नए बच्चे के आने पर बड़े बच्चे को माता-पिता इस तरह करें तैयार: Parenting Advice
Parenting Advice

Parenting Advice: घर में नन्हें मेहमान के आने की खुशी अलग ही होती है। जब घर में यह पता चलता है कि एक नन्हा मेहमान जल्द ही घर में आने वाला है तो हर सदस्य उसके आने की तैयारियों में लग जाता है। लेकिन इस खुशी और तैयारियों के बीच अक्सर परिवार के सदस्य घर में पहले ही मौजूद बच्चे को भूल जाते हैं। हर वक्त उसे यह बताया जाता है कि अब एक छोटी सी जान घर में आएगी और माता-पिता को उसका अधिक ध्यान रखना होगा। इतना ही नहीं, अब उसे अपने मम्मी-पापा से दूरी बनानी पड़ेगी।

जब ऐसा होता है तो वह बच्चा बहुत अधिक परेशान हो जाता है। जहां उसे नन्हें मेहमान के घर में आने की खुशी होनी चाहिए, वहीं वह उसे अपना सबसे बड़ा दुश्मन समझने लगता है। उसे यह महसूस होता है कि अब नन्हें मेहमान के आने पर उसकी वैल्यू कम हो जाएगी। उसे अपनी चीजें छोटे बेबी के साथ शेयर करनी पड़ेंगी। यहां तक कि मम्मी-पापा भी छोटे बेबी को ही ज्यादा प्यार करेंगे। इस तरह की भावनाएं मानसिक रूप से उसे कहीं ना कहीं परेशान करती हैं। ऐसे में बच्चा बेवजह चिड़चिड़ा हो जाता है। वह छोटी-छोटी बातों पर गुस्सा हो जाता है या फिर अपनी नाराजगी जाहिर करता है। इसलिए, यह पैरेंट्स व परिवार की जिम्मेदारी बनती है कि वे अपने बच्चे को आने वाले मेहमान के लिए तैयार करें। इसके लिए कुछ छोटे-छोटे कदम उठाए जा सकते हैं-

Also read: अच्छी परवरिश का गुरुमंत्र अनुशासन और प्यार: Discipline and Love in Parenting

पहले से करें शेयर

अगर आप दूसरी प्रेग्नेंसी प्लॉन कर रहे हैं तो यह जरूरी है कि आप बच्चे से इस विषय में बात करें। अगर बच्चा सात-आठ साल का है तो आप उसे यह बता सकते हैं। मसलन, आप उसे कह सकते हैं कि मम्मी-पापा आपके लिए एक छोटा बेबी लाने की सोच रहे हैं। आप अक्सर अकेले हो जाते हो और आपके साथ खेलने के लिए कोई नहीं होता। यह छोटा बेबी आपका सबसे अच्छा दोस्त बनेगा। इस तरह आप बच्चे के मन को काफी हद तक सकारात्मक बना सकते हैं।

दें आश्वासन

Parenting Advice
Give Assurance

एक पैरेंट के रूप में यह बेहद जरूरी है कि आप अपने बच्चे को यह आश्वासन दें कि आप हमेशा उसके साथ हैं और रहेंगे। छोटे बच्चे के आने के बाद भी उसका महत्व कम नहीं होगा। आप उन्हें बार-बार बोलकर यह बताएं। अक्सर बच्चों को लगता है कि छोटा बेबी उनका सारा हक छीन लेगा। आपको बच्चे के मन के इस डर को दूर करना है। आप ना केवल उसे बोलकर बताएं, बल्कि अपना प्यार जताने के लिए उसे गले लगाएं। इससे बच्चा आपका प्यार महसूस करेगा।

कुछ बदलावों की करें शुरुआत

अधिकतर घरों में यह देखने में आता है कि लोग बच्चे के साथ बदलावों की शुरुआत तब करते हैं, जब नया मेहमान घर में आ जाता है। मसलन, नए मेहमान के आने के बाद बड़े बच्चे को कई बार अलग सोना पड़ता है या फिर वह अपनी माता के पास नहीं सो पाता, तो वह खुद को उनसे दूर पाता है और इसके लिए बच्चा शिशु को ही जिम्मेदार मानता है। यहां तक कि कभी-कभी तो वह उग्र स्वभाव का भी हो जाता है। इस स्थिति से बचने का सबसे अच्छा तरीका है कि इन बदलावों की शुरुआत कुछ समय पहले से ही हो जाए। मसलन, आप नए मेहमान के आने से पहले ही उसे कभी-कभी अलग सुलाने की आदत डालें। हो सकता है कि बच्चा शुरुआत में ऐसा ना करे। लेकिन आप सोशल स्टोरीज की मदद से उसे यह समझा सकते हैं कि अकेले सोने या फिर पापा या दादी के साथ सोने में कोई बुराई नहीं है। अब वह धीरे-धीरे बड़ा हो रहा है तो उसका भी अलग से कमरा व बेड होना चाहिए।

शब्दों का रखें खास ध्यान

अगर आप चाहते हैं कि आपके दोनों बच्चों के बीच अच्छी बॉन्डिंग हो तो आपको हमेशा अपने शब्दों व टोन का खास ध्यान रखना चाहिए। अगर आप बच्चे के साथ अधिक माइंडफुल होकर बात करेंगे तो इससे आपके लिए चीजों को मैनेज करना आसान हो जाएगा। मसलन, अगर बच्चा छोटे बेबी को हाथ लगाना चाहता है तो आप उसे यह ना कहें कि बेबी छोटा है, उसे चोट लग जाएगी। इसकी जगह, आप पहले बेबी से बड़े बच्चे के गालों पर टच करवाएं और फिर उसे कहें कि वह भी ऐसा ही करे। दरअसल, जब छोटा बेबी बड़े बच्चे को हाथ लगाएगा तो उसे यह समझ में आएगा कि बेबी को कितना सॉफ्ट टच करना जरूरी है। फिर वह भी उसे हाथ लगाते समय खास ध्यान रखेगा। कभी भी बच्चे से छोटे बेबी या फिर वर्तमान स्थिति को लेकर किसी भी तरह की नकारात्मक बातें ना करें।

कहानियों का लें सहारा

नए मेहमान के आने से पहले माता-पिता के रूप में आपको बच्चे को यह समझाना बेहद जरूरी है कि आने वाला नया मेहमान उसका दोस्त है, दुश्मन नहीं। इसके लिए आप कुछ कहानियों का सहारा लें, जिसमें आप उसे बताएं कि एक छोटे भाई या बहन का होना कितना जरूरी होता है। साथ ही साथ, आप कुछ किताबों व वीडियो स्टोरीज की मदद से भाई-बहन के आपसी प्रेम के महत्व को समझाएं। इससे नए मेहमान के आने से पहले ही बच्चा उससे एक जुड़ाव महसूस करेगा। वह इस चीज को समझ पाएगा कि आने वाला शिशु उनका कोई कॉम्पिटिटर नहीं है, बल्कि वह वास्तव में उनका अपना है।

मिलकर करें खरीदारी

नन्हें शिशु के आने से पहले ही हर घर में उसके लिए खरीदारी शुरू हो जाती है। ऐसे में आप अपने बच्चे को इस खरीदारी में शामिल करें। ऐसा करने से बच्चा उस नन्हीं सी जान के दुनिया में आने से पहले ही उससे अपना एक जुड़ाव महसूस करेगा। इतना ही नहीं, शॉपिंग के जरिए आप बच्चे को बहुत कुछ समझा सकते हैं। उदाहरण के तौर पर, आप बच्चे के लिए एक डॉल खरीदें और उसे समझाएं कि आने वाला शिशु भी बिल्कुल ऐसा ही कोमल है और जिस तरह वह डॉल की देखरेख करता है, ठीक उसी तरह नए मेहमान को भी अतिरिक्त केयर की आवश्यकता होगी। इस तरह उनके लिए चीजों को समझना आसान हो जाएगा।

दें छोटी-छोटी जिम्मेदारी

अक्सर यह देखने में आता है कि माता-पिता व परिवार के सदस्य बच्चे से बोलते हैं कि अब उसे अपना सामान शेयर करना पड़ेगा या फिर मम्मी को बेबी के पास रहना होगा। इस तरह की बातें बच्चे को परेशान करती हैं। इसकी जगह आप कोशिश करें कि आप आने वाले मेहमान की तैयारियों में बच्चे को शामिल करें। आप शिशु के छोटे-छोटे काम बच्चे से करवाएं। जैसे वह बच्चे के कपड़े अलमारी में रखें, उसके टॉयज को व्यवस्थित करें या शिशु के लिए बेड लगाएं। इससे बच्चा खुद को बड़ा मानने लगता है और अधिक जिम्मेदार तरीके से व्यवहार करता है। उसे लगता है कि वह आने वाले मेहमान का बड़ा भाई या बहन है और इसलिए उसका ख्याल रखना उसकी भी जिम्मेदारी है। इस तरह आप उसे अधिक जिम्मेदार भी बना सकते हैं।

करें तारीफ

शब्द बच्चों पर जादू की तरह काम करते हैं और इस तरह आप बहुत सी चीजें मैनेज कर सकते हैं। भले ही नन्हा मेहमान आपकी बातों को नहीं समझता, लेकिन बड़ा बच्चा सबकुछ सुनता है और समझता है। इसलिए, समय-समय पर अपने बच्चे की तारीफ करना ना भूलें। मसलन, अगर बच्चा नन्हें मेहमान का कोई काम करता है तो आप उस नवजात शिशु से कहें कि देखो दीदी आपके लिए कपड़े लेकर आई हैं। वह आपसे कितना प्यार करती हैं और आपका ख्याल रखती हैं। इस तरह की बातें सुनकर बड़े बच्चे को अच्छा लगता है। उसे यह ममझ में आता है कि आप उसे अभी भी भूले नहीं हैं। साथ हीए तारीफ सुनकर बच्चा छोटे बेबी का और भी अधिक बेहतर तरीके से ख्याल रखता है। उसे सेपरेशन एंग्जाइटी जैसी समस्याएं नहीं होती हैं। यहां तक कि वह खुद ही अपने छोटे भाई व बहन के लिए अधिक संवेदनशील हो जाता है और इससे उनके बीच रिश्ता भी मजबूत बनता है।

बिताएं अलग से समय

यह सच है कि नए मेहमान के आने के बाद शायद आप बड़े बच्चे को बहुत अधिक समय ना दे पाएं। ऐसे में वह बच्चा खुद को उपेक्षित महसूस करता है। आपके बच्चे के मन में इस तरह की भावनाएं पैदा ना हो, इसलिए आप यह सुनिश्चित करें कि कुछ वक्त आप हर दिन अपने बच्चे को अलग से जरूर दें। यह नियम आप बेबी के पैदा होने से पहले बनाएं और बेबी होने के बाद भी वैसा ही करें। भले ही आप बड़े बच्चे को दिन का आधा घंटा दें, लेकिन उसमें सिर्फ बड़े बच्चे के साथ ही समय बिताएं। कोशिश करें कि उस समय नन्हा मेहमान आपके साथ ना हो। इससे बच्चे को यह लगता है कि मम्मी बेबी के होने के बाद भी उससे उतना ही प्यार करती है और इससे उसके मन में असुरक्षा की भावना पैदा नहीं होती है।

(पाल्स क्लीनिक की सीनियर कंसल्टेंट साइकोलॉजिस्ट डॉ. दीपाली बत्रा से बातचीत पर आधारित)