शिशुओं में लैरींगोमलेशिया के कारण, लक्षण और बचाव के उपाय
लैरींगोमलेशिया नवजात शिशुओं में एक सामान्य समस्या होती है जो सूखी और ठंडे मौसम में अधिकतर दिखाई देती है।
लैरींगोमलेशिया नवजात शिशुओं में एक सामान्य समस्या होती है जो सूखी और ठंडे मौसम में अधिकतर दिखाई देती है। यह एक संक्रमण होता है जो समान्य ठंडे मौसम में उन्नत शिशुओं को प्रभावित नहीं करता है।
लैरींगोमलेशिया का मुख्य कारण वायुमंडलीय संक्रमण है जो संक्रमण फैलने वाले वायुमंडल के कारण होता है। इसके लिए बच्चों को साफ वातावरण में रखना बहुत महत्वपूर्ण होता है। इस समस्या के लक्षण में सूखी खांसी, बुखार, सांस लेने में दिक्कत और कभी-कभी कणों के साथ बलगम शामिल होता है। यदि आपका बच्चा इन लक्षणों का सामना कर रहा है, तो आपको एक चिकित्सक से सलाह लेनी चाहिए। बच्चों के लिए आम तौर पर उपलब्ध दवाओं के बारे में चिकित्सक से पूछना बेहतर होगा।
लैरींगोमलेशिया क्या है?

लैरींगोमलेशिया नवजात शिशुओं में होने वाली एक आम बिमारी है, साथ ही किसी भी बच्चे में जन्म से ही इस रोग के लक्षण मौजूद हो सकते हैं। लेकिन, कुछ समय बाद ये लक्षण साफ नजर आ सकते हैं। अक्सर बच्चों में इस बिमारी का तब पता लगता है जब आपका बच्चा पीठ के बल लेटा हुआ होता है। हालांकि अभी तक इस बिमारी के होने का कोई साफ वजह नहीं है। लेकिन कुछ मामलों में लैरींगोमलेशिया के लक्षण जन्म के तुरंत बाद ही देखे जा सकते हैं। जैसे सांस लेते समय गले से कुछ अजीब आवाज आना जो कुछ समय में खुद ही ठीक भी जाती है।
इससे जुड़े 90 % मामले खुद ही ठीक हो जाते हैं, वहीं कुछ बच्चो को दवा और सर्जरी की भी जरूरत पड़ती है। अगर इसके लक्षण लगातार बढ़ रहे हो जैसे की दूध पीने में समस्या, सांस लेने में परेशानी, एपनिया और सायनोसिस महसूस हो रहे हैं तो आपको तुरंत डॉक्टर से संपर्क करना चाहिए। लैरींगोमलेशिया अक्सर बच्चों में गैस्ट्रोओसोफेगल रिफ्लक्स की वजह से होता है। और ये बच्चों की मसल्स को भी काफी कमजोर बना देता है।
लैरींगोमलेशिया के लक्षण

लैरींगोमलेशिया एक संक्रमण होता है जो फेफड़ों के एक भाग को प्रभावित करता है जिसे लैरिंगोसेल्स कहा जाता है। यह विशेष रूप से ठंडी जंगली या नम वातावरण में रहने वाले बच्चों को प्रभावित करता है। लैरींगोमलेशिया के लक्षण हैं सूखी खांसी, तेज बुखार, सांस लेने में तकलीफ या दुबकी लेना, सांस की तरंगों में बदलाव जैसे कि तेज़ सांस या फिर अचानक से श्वसन रुकना, सीने में तकलीफ या अधिक बल पड़ना, बुखार के साथ गले में खराश और खांसी, सामान्य शारीरिक कमजोरी या थकान, बच्चों में खाना न पचना, एक्टिव न रहना।
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लैरींगोमलेशिया के कारण

लैरींगोमलेशिया असामान्य सांस लेने का कारण होने वाले संक्रमणों में से एक है। यह संक्रमण लेसिया पीड़ित क्षेत्र में होने वाली सूजन और आवृत्ति के कारण होता है। यह उन जगहों में होता है जो श्वसन पथ के नीचे होते हैं, जैसे कि गले, नाक, और कान।
लैरींगोमलेशिया का मुख्य कारण वायुमंडलीय संक्रमण होता है जो वायुमंडल से बढ़ता है। ज्यादातर लोगों में, यह संक्रमण साधारण ठंडी मौसम में दिखता है, जब वायुमंडल की नमी गिरती है और आसानी से संक्रमण फैलता है। इसके अलावा, नींद न लेना, विषाक्त प्रदूषण आदि भी इस संक्रमण के कारणों में शामिल होते हैं।
बच्चों में लैरींगोमलेशिया से बचाव

लैरींगोमलेशिया कई बार बच्चों में अपने आप ही ठीक हो जाता है। लैरींगोमलेशिया जैसी बीमारियों से अपने बच्चे को बचाने के लिए रेगुलर चेकउप करवाते रहना चाहिए। अपने बच्चे का खान पान अच्छा और हेल्थी रखें। बच्चों को अपने हाथों को नियमित रूप से साबुन और पानी से धोना सिखाएं। यह उन्हें संक्रमण से बचने में मदद करेगा। जब बच्चे घर से बाहर जाते हैं, तो उन्हें फेस मास्क पहनना चाहिए। यह उन्हें वायरस से संरक्षण प्रदान करता है। बच्चों को स्नान लेना और साफ सुथरा रखना अत्यंत आवश्यक होता है। उन्हें भी शौच के बाद हाथ धोने का आदत देना चाहिए। बच्चों को लोगों से थोड़ी दूरी बनाए रखना चाहिए। उन्हें स्कूल, पार्क और अन्य सार्वजनिक स्थानों पर जितना हो सके संक्रमण से बचने के लिए दूर रखा जाना चाहिए।
