एक चिड़िया थी। एक था कौआ। दोनों में दोस्ती हो गई। एक बार दोनों ने मिल-जुलकर काम करने की सोची। दोनों ने एक खेत लिया। जब खेत बोने का समय आया तो चिड़िया बोली- ‘चलो कौआ भाई, चलकर खेत बोएँ।’ कौआ बड़ा कामचोर था। उसने बहाना बनाया। बोला- ‘चिड़िया रानी, तुम चलो, खेत बोना शुरु करो। तब तक मैं आता हूँ।’ चिड़िया मेहनती थी। वह खेत पर चली गई। उसने खेत बोना शुरू कर दिया। चिड़िया पूरा खेत बो चुकी पर कौआ नहीं आया।
जब फसल उग आई तो चिड़िया ने कहा- ‘चलो कौआ भाई, खेत की रखवाली करने चलें।’ पर कौआ तो था कामचोर, उसने फिर बहाना बनाया- ‘चिड़िया रानी तुम चलो, खेत देखो। मैं अभी आया।’ चिड़िया अकेली खेत की रखवाली करने चली गई। जब खेत में सिंचाई की जरूरत हुई तो चिड़िया ने कहा- “कौआ भाई, चलो खेत सींच आएं।” कौए ने फिर बहाना बनाया- “चिड़िया रानी, मुझे बुखार आता है। ठंड लगती है। मैं पानी कैसे सीचूँगा। तुम ही सिंचाई का काम कर डालो न।” चिड़िया तो मेहनती थी। वह चली गई खेत पर। उसने अकेले ही पूरे खेत की सिंचाई कर डाली।
खेत लहलहा उठा। बड़ी अच्छी फसल हुई थी। कुछ दिनों में फसल पक गई तो चिड़िया ने कहा- “चलो कौआ भाई, फसल पक गई है। उसे काट लें।” कामचोर कौए ने फिर बहाना बनाया- “चिड़िया रानी, मेरा भाई बीमार है। मैं उसे देखने दूर जा रहा हूँ। खेत तुम काट डालो।” मेहनती चिड़िया ने अकेले ही खेत भर की फसल काट डाली। कौआ फिर भी न आया। अब चिड़िया ने अकेले दावत भी कर डाली। उसने अनाज का ढेर एक तरफ लगा दिया और भूसे का ढेर दूसरी तरफ। अनाज का ढेर छोटा था, भूसे का ढेर बहुत बड़ा था।
अब कौआ आ पहुँचा। आते ही वह बोला-‘चिड़िया बहन, आओ हम अपने खेत की फसल का बँटवारा कर लें।” चिड़िया ने सोचा, इस कामचोर, मक्कार कौए ने कोई काम तो किया नहीं। पूरी मेहनत मैंने की, फिर भी यह अपना हिस्सा चाहता है। इसे मजा चखाना चाहिए। चिड़िया बोली – “अच्छी बात है। कौआ भाई बोलो, तुम छोटा ढेर लोगे की बड़ा।” कौआ कामचोर के अलावा लालची भी था। बोला- “मैं तो बड़ा ढेर लूँगा।” चिड़िया बोली-‘अच्छा, यह छोटा ढेर मेरा और वह बड़ा ढेर तुम्हारा।” चिड़िया ने चतुराई से अनाज का ढेर खुद ले लिया। भूसे का ढेर मिला कामचोर कौए को। मेहनती लोग अंत में मजा करते हैं और कामचोर
धोखा खाते हैं।
ये कहानी ‘इंद्रधनुषी प्रेरक प्रसंग’ किताब से ली गई है, इसकी और कहानियां पढ़ने के लिए नीचे दिए गए लिंक पर जाएं– Indradhanushi Prerak Prasang (इंद्रधनुषी प्रेरक प्रसंग)
