Story in Hindi: हमारा मन भी अजीब है एक जगह स्थिर रहता ही नहीं है। इसके अंदर उठने वाली तरंगें भी समंदर की ढेर सारे लहरों में उतार चढ़ाव करते रहती है।इस चंचल मन के अंदर अगर कोई गांठ लग जाए, जब तक ना खुले तब तक सामने वाले को गलतफहमी ही लगती है ।यही सोच कर सुनंदा हैरान परेशान उम्र […]
Author Archives: डॉ कुमारी रिचा
जिंदगी जिंदादिली का नाम है..-गृहलक्ष्मी की कहानियां
Hindi Kahani: मैं अपनी पूजनीय दादाजी श्री युगल किशोर मिश्रा जो अब इस दुनिया में नहीं रहे जी को याद करते हुए उनकी एक छोटी सी बात जिसका जीवन में मूल्य बहुत ही बड़ा और सार्थक है।जो हर एक पल जिंदगी जीने के लिए बेहद ही मोटिवेट करती आई है। उसे आप सभी लोगों से […]
पापा के कंधे की सवारी—जब मैं छोटा बच्चा था
Short Story: बात उन दिनों की है जब मैं 7 से 8 साल की थी। स्कूल में अपना चप्पल भूल जाने की वजह से मैं घर के आस—पास खाली पैर घूम रही थी। उसी दिन रात को करीब 8 बजे मुझे सांप ने काट लिया। मेरा पैर काला पड़ने लगा। बुआ ने ब्लेड से ही […]
पूर्णिमा बनी प्रियतम की-गृहलक्ष्मी की कहानियां
Hindi Kahani: आजकल के नए जमाने धूम धड़क वाले गाने पर थिरकते हुए पूर्णिमा दुनिया से बेखबर अपनी मस्ती में खोई हुई है। पूर्णिमा की मां गौरी ने निर्जला व्रत तीज का व्रत रखा हुआ है। गर्मी से उनका हाल बेहाल है। उन्हें उम्मीद तो नहीं है अपनी बेटी से कि वह थोड़ा पास आकर […]
पहली तनख्वाह-गृहलक्ष्मी की कहानियां
Hindi Story: अरे प्रियंका मैडम आपकी आंखों से आंसू किस बात के लिए, अभी-अभी आपकी पहली तनख्वाह आई है आपको तो खुश होना चाहिए। हम सभी को मिठाई भी खिलानी होगी संजय सर ने कहा, ‘ जी जरूर ये तो खुशी के आंसू हैं सर।”अनेकों ताने सुनने और काफी विपरीत परिस्थितियों को बिताने के बाद […]
ससुराल में धीरे बोलने का सबक सीख गई— हाय मैं शर्म से लाल हो गई
Hindi Funny Stories: बात उन दिनों की है जब मैं शादी करके अपने ससुराल आई हुई थी। ना तो कोई तौर तरीके मालूम ना यहां का रहन-सहन मालूम था ना तो ससुराल की बंदिशेबेफिक्र मिजाज से रहती थी। ससुराल के नाम पर सिर्फ परिधान बदल गया, साड़ी में ही लिपटी रहती थी। मैं नई थी […]
नंद के घर आनंद भयो—गृहलक्ष्मी की लघु कहानी
Hindi Kahani: सुनंदा को आवाज लगाते हुए रामानंद ने कहा, लगता है कि हम दोनों बिना पोता पोती के मुंह देखे हुए ही स्वर्ग सिधार जाएंगे। नहीं ऐसा नहीं हो सकता है| ढेर सारी मन्नतें हमने ईश्वर से मांगी है। वह हमारी एक दिन जरूर सुनेंगे लेकिन कब? कुदरत का खेल देखो दो बेटों में […]
पलकों की छांव में…….गृहलक्ष्मी की कहानियां
Hindi Stories: पन्नालाल अपनी बिटिया पीहू को विदा कर धराशाई हो चारपाई पर बैठ जाते हैं। जब तक बिटिया की गाड़ी उनकी आंखों से ओझल नहीं हो जाती तब तक उस गाड़ी को देखते ही रह जाते हैं ।आंखों से अश्रु धारा निरंतर बहे जा रही,जो रुकने का नाम नहीं ले रही है। तभी तेज […]
विनाशकारी वेला…गृहलक्ष्मी की कहानियां
Grehlakshmi ki Kahani: मृत्यु एक सबसे बड़ा सत्य लेकिन यह सत्य इस रूप में ऐसी विपत्ति देखने को मिलेगी। यह कभी मैं नहीं सोच पाया था । पूरी धरा पर कोहराम मचा हुआ है कोई भी परिवार ऐसा नहीं बचा है जिसमें से युवा, बच्चे, बूढ़े इस अंतिम सत्य से ना गुजर रहे हैं । […]
आत्मसम्मान की वापसी-गृहलक्ष्मी की कहानियां
Aatmsamman: उसकी ऐसी हालत के जिम्मेदार भी तो हम दोनों ही हैं, अपने बेटे राघव से कहते हुए निर्मला जी की आंखों से आंसुओं की धार बहने लगते हैं। इन्हें आंसुओं के सैलाब के साथ ही वह भी खो जाती हैं अंकिता अपनी बहू के हंसती खेलती चहकती उस दुनिया में जब वह सही थी […]
