Sibling Fights Solution: बच्चे यूं तो स्वभाव से बेहद कोमल होते हैं। लेकिन जब दो नन्हें शैतान साथ में होते हैं, तो ऐसे में उनके बीच तू-तू मैं-मैं होना स्वाभाविक है। आमतौर पर, बच्चे छोटी-छोटी बातों पर झगड़ते रहते हैं, लेकिन उनके बीच के झगड़ों को सुलझाना पैरेंट्स के किसी सिरदर्द से कम नहीं है। हो सकता है कि आपके घर भी सिबलिंग आपस में झगड़ते रहते हों। तो चलिए आज इस लेख में हम आपको कुछ ऐसे आसान तरीकों के बारे में बता रहे हैं, जिनकी मदद से आप सिबलिंग के बीच होने वाले झगड़ों को आसानी से डील कर सकती हैं-
सिबलिंग को जन्म से पहले बनाएं दोस्त

पैरेंटिंग सिर्फ बच्चे के जन्म के बाद ही शुरू नहीं होती है, बल्कि इसके लिए आपको समय से प्लानिंग करनी पड़ती है। मसलन, आप सिबलिंग के बीच होने वाले झगड़ों को खत्म करके उनके बीच हमेशा प्यार बनाए रखना चाहते हैं तो इसके लिए आपको शुरूआत दूसरे बच्चे के जन्म से पहले ही करनी होगी। आप अपने बड़े बच्चे को जन्म से पहले नए बच्चे से परिचित कराएं। दरअसल, जब बड़ा बच्चा आने वाले नन्हें मेहमान के साथ कनेक्टेड होगा तो उनके बीच टकराव की स्थिति काफी कम हो जाएगी।
सिबलिंग के बीच बनाए सहयोग का वातावरण

अकसर पैरेंट्स सिबलिंग से ये उम्मीद करते हैं, वे आपस में मिल-जुलकर प्यार से रहें। जबकि घर के वातावरण पर हमारा कोई ध्यान ही नहीं होता है। सिबलिंग के बीच सहयोग का वातावरण बनाए रखने के लिए जरूरी है कि आप पहले घर के माहौल पर ध्यान दें। आपको यह ध्यान देने की आवश्यकता है कि बच्चे अकसर नकल करके सीखते हैं। इसलिए, अगर में माता-पिता के बीच कम्युनिकेशन अच्छा नहीं होगा या फिर घर में हर समय तनाव की स्थिति होगी, तो ऐसे में बच्चे भी अक्सर चिड़चिड़े रहेंगे। जिसके कारण सिबलिंग के बीच झगड़े होने की संभावना अधिक होगी।
सिबलिंग के बीच ना करें तुलना

अकसर यह देखने में आता है कि जिन घरों में सिबलिंग होते हैं, वहां पर पैरेंट्स अकसर उनके बीच तुलना करते हैं। हर बच्चा दूसरे से अलग है और हर बच्चे की अपनी अनूठी ताकत और कमजोरियां होती हैं। इसलिए, कभी भी उनके बीच तुलना ना करें। बल्कि उन्हें उनकी ताकत का अहसास करवाएं और कमजोरियों को ताकत में बदलने के लिए प्रोत्साहित करें।
सिबलिंग के लिए तय करें नियम

हम सभी अपने बच्चों से प्यार करते हैं और उन्हें यह जताना भी आवश्यक है। हालांकि, इसके साथ-साथ उन्हें अनुशासन सहित जीवन के अन्य पाठ पढ़ाना भी उतना ही जरूरी है। इसलिए, उनके अच्छे व्यवहार के लिए कुछ नियम निर्धारित करें। मसलन, जब भी वह बेवजह झगड़ा करते हैं या अपशब्द बोलते हैं तो आप एक सप्ताह के लिए उनके फेवरिट टॉयज उनसे ले सकते हैं। इसी तरह, अच्छा व्यवहार करने पर उन्हें प्रोत्साहित करने के लिए कोई उपहार दिया जा सकता है। इस तरह बच्चे खुद को अनुशासित करने के साथ-साथ अपने व्यवहार में भी परिवर्तन लाने का प्रयास करते हैं।
सिबलिंग को दें समय

बच्चे के लिए सबसे जरूरी होता है पैरेंट्स का समय। लेकिन आज की भागदौड़ भरी जिन्दगी में पैरेंट्स के पास अपने बच्चों के लिए ही समय नहीं होता है। जिससे बच्चे खुद को अलग व कटा हुआ महसूस करते हैं। खासतौर से, अगर पैरेंट किसी एक बच्चे को समय देते हैं और दूसरे को पर्याप्त समय नहीं दे पाते हैं तो ऐसे में सिबलिंग में झगड़े होने की संभावना अधिक बढ़ जाती है। इसलिए, बच्चे के इंटरस्ट को पहचानें और उनके साथ इनवॉल्व होने का प्रयास करें। इससे बच्चे को इस बात का अहसास होगा कि वे आपके लिए खास हैं और फिर उन्हें कोई दूसरा भाई या बहन के होने से कोई समस्या नहीं होगी।
सिबलिंग की सुनें बात

किसी भी समस्या के हल के लिए सबसे जरूरी होता है उस समस्या के कारणों को जानना। सिबलिंग के बीच होने वाले झगड़ों के पीछे कई कारण जिम्मेदार हो सकते हैं। मसलन, हो सकता है कि एक बच्चा दूसरे बच्चे के आने के बाद खुद को असुरक्षित महसूस कर रहा हो या फिर उसे ऐसा लग रहा हो कि अब आप उसे उतना प्यार नहीं करेंगी। इसके अलावा, कभी-कभी दो बच्चों के बीच जलन की भावना होने के कारण भी उनके बीच झगड़े होते हैं। इसलिए, समस्या के निदान के लिए आप दोनों बच्चों से अलग-अलग बात करें और उनके मन की बात जानने का प्रयास करें। इसके बाद स्थिति को हैंडल करना आपके लिए काफी आसान होगा।
सिबलिंग से ना बोलें नेगेटिव शब्द

जब सिबलिंग के बीच झगड़ा होता है तो अकसर पैरेंट्स बहुत अधिक झल्ला जाते हैं। इस स्थिति में अक्सर वे खुद भी अपना आपा खो देते हैं। यह देखने में आता है कि इस स्थिति में अधिकतर पैरेंट्स अपने बच्चों से कुछ नेगेटिव शब्द बोलने लग जाते हैं। इस वजह से बच्चे उस समय तो शांत हो जाते हैं, लेकिन उन दोनों के बीच आपकी टकराव बढ़ सकता है। इसलिए, किसी भी तरह के नकारात्मक शब्द का इस्तेमाल करने से परहेज करें।