसी भी तरह काबू पाकर उसे खिलाना चाहते हैं। लेकिन पेरेंट्स ये भूल जाते हैं कि भोजन का बच्चे की सेहत और खुशी से कितना गहरा नाता है। जब भी आप न खाने वाले बच्चे पर पहली बार हाथ उठाएं तो जान लें कि ऐसा करके आप उसके शुभचिंतक नहीं, बल्कि उसे आईबीएस (इरीटेबल बाउल सिंड्रोम)की ओर धकेल रहे है।
जानिए क्या है इरीटेबल बाउल सिंड्रोम
इरीटेबल बाउल सिंड्रोम कई चीज़ों से जुड़ा है लेकिन यहां जबरन खिलाने या भोजन के प्रति नफरत से पैदा साइकोलॉजी समझना ज़रूरी है। आमतौर पर जब खाना खाते हैं, तो भोजन के पाचन की प्रक्रिया शुरू होती है। भोजन में लार मिलने से एंजाइम काम करते हैं और आंतों में पाचक रसों का स्त्राव होने लगता है।

आईबीएस की स्थिति में खाना देखते ही बच्चे का मुंह सूखता है। आंतों में पाचक रस बनने के बजाए उसे उल्टी आने को होती है। नतीजन बच्चा खाना उलट देता है। अगर फिर भी उसे जबरदस्ती खिलाया जाए, तो भोजन का पाचन सही तरीके से नहीं हो पाता। अगर मामला गंभीर हो, तो उल्टी भी आ सकती है। बच्चा उस खाने से इतनी नफरत करने लगता है कि या तो वह उसे खा ही नहीं पाता या खा लेता है तो पाचन नहीं कर पाता है। ऐसे में भोजन में आयरन, विटामिन, प्रोटीन और विटामिन की कमी हो जाती है।
ये होगा जबरन खिलाने से
मान लीजिए कि बच्चे का पसंदीदा फूड नूडल्स है। अब अगर आप पेट भरा हो, तो उस जबरन धमका कर नूडल खिलाएं, जैसे आप खाना खिलाते हैं। आप यह सुबह-शाम 10 दिन तक यही करें, तो आप देखेंगे कि बच्चा नूडल्स खाना छोड़ देगा। अब यह सोचने की बात है कि फास्ट फूड भी जबरन खिलाया जाए, तो वह उसे भी नापसंद करेगा, तो हेल्दी फूड के साथ भी तो यही होगा।

बड़े काम के हैं ये दो समाधान
- आपको जिद्दी बच्चे को जबरदस्ती खिलाना रोक दीजिए। यहां बच्चा नहीं आप ज्यादा जिद्दी हैं। आप उसे जबरदस्ती खिलाना छोड़ेंगे, तो वह खुद खाने लगेगा। धीरे-धीरे आप इस प्रक्रिया को आगे बढ़ा सकते हैं।
- आपको उसकी पसंद का स्वादिष्ट खाना बनाना है और उसके सामने बैठकर खाना है। याद रहे कि आपको इस स्वादिष्ट भोजन के लिए उसे बिल्कुल नहीं पूछना है। धीरे-धीरे वह आपसे मांग कर खाएगा।

यह सब चार घंटे में नहीं होगा। कम से कम चार सप्ताह तक ऐसा करना होगा। निश्चित रूप से आपका धीरज, बच्चे की अच्छी सेहत का कारण बनेगा।
