मनुष्य डे भी मनाइए-व्यंग्य: Hindi Vyangya
Manushya Day bhi Mnaiye

Hindi Vyangya: हमें आपसे एक बात पूछना था ,आज कल हर चीज़ का दिन मनाते हैं । जैसे मरदर्स डे फादर्स डे उसका कारण क्या है ?।मुझे समझ आया ,आजकल एक बीमारी बड़े ज़ोरो शोरों पर चल पड़ी है जिसका नाम अलझमेर है । जिसमें सब भूल जाते हैं वैसे भी आज कल की भागती दौड़ती ज़िंदगी ने याददाशत काफ़ी कमजोर कर दी है डर लगने लगा है कही ये ही ना भूल जाएँ हमारे माता- पिता है ,जिन्होंने जन्म दिया है आसमान से नहीं टपके हैं हम -बराबर याद रहे एक अदद माता पिता है तो दिन मनाते रहने से भूलने की संभावना कम है ।

पर गारंटी नहीं है ,तब भी भूल सकते है ,फिर तो नीली छतरी वाला ही मालिक है । किसी को गुलाब भी दिया जा सकता है ,तो फ्लावर्स डे और तो और चाकलेट डे इसका भी डर, कही ये ना हो हाथ में चॉकलेट हो और यही याद न आए करे क्या इसका ? दीवार पर सजाये बालों में सजाये या बिंदी बना माथे पर लगा लें , ऐसा भी हो सकता है ,ये भी भूल जाये कहीं ये चॉकलेट डॉग का फ़ूड तो नहीं । या देश के ग़द्दार का मुँह काला करने का सामान हो ।

बहुत ज़रूरी है सारे डे मनाना । चाय डे भला सोचिए क्या जरुरत है ? चाय है तो पियेंगे ही नहाने से तो रहे ना उससे घर की छत या कपड़े रंगेंगे ।अब फ़्रेंडशिप डे यानी दोस्त डे तो मनता ही है फिर दुश्मन डे भी मनेगा । आख़िर दुश्मनी कैसे भूलेंगे ।आपको चूहा डे भी मनाना पड़ेगा ।जब परेशानियाँ आती हैं ,आप चूहा बन बिल में घुस जाते है ,उनसे मुक़ाबला नहीं करते ।
कभी विश्व दिवस मना रहे तो भई याद करना भी ज़रूरी है हम इस दुनियाँ में आ गए है तो सबका भला भला सोचिए तभी आपका भला हो पाएगा इसको भी याद रखने के लिए विश्व दिवस मना डाला । कही ये ना भूल जाए अपनी ख़ुद गरजी में कि दुनियाँ में हमारे सिवा और लोग भी रहते हैं ।अब कुत्ता डे भी आएगा ही ,चापलूसी तो अपनी नस नस में दुम हिलाने की भरी पड़ी है ।
अब देखिये हर रोज़ कोई ना कोई दिवस मना रहे है । बिच्छू ,आगे नाग नागिन दिवस भी होगा ।क्यूँ की डँसना तो सीख ही गया इंसान ,तो अपने भाई बंधु दिवस तो ज़रूरी है ।फिर तो नेवला दिवस भी होगा क्यूँ कि नेवले जैसी खूबियों वाले प्राणी भी है । वो कैसे अपना दिवस छोड़ देंगे । हो सकता है चप्पल दिवस मने ये याद रखने के लिये कि ये पैर में पहनी जातीं है खाई नहीं ।भले ही कितनी गलती करो ।

साल भर में 365 दिन है हर दिन कोई दिवस मनेगा जिस तरीक़े से हर दिन नया डे मनाया जा रहा है ।अगर 365 दिन कम पड़े तो एक दिन में दो दो दिवस मेनेंगे अब कैसे मेनेंगे ये तो इंसानी फ़ितरत पर निर्भर है जो बहुत बड़ी जादूगर है ,कुछ भी करने में कामयाब होती है ।आख़िर में इन सबको याद करने के लिए याददाशत डे भी मनाना होगा ।
सारे दिवस खूब मनाइए हमारी शुभकामनाएँ है । बस मेरा कहना है एक मनुष्य दिवस भी मनाइए जिससे आप ना भूले की आप इंसान हैं और अगर वास्तव में इंसान है ,तो आप कुछ नही भूलेंगे ना मर्यादा ना रिश्ते । तब आपको बेटी दिवस ,पर्यावरण दिवस मदर्स या फादर्स डे की जैसे कुछ भी मनाने की आवश्यकता नहीं होगी तब आपके शरीर का खून लाल होगा सफ़ेद नहीं ,ना ही आप अंधे बहरे गूँगे होंगे की सत्य का साथ ना दे पायें ।

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