Social Story in Hindi: सुंदर नाम के एक लड़के का गांव में तबादला हुआ था। उसे वहां सड़क बनाने का काम मिला था। सड़क किनारे एक घर था। गांव वालों ने बताया कि घर के अंदर से रोने की आवाज़ें आती हैं इसलिए वहां से बहुत कम लोग निकलते हैं।
सुंदर को वहां से थोड़ी दूर पर ऑफिस के बराबर में रहने के लिए एक कमरा मिल गया था। दिन ढलने के बाद गांव का वह हिस्सा काफ़ी शांत सा हो जाता था।
एक दिन सुंदर ऑफ़िस के एक आदमी हरिओम से कहता है कि वह अपनी पत्नी के लिए एक लाल साड़ी लेना चाहता है। हरिओम उससे कहता है के, “पास ही एक साड़ियों की दुकान है।” सुंदर हरिओम के साथ दुकान पर जाता है। सुंदर साड़ियां देखने लगता है तो उसकी नज़र दुकान के बाहर खड़ी औरत पर पड़ती है जिसने लाल साड़ी पहन रखी थी।
सुंदर दुकानदार से वैसी ही साड़ी पैक करने के लिए कहता है। दुकानदार बहुत ही अजीब तरीके से सुंदर की तरफ़ देखता है और कहता है, “ कौन सी औरत?” सुंदर को दोबारा देखने पर वह औरत वहां नहीं दिखती। वो चुपचाप घर आ जाता है और हरिओम अपने घर चला जाता है। थका हुआ सुंदर बिना कुछ खाए पीए अपने कमरे में सोने चला जाता है।
थोड़ी देर बाद उसकी नींद टूटती है और वह मुंह हाथ धोने बाथरूम चला जाता है। बाथरूम में पानी से मुंह धोकर जैसे ही वह शीशे में अपना मुंह देखता है तो लाल साड़ी पहने वही औरत उसके पीछे खड़ी दिखती है। वो घबराकर जैसे ही पीछे मुड़ता है वहां कोई नहीं था। वह ठंडी सांस लेता है और सोचता है कि शायद ज़्यादा थका होने की वजह से उसे ऐसा लग रहा है। वह सोफ़े पर बैठ जाता है और टीवी चालू करता है।
टीवी पर हिंदी पिक्चर चल रही थी। यकायक सुंदर को टीवी में वही औरत लाल साड़ी में नज़र आती है। वो घबरा कर जैसे ही देखता है तो सोफ़े पर वही साड़ी पड़ी थी। वह बौखलाता हुआ उठ खड़ा होता है तो उसको साड़ी सोफ़े पर नहीं दिखती।
वह अपने माथे पर आए पसीने को पोंछता है और सोचता है कि कुछ खा लेना चाहिए। भूख और थकान की वज़ह से शायद उसको यह सब फ़ालतू का वहम हो रहा है। वह रसोई में अपने लिए चाय और ब्रेड बनाने के लिए जाता है। गैस पर एक तरफ चाय और दूसरे चूल्हे पर ब्रेड बन रही थी कि सुंदर को सामने वाली दीवार पर औरत की परछाई दिखाई देती है। सुंदर जैसे ही पलटता है की लाइट चली जाती है।
सुंदर कांपते हाथों से मोमबत्ती और माचिस ढूंढता है और मोमबत्ती जलाने लगता है। तभी बाहर बादल गरजने लगते हैं और बिजली की कड़क के साथ बारिश शुरू हो जाती है। वह खिड़की बंद करने लगता है कि बिजली की रोशनी में उसे फ़िर से वह औरत दिखती है वैसी ही लाल साड़ी में। वह औरत सुनसान सड़क की तरफ जा रही थी। सुंदर जल्दी से खिड़की बंद करता है और काफ़ी देर तक रसोई की दीवार के सहारे दुबक सा जाता है। तभी लाइट आ जाती है।
वह नाश्ता उठाता है। उसके कांपते हाथों में चाय का कप कांच की प्लेट पर टकटकाने लगता है। कांपते हाथों से वह किसी तरह नाश्ते की प्लेट टेबल पर रखता है और टीवी चलाता है। टीवी देखते देखते वह अब तक जो कुछ हुआ था दिमाग से करीब करीब निकाल चुका था कि तभी टीवी के आगे वह लाल साड़ी ना जाने कहां से लहराती हुई आ जाती है। सुंदर चीख कर सोफे के पीछे चला जाता है। वह साड़ी उड़ती हुई सुंदर के ऊपर गिरती है और उसके चारों तरफ लिपट जाती है। सुंदर का दम घुटने लगता है और वह खुद को साड़ी से बाहर निकालने के लिए तेज़ी से हाथ चलाने लगता है। उसी छटपटाहट में उसकी उंगली साड़ी के एक छेद में आ जाती है जिसकी मदद से वह साड़ी को चीरने लगता है और अपने आप को साड़ी से आज़ाद करता है।
उसी गुस्से में वह पास पड़ी कैंची उठाता है और फ़टी हुई साड़ी के कईं और टुकड़े करके घर के पीछे गड्ढे में फेंक देता है। तेज़ बारिश की वज़ह से गड्ढे में पानी भरने लगता है। घर के अंदर जाकर वह हनुमान चालीसा चला कर सो जाता है।
सुबह हमेशा की तरह जल्दी उठता है। रात की बात को सोचकर मुस्कुरा देता है की नींद में उसको कैसा भयानक सपना आया था। वह काम पर निकलने के लिए तैयार होता है।
सुंदर जैसे ही कमरे के बाहर आता है उसका दिमाग चकरा जाता है। वह देखता है कि टीवी चल रहा है और टेबल पर चाय का कप और एक प्लेट रखी है जिसमें थोड़ी सी बची हुई ब्रेड है। सबसे बड़ी चीज़ जो उसको डरा देती है वह होती है टेबल पर पड़ी हुई वही लाल साड़ी……
सुंदर घबरा कर पीछे की तरफ़ कमरे के दरवाज़े को ज़ोर से पकड़ लेता है। दो मिनट तक उसका दिमाग सुन्न सा पड़ जाता है। फिर वह सोच में पड़ता है कि रात जो उसको सपना आया था क्या वह सच था? लेकिन ऐसा कैसे हो सकता है। उसके घर में कोई नौकर नहीं ना ही कोई आया जो उसके साथ ऐसा मज़ाक कर रहा हो। वह घबरा कर कमरे के बाहर जाता है। बाहर मिट्टी गीली थी और गड्ढे में पानी भी भरा था। इसका मतलब सचमुच रात में बारिश हुई थी। वह फिर वही करने की सोचता है जो उसने उस रात अपने हिसाब से सपने में किया था। वह पास में पड़ी कैंची उठाता है और पूरे अच्छे तरीके से साड़ी को काट छांट देता है। साड़ी की सारी कतरन उठाता है और कमरे के बाहर पानी से भरे गड्ढे में फेंक देता है। पास में पड़े डंडे से कतरनों को गड्ढे में अच्छे से दबा भी देता है। अंदर आकर टीवी बंद करके और कमरा साफ़ करके ऑफिस के लिए निकल जाता है।
ऑफिस पहुंच कर सुंदर और हरिओम दूसरे लोगों के साथ बातचीत में व्यस्त थे कि तभी सुंदर को ऑफिस की खिड़की के बाहर लाल साड़ी वाली औरत दिखती है। वह ऑफिस से निकलकर उसके पीछे चलने लगता है। हरिओम काम में लगे होने की वजह से ध्यान नहीं दे पाता। चलते चलते वह औरत एक घर के अंदर जाती है। सुंदर जैसे ही घर में जाने लगता है के उसे बहुत तेज़ चीख सुनाई देती है। उसका जैसे कोई नशा टूटता है और वह वहीं चक्कर खाकर गिर जाता है। सुंदर को होश आता है तो वह अपने घर पर होता है और सब लोग उसके पास खड़े होते हैं।
हरिओम सुंदर को डांटता है कि, “ तुम्हें भूत घर के पास भी जाने से मना किया था फिर वह वहां क्यों गया”। सुंदर सबको उस औरत के बारे में और अब तक जो भी हुआ सारी बात बताता है। वे सब तब उसे भूत घर की कहानी सुनाते हैं…
गांव वाले बताते हैं कि कईं सालों पहले वहां एक पति-पत्नी का जोड़ा रहने आया था। हफ्ता बीता ही था कि कुछ लोग उनके घर आए थे। वह कौन थे यह किसी को नहीं पता लेकिन उस दिन के बाद से किसी ने भी उन पति-पत्नी को गांव में नहीं देखा। सब लोग इसी सोच में पड़ गए थे कि आखिर वह दोनों अचानक से कहां चले गए। कुछ दिनों बाद जब घर के अंदर से बदबू आने लगी तब सरपंच के कहने पर घर का ताला तोड़ा गया। वहां सब सामान बिखरा पड़ा था और एक आदमी की लाश पड़ी थी। सब ने औरत को बहुत ढूंढा पर उसका कुछ पता नहीं चला। कुछ दिनों तक किसी को कुछ भी महसूस नहीं हुआ पर बाद में जब भी कोई उस घर के पास से भी निकलता तो औरत के रोने की आवाज़ आती। इसलिए गांव वालों ने वहां से जाना छोड़ दिया। सब लोग बहुत हैरानी में थे क्योंकि सुंदर के कहने के अनुसार उसने साड़ी को काट छांटकर गहरे गड्ढे में दबा दिया था फिर साड़ी टेबल पर कैसे पड़ी थी। सब यही बात करने लगे कि आखिर वह औरत सुंदर ही को क्यों दिखती है और उस साड़ी के ज़रिए वह सुंदर को क्या बताना चाहती है।
तभी एक बुज़ुर्ग गांव वाला सुंदर को पास के गांव में रहने वाले ज्ञानी बाबा के बारे में बताता है जो सर पर हाथ रख कर सालों तक की बात बता देते थे। सुंदर उन बुज़ुर्ग के साथ बाबा के पास जाता है। बाबा उसे बताते हैं कि, “ कंचन और उसका पति उस घर में रहने आये थे। उन दोनों के अलग-अलग जाति के होने की वजह से घरवाले उनके प्रेम विवाह से नाराज़ थे। एक दिन कंचन के पिता कुछ आदमियों के साथ उनके घर आए और उसके पति को मार दिया। उन लोगों ने कंचन को वहां बने तहखाने में धक्का दिया और वह गिरकर मर गई। कंचन का कंकाल आज भी वहीं तहखाने में पड़ा है। गांव वालों को जो घर में से रोने की आवाज़ आती है वह कंचन की आवाज़ है। उसका पति तुम थे। इसलिए वह तुम्हारे सामने आती है।”
गांव वालों ने मिलकर तहखाने में खोज करी तो वहां उन्हें एक कंकाल मिला। कंकाल के ऊपर कुछ गहने और एक कटी फटी हालत में लाल साड़ी थी। सब ने सुंदर के हाथों पूरे रीति रिवाज़ के साथ कंचन का संस्कार कराया। घर में भी पूजा हवन करके सुंदर वहीं रहने लगा। गांव के लोग अब उस घर को भूत घर के नाम से नहीं सुंदर निवास के नाम से बुलाने लगे थे।
