Husband Wife Story: पति पत्नी में कभी प्रेम नहीं हो सकता, जब तक वे जीवित है। यह प्रेम तभी उपजता है जब देानेां में से कोई साथ नही छोड देता। वर्ना शिकवा शिकायत बनी रहती है। लाख पत्नी जान दे दे या पति फिर भी एक दूसरे से असंतुष्ट रहते है। ऐसे ही एक रात मुझे अनवरत खांसी उठी। रात एक बजे मेरी पत्नी उठी। उस समय वह गहरी नींद में थी। उसने अदरक का काढा बनाया।
‘काढा पीना ही होगा?‘‘पत्नी अड गयी।
‘‘नहीं पीउंगा। बहुत कडुआ होगा।’’
‘‘हेाने देा। पीना तो पड़ेगा ही।‘‘
‘‘न पीउं तो?
‘‘जबदस्ती मुंह में डाल दूंगी।’
अंतत हलक से नीचे उतारना पड़ा।
सुबह उठते ही मैंने सबसे पहले पत्नी को उलाहना देने का काम किया।
‘‘तुम हमेशा अपनी जिद करती हो। क्या जरूरत थी इतनी कडुवी दवा देने की?’’
‘‘न देती तो तुम्हें आराम न मिलता।
सचमुच उसके पीने के बाद मेरी खांसी रूक गयी। फिर भी उसका तरीका अच्छा न लगा। बिना जबर्दस्ती किये मानती ही नहीं है।
‘‘तुमने हमेशा अपने मन की की।’’
‘‘सिर्फ कहने के लिए। एक साड़ी तक बिना तुम्हारे इजाजत के खरीद नहीं सकती?’’
‘‘मैने मना कब किया है?’’
‘‘मैं पुरूषों को अच्छी तरह जानती हूं। बीवी का मन बहलाने के लिए कह देते है जो तुम्हारी मर्जी हो करो। कर दिया लिया तो बखेडा खडा कर देते हो।’’
सचमुच ऐसा ही था। वह जब भी कुछ नया करने को कहती तो मैं किसी न किसी बहाने टाल देता। क्या जरूरत है फालतू पैसा बर्बाद करने की। इस तरह उसकी हसरत धरी की धरी रह जाती।
ऐसे ही एक रात उसके पीठ और कमर में तेजी का दर्द उठा।
‘‘लाओ तुम्हारे पीठ में बाम मल दूं।
‘‘कोई जरूरत नहीं है। आपका हाथ बहुत कडा है।’’
‘‘तुम्हारी यही आदत अच्छी नहीं लगती। मैं अपनी नींद खराब करके तुम्हें सकून देना चाहता हूं अैार तुम हो कि मेरे हर पहल केा शक की नजर से देखती हेा।
‘‘एहसान कर रहे हो?‘‘
मेरी गलती पकडी गयी। मुझे अफसोस हुआ।
‘‘ठीक है लगाईये।
दो मिनट भी नहीं गुजरे होगें।
‘‘हाथ है या हथौडा।‘‘ उसने झटक दिया।
‘‘रहने दीजिएं। आपसे कुछ नहीं होगा। ढंग से बाम भी नहीं लगा सकते।’’ कपड़े ठीक करके वह सीधे मुंह हो गयी।
”तुम्हारी आदत है मेरे हर काम में नुक्स निकालने की।’’मेरा मन खराब हेा गया।
‘‘आप काम ही ऐसा करते है। मेरी स्किन छिल गयी।’’
‘‘जरा सा हाथ क्या लगाया तुम्हारी स्किन छिल गयी? गुलाब की पंखुडी है क्या?‘‘मैंने तंज कसा।
‘‘सोचा बाम लगा दूंगा तो तुम्हारी तकलीफ कम हो जाएगी।’’
‘‘कम नही उल्टे बढ गयी।’’
‘‘ऐसा है तो नहीं लगाउंगा। तुम्हें तो मेरी हर आदत खराब लगती है। दूसरी केाई औरत होती तो कितनी खुश होती कि उसका आदमी बीच रात उठकर उसका कितना ख्याल रखता है।”
‘‘दुसरी औरत देखी है? पत्नी के सवाल पर मैं सकपका गया। दूसरी थी मगर वह शादी के पहले थी। आज भी उसकी याद करता हूं तो दिल में हूक उठती है। काश वह मेरी जिदगी में होती तो बात कुछ और ही होती। यह मैंने मन ही मन कहा।
मै जानती हूं कि तुम्हारे मन में क्या चल रहा है?’’
‘‘क्या चल रहा है?’’ उससे कोई मनोभाव छिपता नहीं था ताड ली।
‘‘वही तुम्हारी शालिनी। जिसका जिक्र कई बार कहानियों मे तुम कर चुके हो।’’
मैने टालना चाहा।
‘‘उसे मैं कब का भूल चुका हूं।
‘‘क्या तुमने उसे फ्रेंड रिक्वेस्ट नहीं भेजी थी? और उसने आज तक स्वीकार नही किया। और तो ओैर अपना फेस बुक भी डिलिट कर दिया।
‘तुम्हें कैेसे पता चला?
‘‘मै तुम्हारी पत्नी हूं। मैं नहीं जानूंगी तो और कौन जानेगा?’’
मेरी चोरी पकडी गयी। सचमुच दो साल तक वह रिक्वेस्ट पड़ा रहा। एक दिन मैंने देखा उसने स्वीकार कर लिया था। मै खुशी से झूम उठा । पर अगले ही पल मेरी खुशी काफूर हो गयी जब उसने उसे अस्वीकार भी कर दिया। जाहिर है उसने मेरे और मेरे परिवार की फोटो देखी होगी। पहचानी भी होगी । मगर उसे मुझसे देास्ती बनाने में कोई दिलचस्पी नहीं दिखाई । मेरा उत्साह ठंडा पड गया। अब वह प्रेमिका नहीं किसी की बीवी थी। जैसे मेरी बीवी। अपने पति को वैसे ही कडुए काढा पिला रही होगी। जैसे मेरी बीवी।
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