dar ke aage jeet hai
dar ke aage jeet hai

Hindi Vyangya: बच्चे तो लगता है कि इस दुनिया में आने से ही डर रहे हैं इसीलिए नार्मल डिलीवरी कम ही होती है।

अक्सर सुना है कि ‘डर के आगे जीत है पर क्या सही में ऐसा है। चलो देखते है क्योंकि यह भी सुनने में आता है कि डर के आगे एक और डर है आम आदमी या औरत के जीवन के मेन काम नौकरी और शादी। पर आजकल लोग नौकरी करने में डरने लगे हैं। उन्हें काम के बोझ का डर लगता है। बॉस का डर लगता है। यह भी डर लगता है कि कहीं हार्ट अटैक न आ जाए। लड़की या औरत है तो उसे डर लगता है कि कार्य स्थल पर उसका बलात्कार न हो जाए। अप्रैल न खराब हो जाए। नौकरी ही न छूट जाए।
अगला डर है- शादी योग्य वर वधु मिलेंगे या नहीं, शादी टिकेगी या नहीं, लड़की या लड़का अच्छा होगा या नहीं, बहु घर-परिवार और नौकरी सब साथ में कर पाएगी या नहीं। दामाद सास-ससुर का ध्यान रखेगा या नहीं। कहीं किसी बात पर तलाक की नौबत तो नहीं आ जाएगी। बच्चे तो लगता है कि इस दुनिया में आने से ही डर रहे हैं इसीलिए नार्मल डिलीवरी कम ही होती है। मानो बच्चो को जबरन गर्भ से बाहर निकालना पड़ रहा है। वे तो इस दुनिया में आने से ही डर रहे हैं। बच्चों की परवरिश ठीक से होगी या नहीं। उनको अच्छे स्कूल में
एडमिशन मिलेगा या नहीं। वो हर क्षेत्र में हमेशा अव्वल रहेंगे या नहीं। उनको हमेशा 99 प्रतिशत मार्क्स आएंगे या नहीं। उनकी हाइट हेल्थ प्रॉपर बढ़ेगी या नहीं। उसे अच्छे कॉलेज में एडमिशन मिलेगा या नहीं।

यदि हमें ट्रेन से सफर करना है तो यह डर रहता है कि रिजर्वेशन मिलेगा या नहीं। यदि बिना रिजर्वेशन के जा रहे हैं तो बैठने की जगह मिलेगी या नहीं। कहीं ट्रेन पटरी से तो नहीं उतर जाएगी। कहीं कोई सामान
तो चोरी नहीं हो जाएगा।

सड़क पर जा रहे हैं तो डर रहता है कि कहीं कोई रईसजादा अपनी महंगी गाड़ी से टक्कर न मार दे। यदि अपना वाहन चला रहे हैं तो चौराहे पर खड़ा हवालदार रोक कर उसकी फीस न वसूल कर ले। या सीसी टीवी में हमारी कोई गलती पर हमारे घर चालान न भिजवा दे। सड़क के किसी बड़े गड्ढे में हमारा वाहन न फंस जाए। कोई पशु हमारे वाहन के पहिये में फंस कर हमें चोटिल न कर दे। हमारे गंतव्य पर हमें पाॄकग की जगह मिले।
बैंक में रखा हमारा पैसा सुरक्षित रहे। हम किसी सायबर फ्रॉड का शिकार न बने। हम किसी लालच में या किसी बहकावे में आकर अपनी जमा पूंजी न लुटा बैठें। हम अपने पासवर्ड न भूल जाएं। कहीं हमारे कार्ड एटीएम मशीन में ही न भूल जाए। कही हमारे आधार या पैन कार्ड का प्रयोग किसी गलत काम के
लिए न किया जाए।

बहुमंजिला भवनों में रहने वाले डरते हैं कि कहीं लिफ्ट खराब न हो। कहीं बीच में बंद न हो जब हम अंदर हों। कोई बिना मतलब का मेहमान न आ धमके और बहुत दिनों तक डटा रहे। घर का इंटरनेट कभी बंद न हो जाये। कामवाली बाई कही छुट्टी न मार दे।
हर महीने के अंत में यह डर रहता है कि महीना खत्म होने से पहले पगार खत्म न हो जाये। मच्छर काटने पर डर रहता है कि कहीं बीमार न पड़ जायें। अस्पताल में भर्ती होने पर डर रहता है कि बीमारी खत्म होने से पहले जमा पूंजी खत्म न हो जाये। शादी होने के बाद का सबसे बड़ा डर बीवी का जन्मदिन या शादी कि
सालगिरह न भूल जाये।