भारत कथा माला
उन अनाम वैरागी-मिरासी व भांड नाम से जाने जाने वाले लोक गायकों, घुमक्कड़ साधुओं और हमारे समाज परिवार के अनेक पुरखों को जिनकी बदौलत ये अनमोल कथाएँ पीढ़ी दर पीढ़ी होती हुई हम तक पहुँची हैं
मुन्ना सातवें वर्ग का छात्र था। वह अपने माता-पिता की इकलौती संतान था। वह विद्यालय में भी होनहार छात्र था।
मुन्ना गर्मी के दिनों में माता-पिता के आज्ञानुसार सड़क पर राहगीरों को ठंडा पानी पिलाकर उनकी प्यास को शांत करता रहता था। एक दिन दूर से यात्रियों से सजे-धजे घोड़ों के चलने की टप-टप-टप आवाज सुनाई पड़ी। मुन्ना सड़क किनारे एक लोटा पानी लेकर खड़ा हो गया। घोड़ों की टप-टप-टप आवाज बहुत नजदीक आ गई।
मुन्ना ने घोड़े पर सवार यात्रियों से कहा-“महाशय, रुक जाइए। धूप काफी तेज है। थोड़ा पानी पी लीजिए।” दरअसल, घोड़े पर सवार वे सभी लुटेरे थे, जो मुन्ना के गांव को लूटने आये थे।
लुटेरों के सरदार ने मुन्ना से कहा-“बेवकूफ बच्चा। मेरे रास्ते से हट जाओ। मै तेरे गांव को लूटने आया हूं।”
मुन्ना बोला- “ठीक है, मेरे गांव को लूट लेना। परंतु गर्मी बहुत है। आप लोग एक लोटा पानी पी कर प्यास बुझाते जाओ।”
सरदार बोला- “हट जाओ मेरे रास्ते से, वरना गोली मार दूंगा।”
मुन्ना बोला-“ठीक है, मुझे गोली मार दीजिएगा। परंतु मेरे पिताजी का आदेश है कि जाओ, सड़क पर आ-जा रहे यात्रियों को एक लोटा पानी पिलाकर तपती गर्मी में प्यास बुझाकर आओ। इसलिए मैं पिता के आदेशानुसार आप सभी यात्रियों को एक-एक लोटा पानी पिलाकर ही सड़क पर से हटूंगा। मेरा गांव गौतम बुद्ध, भगवान महावीर एवं महात्मा गांधी का गांव है। यहां जनतंत्र है। मेरे गांव में सभी लोग समान भाव से रहते हैं। मेरे गांव के लोग मेहनत करते हैं और एक-दूसरे से प्रेम करते हैं।”
बच्चे की बातें सुनकर कठोर दिल सरदार का दिल पिघल गया। उसने गांव को लूटने का इरादा छोड़, घोड़े से नीचे उतरकर मुन्ना को गोद में उठा लिया और कहा- “बेटा! आज आपने मेरी आंखें खोल दीं। हम लोग आज से लूटपाट नहीं करेंगे। मेहनत कर बुद्ध, महावीर एवं गांधी के बतलाए हुए रास्तों पर चलकर जिंदगी को बेहतर बनाएंगे।”
इतना कहकर सरदार और उसके सभी साथी मुन्ना से एक-एक लोटा पानी पीकर वापस लौट गए।
भारत की आजादी के 75 वर्ष (अमृत महोत्सव) पूर्ण होने पर डायमंड बुक्स द्वारा ‘भारत कथा मालाभारत की आजादी के 75 वर्ष (अमृत महोत्सव) पूर्ण होने पर डायमंड बुक्स द्वारा ‘भारत कथा माला’ का अद्भुत प्रकाशन।’