फास्ट फूड के लिए बच्चा जिद करता है तो क्या करें

बच्चे का मूलभूत स्वभाव ही विद्रोही होता है। यह वास्तव में रिवर्स साइकोलॉजी है।

Kids Eating Habits: ‘दाल, रोटी , हरी सब्जी से तो इसे जैसे दुश्मनी है… अभी कोई फास्ट फूड सामने रख देंगे, तो झटपट खा लेगा’.. कुछ ऐसी ही शिकायत मम्मियों को अपने बच्चों से होती है। अब देखा जाए, तो आदत भी मम्मियों ने डाली हैं और इस आदत से परेशान भी सबसे ज़्यादा वही है। अब आखिर बच्चों को फास्ट फूड की ऐसी आदत कैसे लग जाती है? इसे जानना बहुत ज़रूरी है। ये जानकर ही इसे समाधान के बारे में जान पाएंगे। वाकई बच्चों के कुछ खास फूड्स की पसंद के मुद्दे को लेकर चर्चा करना ज़रूरी है। बच्चे का मूलभूत स्वभाव ही विद्रोही होता है। यह वास्तव में रिवर्स साइकोलॉजी है।

कैसे काम करती है रिवर्स साइकोलॉजी

एक रिवर्स साइकोलॉजी के मुताबिक बच्चे को जो कहा जाता है, वह उसके उलट ही करता है। अगर आप उसे खाने को कहते हैं, तो वह उस पसंद होने के बावजूद नकार देता है। यही विद्रोही स्वभाव उसे जंक फूड को अपनाने के लिए उकसाता है। वैसे भी जिस चीज़ की मनाही हो, उसे खाने का स्वाद ही अलग होता है। तभी तो वह जंकफूड का मोह नहीं छोड़ पाता है।

इमोशनल ब्लैकमेल

बच्चा अक्सर अपनी पसंद का खाना न मिलने पर हल्ला मचाता है। पेरेंट्स से अपनी मांग पूरी करवाने के लिए बदतमीजी करता है। कई बार ब्लैकमेल करने की भी कोशिश करता है। जैसे बच्चे ने आइस कैंडी मांग ली और आपने ‘न’ कह दिया।

अब पहले तो बच्चा इसके लिए रिक्वेस्ट करेगा। वह कहेगा कि प्लीज़…’आप कभी कुछ लेकर नहीं देते..’. ‘आप मुझे प्यार नहीं करते ..’ यानी कि इमोशनल ब्लैकमेल करना शुरू।

सोशल ब्लैकमेल

उनके इमोशनल ब्लैकमेल करने पर भी जब आप सख्ती से मना करते हैं, तो बच्चा सबके बीच चिल्लाने लगता है। आपको सबके सामने शर्मिंदा करने की कोशिश करता है। जमीन पर लेट कर हाथ पैर पटकने लगता है।

आपने हार मान ली?

उनके सोशल ब्लैकमेल से आप डिस्टर्ब हो गए और आप हार कर उसे वही खाने को दे देते हैं जिसे आप कुछ मिनट पहले तक मना कर रहे थे। साथ ही आप ये भी उन्हें कहते हैं कि ये जहर है।

ट्रिक जान गया बच्चा

धीरे-धीरे बच्चे को ट्रिक समझ आ जाती है। वह जान जाता है कि जिद करके या रो-पीट कर या ब्लैकमेक करके अपनी बात मनवा सकता है।

पेरेंट्स को क्या करना चाहिए

यहां पेरेंट्स को बड़ी समझदारी से काम लेना होगा। ये बच्चों की रिवर्स साइकोलॉजी को समझते हुए पहले तो बच्चे के रोने से घबराएं नहीं। उन्हें रोने का इनाम न दें। अगर बच्चा कुछ न मिलने पर रोए और फिर उसे पा ले तो उसे लगेगा कि इस नकारात्मक काम का इनाम मिल गया। दो-तीन बार ऐसा होने पर उसे यकीन हो जाएगा कि रो कर हर पाबंदी वाली वस्तु पा सकते हैं। इस तरह वह रो-पीट कर बात मनवाने वाला व्यक्ति बन जाएगा।

‘बच्चा जो सुनता है, वही बन जाता है’ ये कहावत याद रखें। बच्चा आपका ध्यान आकर्षित करना चाहता है। वह अच्छे से खाना खा ले तो आप पूरा ध्यान नहीं देते लेकिन वह खाने के लिए तंग करते तो उसे कहानी सुनाते हैं, फुसलाते हैं, बहलाते हैं, कविताएं सुनाते हैं, कार्टून दिखाते हैं या अच्छी चीज़ें लेकर देने का वादा करते हैं। जबकि होने ये चाहिए कि जब वह ढंग से खाना न खाए तो ज्यादा ध्यान न दिया जाए बल्कि सही तरीके से खाना खाने पर तारीफ की जाए। इसके लिए शुरूआत में उनके सही तरीके से खाना खाने पर इनाम दे सकते हैं, लेकिन साथ ही तारीफ भी करेंगे, तो चार चांद लग जाएंगे। बस उसके सामने, उसके न खाने की शिकायत न करें।

अपनी पसंद का खाना न थोपें, खुद फैसला लेने दें

आपको बच्चों में खाने के लिए रूचि पैदा करनी है। इसलिए अपनी पसंद का खाना न थोपें। उसे खुद फैसला करने दें। अगर आप उसे उसके हिसाब से घर का खाना देना घटा कर, बाहर का स्वस्थ भोजन देंगे तो जल्दी ही वह भी घर के बने स्वादिष्ट खाने को अपना लेगा।

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