Hindi Story: अरे प्रियंका मैडम आपकी आंखों से आंसू किस बात के लिए, अभी-अभी आपकी पहली तनख्वाह आई है आपको तो खुश होना चाहिए। हम सभी को मिठाई भी खिलानी होगी संजय सर ने कहा, ‘ जी जरूर ये तो खुशी के आंसू हैं सर।”
अनेकों ताने सुनने और काफी विपरीत परिस्थितियों को बिताने के बाद यह खुशी का पल आया है। इसलिए ना चाहते हुए भी आंसू छलक गए। पर्स से 500 का नोट निकालते हुए, प्रियंका ने कहा कि सर, ‘ इसका मिठाई ले आइए। संजय सर ने कहा, ‘ मैडम इतने में जी भर मिठाई नहीं होगी ?????? मैं पुनः 500 के दो नोट देते हुए। अब हुई ना बात एक स्वर में और सभी शिक्षक टीम बोल पड़े।
इन आंसू के सैलाब में बीते पलों की वो यादें आज भी मुझे भंवर बनकर डसने लगी। और मैं बैठे-बैठे ही उन पलों में गोता लगाने चली गई…….।
बात उन दिनों की है जब मैं 22 वर्ष की उम्र में शादी कर ससुराल आई थी। दो-चार दिन किसी तरह बीते एक दिन ससुर जी ने कहा, ‘ आगे की पढ़ाई जारी रखनी है या नहीं नहीं। मैंने सर हिला कर हामी भर दी मेरी इच्छा शुरू से ही पढ़ने की थी क्या बनना है यह गोल तो तय नहीं था? या कहें कि आज की पीढ़ी की तरह समझदारी नहीं थी।
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सारे रस्मो रिवाज पूरी होने के बाद, मैं दोबारा पढ़ाई करने में जुट गई और बैकिंग की तैयारी करने लगी इसमें मेरा सिलेक्शन नहीं हुआ क्योंकि मेरी पढ़ाई बीच में हुई छूट गयी वजह मैं मां बनने वाली थी।
पूरे परिवार में मेरे मां बनने की खुशी और दूसरे तरफ मेरे अंतर्मन में चल रहा द्वंद्व की मेरी पढ़ाई अब छूट जाएगी। हमारे पतिदेव ने कहा कि यह भी जिंदगी का एक बहुत ही खूबसूरत मोड़ है और इसका आनंद लीजिए। पढ़ाई आपकी जब इच्छा होगी तब शुरुआत कर सकती हैं। इच्छा शक्ति के आगे हर चीज संभव है।
वह तो है मैंने कहा । इसी तरह नौ महीने का समय बीत गया और मैं एक नन्हें से गोल मटोल कृष्ण कन्हैया की मां बन गई। उसे देखकर सारी प्रसव पीड़ा भूल कर ढेर सारी खुशी हृदय में उपज रही थी।
समय घोड़े से भी तेज गति से दौड़ती है एक साल बाद……..
मैं पुनःपढ़ाई शुरू की लेकिन बैंकिंग का क्षेत्र छोड़कर, लगातार पढ़ाई करती रही लोगों की ढेर सारे ताने वाने सुनती रही। ताने सुन सुनकर हमारे मनः स्थिति पर भी थोड़ा असर हुआ ?????लेकिन सबसे ज्यादा किसी ने मेरी मनः स्थिति को मजबूत किया तो वो हमारे पति। हमेशा हमें कहते इधर उधर की बातों पर ध्यान मत दीजिए कोई चीज पाने के लिए उसकी पूरी प्रक्रिया जरूरी होती है।
जब पूरी प्रक्रिया हो जाएगी तब आपको कहीं ना कहीं ईश्वर की इच्छा से सरकारी नौकरी मिलेगी? ????? और आप अपनी पढ़ाई को कम महत्व न दें। योग्य है तभी तो निजी विद्यालय में लगातार पिछले 5 वर्षों से पढ़ाई के साथ-साथ पढ़ा भी रहे हैं। सब में कहां होता है यह हिम्मत। उनकी इन हिम्मत भरी बातों से मुझे भी हिम्मत मिलती और मैं इसके अलावा भी एक काम से जुड़ती गयी वह है लेखन का काम और इसमें भी खूब नाम कमाई।
पढ़ाई की सारी प्रक्रिया पूरी करते-करते 10 साल कैसे बीत गए कुछ पता भी नहीं चला और उनकी कहीं बातें सच भी हो गई ।
साड़ी प्रक्रिया पूरी होते ही मुझे शिक्षिका के पद पर सरकारी नौकरी मिल गई। और आज मेरी पहली तनख्वाह आई तो मेरी आंखों से खुशी के आंसू टपक पड़े और यह आँसू हीरे मोती से कम अनमोल नहीं थे।
मैं आंसू पोछते हुए तभी सर ने कहा कि मिठाई खायीए। पहले आपका मुंह मीठा होगा फिर हम सब का मैं ख्वाब से हकीकत में आई और सब के साथ इस अपने जीवन के रंगीन सपने को हकीकत में महसूस की। हमारे सभी शिक्षक टीम ने मिठाई खाते हुए एक साथ कहा कोई भी ख्वाब ऐसा नहीं जिसे मेहनत से पूरा नहीं किया जा सकता…….।
