छोटा सा आशियाना हमारा भी...-गृहलक्ष्मी की कहानियां: Ashiyana Story
Chota sa ashiyana hmara bhi...

Ashiyana Story: सुगंधा और अभय शाम के समय अपनी बालकनी में बैठे हुए थे तभी तान्या ने कहा मम्मी चाय बना कर लाऊं क्या???? हां बेटा बना लो। थोड़ी देर में तान्या चाय बना कर ले आती है चाय देते हुए कहती है कि पीकर बताना कि कैसी बनी है? जरूर बताऊंगी बेटा।

हमारी दुनिया और सब कुछ है हमारी एकलौती बेटी तान्या, 12 साल की होने चली । पढ़ने में तो है ही, नंबर वन साथ ही साथ छोटे-मोटे घरेलू कामों में भी हाथ बटा देती है। यही इसकी सबसे बड़ी खासियत है, वरना आजकल बच्चे लाड-दुलार में ही रह जाते हैं| कैसी बनी मम्मी बताओ ना बहुत अच्छी बेटा, बहुत अच्छी चाय बनाई तूने । अभय ने कहा चाय जितनी अच्छी नहीं है उससे कहीं ज्यादा आपने तारीफ कर दी। सुगंधा शिक्षक आप हैं और बच्चों को हैंडल करना बेहतर मैं जानती हूं । बच्चे हैं उन्होंने बना कर दिया तारीफ नहीं करूंगी तो फिर उनकी जिज्ञासा मन में उड़ने वाली भावनाएं कुंठित हो जाएगी, और उनकी तरक्की रुक जाएगी ।

सही कहा आपने कोई नहीं आप भी तो भावी शिक्षक होने वाले हो ,हां यह तो है दोनों हंसते हुए……………।

तभी तेज बिजली कड़कने की आवाज आती है हवाएं थोड़ी तेज चलने लगती है। अभय कहते हैं कितना सुहाना मौसम है, लगता है तेज बारिश होगी। तभी भींगी हुई एक छोटी सी चिड़िया आकर रेलिंग पर बैठ जाती है,उसके मुंह में थोड़े घास फूस दबे हुए होते हैं। बहुत गौर से सुगंधा देखने लगती है चिड़िया को,अभय टोकते हुए क्या हुआ????????? इस चिड़िया में ऐसी क्या खास बात है कि आप इसे इतना घूर- घूर के देख रही हैं । देखूं तो कैसे नहीं यह चिड़िया मुझे अतीत के पन्नों में झांकने पर मजबूर कर देती है इतनी छोटी सी चिड़िया है और देखिए अपने आशियाना ,अपने बसेरा अपने बच्चों के लिए इस तूफानी मौसम में भी घास फूस दबा के ले जा रही है।

हर मां-बाप का कर्तव्य होता है कि उसे अपनी छत्रछाया दें और सुरक्षा कवच रूपी घर जरूर प्रदान करें। यह समझदारी इस चिड़िया को है, यह जानते हुए कि बच्चों के पंख होंगे और वह उड़ जाएंगे। फिर भी एक अपना प्यारा सा घर, अपनी रहने का ठिकाना, एक प्यारा सा आशियाना बना सके। इसलिए यह इस मौसम में भी मेहनत कर रही है। सच्चाई भी यही है की हमारा जीवन चक्र हमारे बच्चों से ही गुंजायमान होता है………।

हम मनुष्य के लिए सबसे ज्यादा जरूरी भोजन वस्त्र और आवास है। अच्छा तो आप यह सोचने लगी सोचूं भी तो कैसे नहीं,कभी-कभी कुछ परिस्थितियां ऐसी हो जाती है कि सोचने पर मजबूर कर देती है तान्या के पापा। आपसे मैं क्या बोलूं आप तो सब बात जानते हैं जब मैं ब्याह कर आई थी मुझे एक घर मिला ससुराल में । हर माता-पिता यही चाहते हैं कि बेटी को एक अच्छा घर मिले एक अच्छा वर मिले लेकिन मुझे आज तक शादी के 13 साल हो गए घर तो नहीं मिला । हां वर आपके जैसा अच्छा जरूर मिला, अरे वाह मैं अच्छा भी हूं मुझे आज ही पता चला अभय ने चुटकी ली। आप तो हमेशा कहते थे कि मेरी मांजी हमसे सबसे ज्यादा प्यार करती है । मेरे आते ही ऐसा सौतेला बर्ताव क्यों????? माता-पिता ने आपके बारे में आज तक नहीं सोचा,आपके भाइयों को घर मिल गया । मुझे उससे भी कोई दिक्कत नहीं है क्योंकि मैं पढ़ी-लिखी हूं मैं मानती हूं की जो हमारे तकदीर में है वही हमें मिलेगा………।

मैंने कभी इस बात पर अपने परिवार में अपने सास-ससुर को कुछ भी नहीं कहा और ना कभी कहूंगी। यह सोचना हमारे माता-पिता का फर्ज है। मैं भी मां हूं अपने बच्चों के लिए सोचूंगी उसे कम से कम एक रहने का ठिकाना दूं,जो मुझे आज तक नहीं मिला है। ये बात तो सही है अभय ने कहा आपने आज तक कुछ भी नहीं बोला।आपके इसी अदा पर यह बंदा हमेशा से फिदा रहा क्योंकि परिवार में कलह करने बाली बंदी इस बंदे को कभी पसंद नहीं थी। इसीलिए कहते हैं जोड़ियां ऊपर बनती है……….। 

आप मेरी भावनाओं को नहीं समझते ना, हर लड़की की तरह मेरा भी तो सपना है। मेरा एक खुद का घर हो, जिसमें अपनी तस्वीरें सजाऊं,अपने घर को संभालूं जिसमें किसी का कोई टोका- टोकी ना हो इधर ना जाओ उधर ना जाओ।

मुझे एक कमरा भी मिला है, तो कोई दिक्कत नहीं लेकिन कमरे से बाहर कदम रखने पर टोका टोकी ताना बाना यह मुझे अच्छा नहीं लगता है। इससे मुझे वहां घुटन होती हैं। क्या करोगी सुगंधा जहां प्रेम और समझदारी का अभाव है, वहां कुछ भी संभव नहीं है। खैर आप जरा भी परेशान मत हो। जहां धर वही घर,किराए के मकान में भी हैं तो सुकून मिल रहा है ना आपको हमारे साथ। आपका यह सपना आप खुद पुरा करोगी वो कैसे??? इतना आसान भी नहीं होता सपनों का आशियाना खड़ा कर लेना बिना किसी के सपोर्ट के, लेकिन जो सोच ले उसके लिए मुश्किल भी नहीं। रही बात सपोर्ट की  मैं आपके साथ हर पल हर छन खड़ा हूं। यही एक वजह है जो मुझे अपनी ससुराल में घर ना रहते हुए भी वर अच्छा मिला जो मैं संतुष्ट हूं। जिसकी चमक हमारे चेहरे पर मुस्कुराहट के रूप में सजती है हमेशा बस इस मुस्कुराहट पर किसी की नजर ना लगे …….।

चलिए अब यह मुझे बताइए कि मैं अपने सपनों का आशियाना कैसे खड़ा कर सकती हूं। सिंपल इतना मेहनत किस लिए कर रही हैं आप ,खुद आप अपनी मेहनत से अपने सपनों का घर अपना आशियाना खड़ा करोगी। शादी के बाद भी ससुराल में रहकर इतनी मेहनत से पढ़ाई करके यहां तक पहुंची हो। यही तो खासियत है आपकी, आप अपने अंदर की खासियत को पहचानो । वरना शादी के बाद कोई भी लड़की पढ़ना नहीं चाहती । उसमें भी मां बन के तो और नहीं अगर किसी को मौका भी मिलता है तो सौ बहाने ना पढ़ने के बनाती है।

जानती भी हैं आप क्या कर सकती हैं आप, पीएचडी की डिग्री ले रखी हैं। यह कम बड़ी उपलब्धि नहीं है। ईश्वर की इच्छा होगी तो आप जल्द ही प्रोफेसर बनोगी,आपकी मेहनत रंग लाएगी। ईश्वर के घर देर है अंधेर नहीं, वो सब देखता है और आपके जरूरत के हिसाब से वही देता है जो आपके लिए सही है………।

ईश्वर की मर्जी से साल भी नहीं लगे कि सुगंधा को असिस्टेंट प्रोफेसर की नौकरी लग गई। सुगंधा ज्वाइन करते हुए खुद पर गर्व महसूस कर रही थी और उसे आज लग रहा था कि संघर्ष कभी बेकार नहीं जाता। इसी तरह एक दो साल बीत गए खुशी-खशी और आज शादी के 15वे साल में, अपने नए घर में गृह प्रवेश करते हुए सुगंधा और अभय काफी खुश नजर आ रहे थे ।तभी सुगंधा कहती है कि शादी के बाद लड़के लड़कियों को अपना घर देते हैं आज मैंने अपनी मेहनत से आपको अपना घर दिया,शादी के सालगिरह का तोहफा चुटकी लेते हुए।

मैंने आपको घर दिया, यह एक प्रोफेसर की सोच से परे है सुगंधा जी, गलत बोल रही हैं आप पति पत्नी एक ही होते हैं। यह खुशी का पल है और आपके वह खूबसूरत सपने छोटा सा आशियाना हमारा भी। इस गृह प्रवेश के साथ पूरे हो गए…….।