जाते हुए साल—गृहलक्ष्मी की कहानी: Last Year Story
Jate Hue Saal

Last Year Story: “मधुरम..ओ..मधुरम…!,”दादी की आवाज सुनकर मधुरम चौंका।

“जी,दादी..!”

“अरे ले ले बेटा..ये तेरा लिफाफा आया है..।”

“मेरा…!”
मधुरम ने दादी से  लिफाफा लिया और  अपने कमरे में चला आया।

बेड पर लैपटॉप पहले से ही खुला हुआ था। उदास मधुरम ने अपने बेड पर बैठकर लिफाफा खोलने लगा।

“अरे दादी…!!मधुरम ने बड़े जोर से चिल्लाया ।

“अरे क्या हुआ मधु..!,क्यों चिल्ला रहा है इतना..?”

दादी उसकी चिल्लाने की आवाज सुनकर उसके कमरे की तरफ भागी।

ओ..दादी..!,मधुरम ने अपनी दादी को गले से लगाते हुए मनुहार करते हुए बोला..
..मुझे …आइ मीन…मेरे लिए इंटरव्यू लेटर आया है..!दादी…थैंक्यू सो मच..!”

” अरे पर मुझे क्यों थैंक्यू दे रहा है बेटा और यह कॉल लेटर कहां से आया… कुछ तो बता मुझे भी?”

दादी चकित होती हुई मधुरम के गाल में हल्की सी चपत लगाते हुए बोली।

मधुरम ने दादी को कंधे से पकड़ लिया और अपने बिस्तर पर बैठाते कहा

“दादी ,दिल्ली इंद्रप्रस्थ कॉलेज से मेरे लिए कॉल लेटर आया है !
अब मेरा पक्का चांस है ।अगर मैंने इंटरव्यू निकाल लिया तो मैं दिल्ली  में काम करने लगूंगा फिर देखना सब कुछ ठीक हो जाएगा।”

” हां…,  कांता जी लंबी सांस लेते हुए कहा

” जाते हुए साल ने एक मुस्कुराहट दे  ही दी ।अब बस बच्चे का इंटरव्यू क्लियर करा देना  कान्हा जी!
सब कुछ तुम ही हो।
 दुख भी तुम्ही देते हो सुख भी तुम्ही देते हो..!
कितनी परीक्षा लेते हो?
कितना खुश होगा भुवन और यमुना …!,कांता जी की आवाज भर्रा गई..जब उसे पता चलेगा ..!”

कांता जी की आंखों में आंसू आ गए।

मधुरम ने  उनके आँसू पोछते हुए कहा
” दादी ,रो मत! बस अपने कान्हा जी से मना कि मेरा इंटरव्यू क्लियर हो जाए और मैं काम करने लगूँ फिर देखना मन्नू दी और सिम्मी दी दोनों की शादी में कैसे करवाता हूं ।”

” हे भगवान ,कितना अच्छा संस्कार दिया है  तुझे भगवान ने।
  जुग-जुग जियो बेटा …!”
कांता जी भावुक हो उठीं।

दादी मुझे कल ही निकलना पड़ेगा क्योंकि दो दिनों बाद ही   इंटरव्यू है ।

“यमुना और भुवन दोनों शादी में गए हैं बेटा और तू उनकी लौटने से पहले ही दिल्ली  निकल जाएगा?”

” हां दादी, क्योंकि समय ही नहीं है। मैं अगर कल नहीं निकला तो परसों तक नहीं पहुंच पाउंगा।
मुझे तत्काल में टिकट देखना पड़ेगा ।
मुझे शॉर्ट लिस्ट में  सिलेक्शन किया  गया है।”

तत्काल में टिकट देखकर मधुरम ने अपना टिकट कटवा लिया।

~~

“बेटा ठीक से जाना..!अकेले जा रहे हो।” कांता जी ने दही गुड़ खिलाकर मधुरम को घर से विदा किया।

” अरे दादी,पांच साल भोपाल में रहकर जब मैं एमबीबीएस की पढ़ाई कर रहा था ..तब  याद नहीं आया था कि मैं बच्चा था।

मैं ठीक से चला जाऊंगा आप टेंशन बिल्कुल मत लो।

मैंने सिम्मी दी को भी फोन कर दिया है ।
वह दोनों ही हॉस्टल से आज आ जाएंगी। आप अकेले नहीं हो पाओगी।”

” अरे तुम मेरी चिंता बिल्कुल नहीं करो। मैं बिल्कुल ठीक हूं ।”

कांता जी ने मुस्कुराते हुए कहा।

” हां ,याद आया..,मधुरम ने कहा.. दादी याद से अपने कान्हा जी से  मेरी तरफ से सिफारिश जरूर कर देना  मेरा इंटरव्यू फर्स्ट राउंड में ही क्लियर हो जाए।”

”  हां हां कर दूंगी …बाबा तू चिंता मत कर।
तू भी जरा याद  कर देना उन्हें!” कांता जी मुस्कुराते हुए बोली।

मधुरम ने कांताजी के पैर छुए तो  कांता जी ने उसको ढेर सारा आशीर्वाद देकर विदा किया।

मधुरम के जाते  ही कांता जी ने अपना दरवाजा लॉक किया और अंदर आकर सोफे पर बैठ गई।

पिछली बातें याद कर उनकी आंखें भर भर आई ।

एक सामान्य से रजिस्ट्रार थे भुवन ,उस पर  तीन बच्चे ।
दो बेटियां और एक बेटा।
एक सामान्य मध्यम वर्गीय परिवार।

एक अत्यंत ही  ईमानदार  और उसूलों वाले व्यक्ति होने के कारण उनके पास पैसा लिमिट था।

तीनों बच्चों को उन्होंने जी भरकर पढ़ाया था लेकिन कम पैसे में किसी एक को ही ऊंची शिक्षा दी जा सकती थी।

  मधुरम ने पहली बार में ही मेडिकल निकाल लिया था ।
उसकी  इस पढ़ाई में   बीस से पचीस  लाख रुपये लग गए थे।

घर में मधुरम से बड़ी दो बहने थीं- मन्नू और सिम्मी ।दोनों ही पढ़ाई में अत्यंत होशियार थीं।

मन्नू पेशे से स्कूल में टीचर थी और सिम्मी पत्रकार।

दोनों ही विवाह के लायक हो चुकी थी।
दोनों की शादी की बात भी चलती थी लेकिन बात  वहीं पर आकर रुक जाती थी.. दहेज..!

इसकी  अच्छी खासी मोटी रकम देने की हैसियत में भुवन नहीं थे।

मधुरम  पिछले दो सालों से लगातार इंटरव्यू देता आ रहा था।
चार सालों के एमबीबीएस के बाद  रिसर्च वर्क भी कर रहा था ।
उसके साथ ही  साथ वह लगातार इंटरव्यू देकर थक चुका था ।

घर में दो जवान बहने थी ।उसके मेडिकल की पढ़ाई में पानी की तरह  पैसा उसके  पापा ने बहा दिया था पर रिजल्ट कुछ भी नहीं आ रहा था।

जिसके कारण पूरे परिवार में एक मौन तनाव पसरा रहता था ।
सबसे ज्यादा उसकी छींटे मधुरम के ऊपर ही पड़े  थे ।

वह समझ नहीं पा रहा उसे कोई रास्ता ही नहीं सूझ रहा था कि वह क्या करे?

कभी किसी क्लीनिक में असिस्टेंट डॉक्टर बनकर तो कभी किसी अस्पताल में गेस्ट डॉक्टर बनकर वह कुछ समय तो गुजार ले रहा था लेकिन उसका स्थाई रूप से कुछ भी नहीं हो पा रहा था ।

अब यह इंटरव्यू कॉल उसके लिए एक वरदान बनकर आया था ।

मधुरम ट्रेन में बैठे-बैठे सोच रहा था कि कल उसका इंटरव्यू क्लियर हो जाए तो उसकी अच्छी खासी तनख्वाह  हो जाएगी फिर पहले मन्नू दी और फिर सिम्मी दी दोनों के लिए शादी की तैयारी भी हो जाएगी ।

उदास से उसके चेहरे पर  उस कॉल से ही मुस्कुराहट आ गई थी ।

दूसरे दिन इंद्रप्रस्थ कॉलेज  में कैंडिडेटों की संख्या देखकर  मधुरम के चेहरे पर मायूसी फिर से छा गई।

रात भर उसने जो भी सपने बुने थे वह सब बिखरने लग गए  थे।

उसने अपने साथी मित्रों को हेलो कह कर सबसे किनारे बैठ गया क्योंकि उसे पता था कि उसका नंबर आज आने वाला नहीं है।

थोड़ी देर बाद जब उसका नाम पुकारा गया तो वह दंग रह गया।
 पियून  ने उसकी फाइल ले जाकर अंदर  दे दिया।

फिर जब उसे भीतर बुलाया गया तो उसने  जूरी मेंबर के सारे प्रश्नों का बिल्कुल सही सही जवाब दे दिया ।

पहले राउंड के जवाब में वहां बैठे जूरी मेंबर्स का दिल जीत लिया ।

पहली बार में ही मधुरम का सिलेक्शन हो गया ।

उसे मेडिकल कॉलेज में असिस्टेंट डॉक्टर की डिग्री मिल गई।

कॉलेज के एमडी डॉक्टर राघव ने कहा

मि. मधुरम ,दो दिनों बाद क्रिसमस  है।उसकी दो दिनों की छुट्टी रहेगी।

आप 28 तारीख से ही ज्वाइन कर लीजिए।

मधुरम खुशी से उछल पड़ा।
” थैंक्यू डॉक्टर…! थैंक यू सर ..!,मैं आजीवन आप लोगों का आभारी रहूंगा ।”

अपने सभी जूरी मेंबर का धन्यवाद करके मधुरम बाहर निकला तो उसके चेहरे पर निश्चिंतता भरी मुस्कुराहट थी।

उसने  फोन कर  दादी से कहा
“दादी,कान्हा जी ने आपकी सुन ली।मेरा सेलेक्शन हो गया।

“क्या..बेटा…!,भुवन को बुलाती हूं बेटा..जरा ठहरो..!,भुवन तुम्हारे लाडले ने इंटरव्यू निकाल लिया है…!,

…हे कान्हा जी…!,कांता जी अपने हाथ जोडकर बोलीं…तुमने मेरी पूजा का मान रख लिया…कान्हा जी..!”

जाते हुए साल में सबके चेहरे में मुस्कुराहट बिखेर  दिया था।