क्या ये प्यार था?-गृहलक्ष्मी की कहानियां
Kya ye Pyaar Tha

Hindi Love Story: नेहा गुनगुना रही थी” हैप्पी बर्थडे टू यू”,उसके हाथ में अपने पति शाश्वत की फोटो थी,नेहा की आंखों से अश्रुधारा बह निकली,वो प्यार से शाश्वत के चेहरे पर हाथ फेर रही थी…”कहां चले गए मुझे छोड़ कर शाश्वत?”वो भावुक होकर बोल पड़ी।
उसका पति शाश्वत कारगिल युद्ध में शहीद हो गया था,बाइस वर्ष की छोटी आयु में अठारह वर्ष की नेहा से
उसकी शादी करा दी गई थी,अभी हाथों से मेंहदी भी न उतरी थी नेहा के कि ये मनहूस खबर ने उसकी
उमंगे,सपने जला कर राख कर दिए थे।
आज उम्र के चालीस बसंत देखने के बाद भी नेहा बहुत सुंदर और जवान दिखती,उसके मन में शाश्वत के
अलावा कभी किसी का ख्याल भी नहीं आया,उसका दिल भर जरूर आता था कि विधाता ने भी उसके साथ
क्या मजाक किया था,नाम शाश्वत और उम्र इतनी छोटी,नेहा के दिल ने भी जिद पकड़ ली थी मानो, कि वो
उसे हमेशा जिंदा रखेगी।
तभी मोबाइल की घंटी बजी,”ओह!मां का फोन,ये भी कभी नहीं भूलती आज के दिन मुझे फोन जरूर
करेंगी”,ये सोचते नेहा ने फोन उठा लिया।
“क्या कर रही थी,जरूर शाश्वत का फोटो सीने से लगाकर रो रही होगी?”वो बोलीं।
“जब जानती हो आप तो पूछती क्यों हो?”नेहा भावुक होकर बोली।
“इसलिए ताकि तू जिंदगी में आगे बढ़ मेरी कीबच्ची!तुझे इस तरह देखकर दिल जलता है,तू मेरी बहू न रह
सकी तो क्या,मेरी बेटी बन जा और एक दामाद ले आ मेरे लिए…प्लीज!!”
अपनी सास रेणु की ये बात सुनकर नेहा मुस्करा दी…”कौन कहेगा कि आप मेरी सास हैं?मुझे बेटी से ज्यादा
प्यार दिया है आपने…”
“मां की बात मानती क्यों नहीं फिर?जल्दी से किसी को पसंद कर ले और मुझे खुशी दे मेरी बच्ची!”

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“नहीं मां!ये समाज क्या कहेगा?लोग कहेंगे कि अपनी शारीरिक जरूरतों के लिए इसने दूसरा विवाह कर
लिया…दस ताने मारेंगे मुझे…फिर मैं,मेरे शाश्वत के साथ ही खुश हूं,न जाने अब कौन मिले?”
“तू कहे तो मैं कोई अच्छा सा लड़का ढूंढूं तेरे लिए,पिछली बार की तरह उसे भगा मत देना..”
“अच्छा मां..”हंसते हुए नेहा कहती है, “कोई दरवाजे पर है,बाद में बात करती हूं।”
“यस..आप कौन?” दरवाजा खोलते ही नेहा बोली,एक स्मार्ट ,यंग लड़का,कोई पच्चीस तीस बरस का दरवाजे
पर खड़ा था।
“जी…नमस्ते!”उसने हाथ जोड़ दिए और प्यारी सी मुस्कराहट के साथ बोला, “मैं सामने नए फ्लैट में आया हूं,
प्लीज मेरी चाबी रख लीजिए,एक मेड लगाई है जो शायद आपके भी काम करती है,वो आपसे ही इसे ले लेगी
और काम खत्म कर दे भी जाएगी आपको,दो एक दिन में उसकी अलग चाबी बनवा दूंगा तब तक आपको
कष्ट दे सकता हूं?”
“अरे!इसमें कष्ट कैसा?पड़ोसी होने के नाते ये तो कर ही सकती हूं मैं…” नेहा बोली,”आइए…चाय पीकर
जाएं,उसने औपचारिकता निभाई।
वो थोड़ा झिझका लेकिन फिर अंदर आ ही गया।
नेहा चाय बिस्कुट ले आई थी कुछ देर में।
तब तक वो उसके कमरे की हर चीज ध्यान से देख रहा था…
“ये पेंटिंग्स आपने बनाई हैं?”सामने एक खूबसूरत लड़की की पेंटिंग को इशारा करते वो बोला।
“जी…खाली वक्त नहीं कटता तो कभी बना लेती हूं।”वो बोली।
*ब्रिलियंट!!” उसकी आंखों में प्रशंसा के भाव थे।
चाय की घूंट भरते ही वो झूम उठा,”क्या चाय बनाई आपने,वाह! कोई जादुई मसाला डाला क्या?”
“थैंक्यू…” नेहा मुस्कराई…”ये सीक्रेट है..।”

सामने शाश्वत की फोटो देख वो बोला…”ये कौन?”
“मेरे हसबैंड…”नेहा ने गर्व से कहा।
“इस वक्त कहां हैं?ऑफिस?”
“वो एक सोल्जर थे जो कारगिल युद्ध में वीरगति को प्राप्त हो गए।”
“ओह माय गॉड!उसकी चाय थोड़ी छलकी थी,उसने खड़े होकर नेहा को सैल्यूट किया…”यू मीन यू आर हिज
विडो..आप इतनी उम्र की बिल्कुल नहीं लगती…।”
“सब ऐसे ही कहते हैं…”नेहा लापरवाही से बोली।
“मुझे धीरज कहते हैं…” उस लड़के ने पहली बार अपना नाम बताया और नेहा की तरफ हाथ बढ़ाया दोस्ती
का।
नेहा कुछ संकुचित सी हुई लेकिन फिर आत्मविश्वास से उसने धीरज का हाथ,अपने हाथ में लेकर हिला
दिया।
बरसों बाद,किसी पर_पुरुष के हाथ के स्पर्श से नेहा कुछ विचलित हुई थी,धीरज सीधे उसकी आंखों में देख
रहा था और उसका हाथ बड़ी शालीनता से दबा रहा था।
न चाहते हुए भी नेहा उससे एकदम हाथ न छुड़ा सकी,शायद उसे वो स्पर्श अच्छा लगा था।
कुछ समय बात करते करते वो चला गया लेकिन एक बेचैनी सी नेहा के दिल में छोड़ गया था,सारे दिन,उसे
अपने हाथ पर धीरज के हाथ की अनुभूति होती रही थी।नेहा की जिंदगी में ये पहली बार हुआ था जब शाश्वत
के बाद किसी ने उसका हाथ अपने हाथ में लेकर दबाया हो,आज से पहले कितने ही पुरुषों से वो मिली,उन्होंने
नेहा से दोस्ती भी करनी चाही थी पर आज वाली अनुभूति उसे कभी न हुई थी।

नेहा ने सिर झिटक दिया अपना…”क्या बेवकूफों की तरह सोच रही हूं,वो बहुत छोटा है उम्र में ,फिर कौन जाने
शादी शुदा हो,एंगेज हो?लगता है आज मां की बात का असर है मेरे दिमाग पर…उन्होंने कहा और मैं संभावना
तलाशने लगी।”
कुछ दिन बीते,नेहा के दिमाग से धीरज उतरा नहीं था।
एक दिन शाम को धीरज फिर आ धमका था।आज उसके हाथ में लाल गुलाब का एक बुके था।
“हैप्पी बर्थडे!” उसने घुसते ही कहा और बुके नेहा को पकड़ा दिया।
“आपको कैसे पता चला आज मेरी बर्थडे है?”
वो शॉक्ड थी।
“सोशल मीडिया…”आपके एफ बी अकाउंट से देखा,आपको बुरा लगा..सॉरी!”उसने मुंह लटका लिया था।
“नहीं…ऐसा कुछ नहीं”,धीरज को नर्वस देखकर नेहा को खुद पर कोफ्त हुई,”मेरी फीलिंग्स इसके लिए गलत
हैं,इसे ऐसा कुछ अनुभव हो ,जरूरी तो नहीं…बिना बात बेचारे को टोक दिया।”
“आज का क्या प्रोग्राम है आपका?”धीरज उसकी बात से उत्साहित होकर बोला।
“क्या प्रोग्राम होना है?मेरा कौन है जो जिसके साथ मैं कहीं जाऊंगी?”नेहा अचानक से बोल उठी।
उसे एहसास हुआ कि वो गलत बात बोल गई,अपनी बात संभालते वो बोली,”मुझे ज्यादा शौक भी नहीं बाहर
जाने का।”
“आपकी इजाजत हो तो मैं आपको आज कहीं ले जाऊं अपने साथ?”धीरज उसके करीब आकर उसकी
आंखों में देखता बोला।
नेहा पर फिर उसकी नजदीकी का नशा छाने लगा था,वो दिल से उसे मना करना चाहती थी पर जुबान से हां
बोल गई।
धीरज ने खुश होकर कहा…हुर्रे!एक बार फिर उसने नेहा का हाथ अपने हाथ में लेकर दबा दिया।

कितने दिनों से इस इंतजार में थी नेहा,उसके स्पर्श से वो पिघलने लगी थी,उसने यकायक धीरज का हाथ
छोड़ दिया,”आप जाओ यहां से..प्लीज…मुझे अकेला छोड़ दें।”
“क्या हुआ नेहा आपको?”धीरज ने उसके दोनों कंधे अपने हाथों से पकड़ कर कहा,”मेरी आंखों में
देखिए…बताइए!आपको क्या बात परेशान कर रही है? प्लीज!!”
धीरज को अपने इतने पास देखकर नेहा घबरा गई,उसका दिल किया वो उससे लिपट कर फूट फूट कर रोए
पर वो ऐसा नहीं कर पाई…”आप क्यों मेरे करीब आते हैं धीरज,मुझसे सहन नहीं होता ।”
“क्योंकि आपसे दूर मुझसे भी रहा नहीं जाता,उस दिन के बाद,एक मिनट भी मैं चैन से सोया नहीं,पता नहीं
मुझे क्या हो गया? मेरी मां ने मुझे हजारों लड़कियों की फोटो भेजी पर मैंने किसी को नहीं देखा पर आपको
देखते ही जो अनुभूति हुई,वो सर्वथा अनोखी है नेहा।”
उसकी बात सुनते ही नेहा के धैर्य का बांध टूट गया था,वो दोनो लिपट गए एक दूसरे से,बहुत देर तक लिपटे
रोते रहे, चूमते रहे एक दूसरे को,गिले शिकवे सांझा करते रहे।
“क्यों मुझे केवल तुम ही पसंद आई नेहू?”उसकी गोद में सिर रखे वो बोला।
“लेकिन हमारे इस रिश्ते का क्या नाम होगा धीरज? मैं कन्फ्यूज हूं..”वो बोली।
“क्यों मैं तुमसे शादी करूंगा,तुम्हें प्यार किया है मैने और तुम भी तो मुझे करती हो…”धीरज बोला।
“और हमारी उम्र का अंतर?तुम बहुत छोटे हो मुझसे…”कांपती आवाज़ में नेहा बोली।
“लड़कियां भी तो पुरुषों से बहुत छोटी होती हैं ,जब उसमें किसी को ऑब्जेक्शन नहीं तो इसमें क्यों?”
“लेकिन लोग क्या कहेंगे धीरज?मुझे गलत समझेंगे…हो सकता है तुम्हें भी मुझसे मन …” वो चुप हो गई
बोलते बोलते।
“क्या नेहू बोलो न!क्या कह रही थीं तुम…? धीरज ने बेचैन होकर पूछा,”तुम मेरी जिंदगी हो, मैं तुम्हें अपना बना
कर ही रहूंगा हर हाल में “

धीरज चला गया था और छोड़ गया था नेहा को बेचैन कर,आज से पहले उसने किसी पुरुष के साथ यहां तक
की शाश्वत के साथ भी वैसी नजदीकी नहीं देखी थी,उसके रोम रोम को धीरज का साथ चाहिए था,अब वो
और इंतजार नहीं करना चाहती थी।
अगले दिन,उसकी फ्रैंड ऋतु का फोन आया,वो उसके पास आ रही थी उससे मिलने लंच पर।
नेहा खूब अच्छे से तैयार हुई,लंच बनाया,आज वो अपने दिल का सारा हाल ऋतु को बताने को बेताब
थी।किसी दो एक को बता कर वो अपना अपराध बोध जो उसके मन में शुरू से पल चुका था,उससे मुक्त
होना चाहती थी,उसे लगातार लग रहा था कि वो कुछ गलत तो नहीं कर रही।
ऋतु उसे खुश देखकर चौंकी,”हाय नेहा!तुझमें ये बदलाव कैसा?होंठों पर लिपस्टिक,आंखों में गहरा काजल
और चेहरे पर ये शर्मीली मुस्कराहट…आर यू इन लव विद समवन?”
ऋतु उसे देखते ही बोली तो नेहा उससे कुछ छिपा न सकी,उसके चेहरे की शर्म ने ऋतु से सारी कहानी खुद
कह दी थी।
“कौन है वो जिसपर हमारी नेहा का दिल आया है इतने समय बाद?”
नेहा ने ऋतु को फोटो दिखाया..
“ये…ये कौन है?ये तो बहुत यंग लग रहा है…क्या ये भी तुमसे?”ऋतु थोड़ी परेशान दिख रही थी।
नेहा की पलके शर्म से झुक गई…”ये पागल है मुझे पाने के लिए…”वो धीमी आवाज में बोली।
“लेकिन तू जल्दबाजी मत करना नेहा…क्या पता उसका मन तेरे से जल्दी भर जाए?वो सिर्फ शारीरिक
आकर्षण की वजह से तुझसे जुड़ा हो?उसकी जिंदगी में कोई और भी हो?”
“नहीं…” नेहा तड़प के बोली,”वो ऐसा नहीं है…”
“तेरा वो पहला प्यार है नेहा पर तू उसका आखिरी प्यार हो ये जरूरी तो नहीं?”
नेहा के दिमाग में शक का बीज बो गई थी ऋतु,वो डर गई थी,शायद उसकी बात सच न हो।

वो कुछ दिन धीरज को अवॉइड करती रही,उसका मन तड़पता उससे मिलने को लेकिन बहाना बना कर उसे
टालती रही थी नेहा,धीरज को।
क्या वाकई में,मेरा भी सिर्फ क्षणिक आकर्षण है उसके प्रति?क्या ये वासना है प्यार नहीं?वो खुद से पूछती
और निरुत्तर रह जाती।
रही सही कसर उसकी पड़ोसन मिसेज शर्मा ने पूरी कर दी एक दिन।वो अपनी किसी परिचिता का हवाला
देते बोलीं…
“सुना नेहा तुमने…कितना खराब ज़माना आ गया है,पहले पिक्चरों में सुनते थे अब हर जगह ये गंदे खेल होने
लगे हैं।”
“कैसे गंदे खेल शर्मा मैंम?”वो डरी हुई बोली।
“मेरी एक जानकार हैं उन्होंने अपने से बीस साल छोटे लड़के से ब्याह रचा लिया…बताओ!हद ही हो गई..”
“लेकिन ऐसा भी तो हो सकता है वो दोनो प्यार करते हों,बालिग तो होगा ही वो लड़का?”नेहा बोली।
“खूब जानती ही ऐसी औरतों को,अकेलेपन का नाम लेकर यंग लड़कों को शिकार बनाती हैं…” मिसेज शर्मा
क्या क्या बोलती गई लेकिन नेहा की कुछ सुनाई नहीं आ रहा था,वो जड़ हो गई…”ये ही हाल मेरा होगा कल
को…नहीं…” वो कांप गई।
अगले ही दिन,धीरज ने जब कॉल की तो नेहा ने उसे बुला लिया अपने घर।
धीरज बहुत खुश और एक्साइटेड था,वो जल्दी ही नेहा से शादी करना चाहता था लेकिन नेहा बोली,”तुमसे
कुछ मांगू,दोगे मुझे?”
“जान मांग कर देखो,अभी दे दूंगा, चांद तारे तोड़ कर लाने की बात तो पुरानी है नेहू!”वो लहक़ कर बोला।
“मैं सीरियस हूं धीरज,तुम मुझे प्यार करते हो और मैं भी तुम्हें प्यार करती हूं लेकिन एक वचन दो मुझे प्लीज…”
“जब हम दोनो प्यार करते हैं तो सारे वचन दिए तुम्हें…” उसे बांहों में भरने को बेताब था धीरज।

“मुझसे आज अभी शादी करोगे?”नेहा बोली,मेरे दिल दिमाग में तूफान रुकने का नाम ही नहीं ले रहा ,उसे
जल्दी शांत करना चाहती हूं।
धीरज को उसकी बात सुनकर जैसे करंट लगा…आज?अभी??क्या बात कर रही हो जान!!अभी कुछ दिन और
एक दूसरे से मजे लेते हैं…आय मीन एक दूसरे को समझते हैं…उसे अपनी तरफ खींचते वो बोला।
नहीं…नेहा को उसके रुख से झटका लगा था,तो क्या वाकई में ऋतु ठीक कह रही थी,ये उसके साथ टाइम पास
ही कर रहा है?जिसे वो प्यार समझ बैठी वो प्यार कम, वासना ज्यादा है?नेहा ने कहीं पढ़ा भी था कि छोटी उम्र
के लड़कों को अपनी सी बड़ी उम्र की औरतों के साथ रहना ज्यादा अच्छा लगता है..ओह माय गॉड!!उसने
अपना सिर पकड़ लिया।
“क्या हुआ?”धीरज ने नेहा से पूछा,”तबियत ठीक है तुम्हारी?”
“आय एम ओके..”वो धीरज से दूर जा बैठी।
धीरज को भी आभास हो रहा था कि नेहा का मोह भंग हो रहा है उससे,अब इस को ज्यादा नहीं दूह सकेगा
वो…”ठीक है फिर चलता हूं,बाद में मिलते हैं,मुझे एक माह के प्रोजेक्ट के लिए बाहर जाना है अभी,उसके बाद
सोचेंगे तुम्हारे प्रस्ताव के बारे में।”
नेहा उसे जाते देखती रही…उसका दिल टूटा जरूर था पर आँखें भी खुल गई थीं,वो भी धीरज के लिए जिस
भावना को प्यार समझ बैठी थी वो दरअसल प्यार नहीं था,वो भी शारीरिक आकर्षण मात्र था और उसकी
वजह से वो किसी के साथ जिंदगी भर नहीं जुड़ सकती थी और धीरज उसे लेकर कितना गंभीर है,वो उसने
अपनी हरकतों से बता ही दिया था आज।
नेहा को उबकाई सी आने को हुई और वो वॉशरूम में जाकर शॉवर के नीचे खड़ी हो गई, बहुत देर तक वो अपने
शरीर पर लगे वो स्पर्श चिह्न मिटाने की कोशिश करती रही जो पिछले काफी समय से उसे परेशान कर रहे
थे।देर तक स्नान करते रहने से अब उसका मन हल्का हुआ था क्योंकि वो प्यार और वासना का अंतर भली
भांति जान चुकी थी।