''अपना खूबसूरत आशियाना "—गृहलक्ष्मी की कहानियां
Apna Khubsurat Aashiyana

Hindi Story: ” कोमल यहाँ आओ देखो यह खूबसूरत नज़ारा प्रकृति की यह अनूठी दुनिया में हमारा सपनों का और खुशियों से भरा हुआ एक सुंदर – सा ” अपना खूबसूरत आशियाना ” होगा। बिल्कुल हमारी कल्पनाओं के अनुसार है। कुछ दिनों में ज़रूरी कागजों पर अपने हस्ताक्षर हो जाने के बाद इस प्रकृति की गोद में हम अपना जीवन अपने आशियाने में ” सुकून ” से गुजारेंगे “। आदित्य अपनी धर्मपत्नी कोमल से यह सब प्रकृति की गोद में बसे एक जमीन के टुकड़े पर खड़े होकर कह रहा था। आदित्य को इतना खुश देखकर कोमल भी बहुत खुश होती है, आदित्य की मेहनत ने आज रंग लाना शुरू कर दिया है, जिसका इंतजार कोमल बहुत लंबे समय से कर रही थी। दोनों प्रकृति की इस सुंदरता को देखकर मोहित हो चुके थे और कल्पनाओं के समंदर में लहरों रूपी खुशी को महसूस कर रहे थे। आदित्य और कोमल कॉलेज के दिनों से ही एक-दूसरे को पसंद करते थे। कॉलेज के बाद आदित्य ने व्यापार करना शुरू कर दिया और कोमल को वन विभाग में अच्छे पद पर नौकरी मिल गई। फिर कुछ ही महीनों के बाद दोनों ने शादी के सात फेरे लेकर साथ जन्मों की कसमें खाकर एक-दूसरे को अपना जीवन साथी बना लिया।
कुछ दिनों के बाद कोमल अपने दफ्तर में काम कर रही थी , तभी उसके पास एक फोन आता है,जो कि उसके वरिष्ठ अधिकारी का होता है ,वह उसे बताते हैं – ” कि पिछले कुछ दिनों से जंगलों को अवैध तरीके से बहुत काटा जा रहा है , जिससे देश की वन संपदा को बहुत नुकसान हुआ है और देश की वन संपदा की आय में भी काफी कमी देखी गई है , कुछ फाइलें आपको भेजी हैं , आप सख्त कार्यवाही करें “। कोमल विभाग के द्वारा भेजी गई फाइलों को देखती है इन सभी फाइलों में उसके और आदित्य के आशियाने की जगह भी होती है , जिसमें साफ-साफ लिखा होता है,कि यह अवैध तरीके से बेची जा रही है। कोमल सोच में पड़ जाती है , कि आदित्य और उसका ” अपना खूबसूरत आशियाना ” अवैध है, इसका मतलब अब उनका आशियाना नहीं बनेगा ? अब उनके सपनों का क्या होगा ? अब हम क्या करेंगे ? कोमल अब स्वयं को महाभारत रूपी इस जीवन में अभिमन्यु की तरह इस अवैध भूमि रूपी चक्रव्यूह में फँसा हुआ महसूस कर रही थी , जिसमें उसके एक तरफ़ उसका पद और कर्तव्य था और दूसरी तरफ उसका परिवार जीवन के ” सुकून ” के पल खड़े हुए थे।

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दो दिन बाद कोमल हिम्मत करके आदित्य से इस बारे में बात करती है,आदित्य को पूरी जानकारी देने के बाद कोमल उससे पूछती है – ” अब तुम मुझे बताओ आदित्य मैं क्या करूं ? एक तरफ मेरा फर्ज , मेरा कर्तव्य , मेरा पद है और दूसरी तरफ हमारा ” अपना खूबसूरत आशियाना ” । कुछ पलों की खामोशी के बाद आदित्य कहता है “देखो कोमल तुम वन विभाग में एक अच्छे पद पर कार्यरत हो, तुम इस मामले में अपने विभाग के वरिष्ठ अधिकारियों से बात करो , उन्हें समझाओ , यह हमारे जीवन के ” सुकून ” के पल हैं जिन्हें हम जीना चाहते हैं , एक व्यक्ति अपना जीवन बेहतर तरीके से जीने के लिए ही कार्य करता है , नौकरी करता है “। आदित्य की बात सुनकर कोमल कहती है -” आदित्य मैं बात करती हूं , अपने वरिष्ठ अधिकारियों से , ईश्वर से प्रार्थना करते हैं,कि वह हमारी बात समझें “। इस बातचीत के बाद कोमल और आदित्य दोनों खाना खाने के बाद अपने कमरे में सोने चले जाते हैं।
अगले दिन कोमल अपने विभाग के वरिष्ठ अधिकारियों के साथ में बात करने के लिए उनके दफ़्तर चली जाती है , और उनको पूरी जानकारी देती है,वरिष्ठ अधिकारी कोमल की बातों को सुनते हैं और उससे कहते हैं – ” कि अभी विभाग की मीटिंग होनी है , हम उसमें यह बात भी रखेंगे,फिर देखते हैं क्या होता है ? कोमल उनसे एक उम्मीद लेकर वापिस आ जाती है , कुछ दिनों तक कोमल और आदित्य का मन ” अपना खूबसूरत आशियाना ” और अपने जीवन के ” सुकून ” के पल को जीने के बारे में सोचता रहता है। कोमल अपने वरिष्ठ अधिकारियों के निर्णय के बारे में कल्पनाएं करती रहती है। एक दिन शाम को कोमल के वरिष्ठ अधिकारी उसे फोन करके बताते हैं – ” कि मीटिंग में तुम्हारी बात रखी गई ,सभी ने यह निर्णय लिया कि पद और कर्तव्य ही प्राथमिक होते हैं , बाकी सब बाद में इसलिए तुम्हें कार्यवाही करनी ही होगी ” यह सुनकर कोमल के पैरों के नीचे से जमीन खिसक जाती है , कोमल यह बात आदित्य को बताती है , आदित्य यह सुनकर बैचेन होने लगता है और कोमल से अपनी नौकरी छोड़ने के लिए भी बोल देता है। कोमल को बहुत बुरा लगता है।

शासकीय कार्यवाही करने का दिन भी आ जाता है , सरकारी कर्मचारियों की टीमें बनाई जाती हैं , जिसका नेतृत्व कोमल करती है। कुछ ही घंटो के बाद अवैध निर्माण और अवैध ज़मीनें शासन को लौटा दी जाती हैं। कोमल को इस कार्य के लिए एक कार्यक्रम में बुलाकर पदोन्नति और सम्मान दिया जाता है। आदित्य सब गुस्सा छोड़कर कोमल के लिए खुश होता है , और उसके सम्मान पर खड़े होकर ताली भी बजाता है , यह देखकर कोमल को बहुत अच्छा लगता है , मगर अंदर से उसको बहुत बुरा लगता है। दोनों कार्यक्रम से विदा लेकर बाहर निकलते हैं , तभी एक सरकारी कर्मचारी उन्हें गाड़ी की चाबी और उनके सरकारी बंगले की चाबी देकर सैल्यूट करता है। जब वह दोनों गाड़ी में बैठकर वहां जाते हैं , तो अपनी जिंदगी के ” सुकून ” के पल जीने के लिए उन्हें ” अपना खूबसूरत आशियाना ” दिखता है , प्रकृति की गोद में बसा हुआ मनमोहक और अनूठी प्रकृति की दुनिया में जिसे देखकर दोनों खुश होकर एक – दूसरे को गले लगा लेते हैं।