Aatmasaman ka astitav
Aatmasaman ka astitav

Hindi Kahani: ” चिड़ियों की चहचहाहट की मधुर ध्वनि सुनाई देने लगी थी वातावरण में गर्मी की तपिश को बारिश की ठंडी बूंदों ने हटाना शुरू कर दिया था यह समय ऋतु परिवर्तन का था कुछ ऐसा ही परिवर्तन आदित्य के जीवन में भी आने वाला था जिसका इंतजार उसे पिछले तीन वर्षों से था धीरे – धीरे सूरज की लालिमा प्रकृति के सुंदर चित्रण में अपना योगदान देने लगी थी यह समय आदित्य को बहुत पसंद है। उसका मन करता था कि वह इस समय को रोककर अपना पूरा जीवन प्रकृति के सुंदर चित्र को देखते हुए आनंदित होता रहे मगर समय कभी भी रुकता नहीं उसका स्वभाव है सदैव चलते रहना और प्रकृति के संतुलन को बनाए रखना क्योंकि प्रकृति के ” आत्मसम्मान का अस्तित्व ” अत्यंत आवश्यक होता है। आदित्य अभी सपनों की नगरी से बाहर आया था और अपने कमरे की बालकनी पर लगा हुआ पर्दा हटाकर प्रकृति के सौंदर्य का दर्शन करने लगता है “। रसोईघर से उसकी मां उसको आवाज देते हुए कहती हैं – ” आदित्य .. आदित्य बेटा जल्दी तैयार होकर नाश्ता करके अपने पिताजी के साथ में अपने कॉलेज जाना क्योंकि तुम्हारा कॉलेज यूनिवर्सिटी कैंपस में है और सुना है उस यूनिवर्सिटी को ” रैगिंग यूनिवर्सिटी ” भी कहते हैं “। मां की बातों को सुनकर आदित्य का दिल बैठ जाता है मगर वह स्वयं से कहता है – ” यह सब बातें हक़ीक़त नहीं है ” और तैयार होकर अपने पिताजी के साथ में कॉलेज के लिए निकल जाता है। मगर मां की बातों ने उसके मन में अपना स्थान बनाना शुरू कर दिया था। 

कुछ देर बाद आदित्य अपने कॉलेज पहुंच जाता है कॉलेज की ऊंची और बड़ी इमारतों को देखकर आदित्य को बहुत अच्छा लगता है वह प्राचार्य के कक्ष में जाकर अपना दाखिला फॉर्म जमा करके कुछ समय कक्ष के बाहर अपने पिताजी के साथ में बैठा रहता है। फिर एक चपरासी आकर आदित्य से कहता है – ” आदित्य आपको अन्दर बुलाया है “। आदित्य और उसके पिताजी प्राचार्य कक्ष में चले जाते हैं। प्राचार्य कक्ष में कुछ दस्तावेजों पर आदित्य और उसके पिताजी अपने हस्ताक्षर करने लगते हैं जिसमें से एक दस्तावेज पर रैगिंग और आत्मसम्मान लिखा हुआ था। यह लिखा हुआ देखकर आदित्य को याद आती है मां की बातें ” रैगिंग यूनिवर्सिटी ” और प्रकृति द्वारा सिखाया हुआ समय का पाठ ” आत्मसम्मान का अस्तित्व ” होना अत्यंत आवश्यक है। आदित्य कुछ संकोच के साथ में पिताजी को यह दस्तावेज दिखाता है पिताजी यह पढ़कर प्राचार्य से कहते हैं ” प्राचार्य सर यह रैगिंग .. “। ” प्राचार्य हल्की – सी मुस्कान के साथ में कहते हैं – ” जी दरअसल यह रैगिंग विरोधी संस्था बच्चों के लिए बनाया गया नियम है जिसमें बच्चों को सुरक्षा प्रदान करने के लिए एक संस्था कालेज में बनाई जाती है और बच्चों को रैगिंग संबंधित समस्याओं में सुरक्षाओं को प्रदान किया जाता है। यह सुनकर आदित्य और उसके पिताजी के चेहरे पर उम्मीद की किरण दिखाई देने लगती है। आदित्य और उसके पिताजी कुछ देर बाद कॉलेज से घर आ जाते हैं। घर पहुंचकर आदित्य अपनी मां को सब बताने लगता है जिसमें रैगिंग और रैगिंग विरोधी संस्था भी शामिल होती है। 

आदित्य कहता है – ” मां बहुत भूख लगी है खाने में क्या बनाया है”। मां मुस्कुराते हुए कहती हैं – ” तुम्हारी पसंद का खाना बना हुआ है तुम खाने की मेज़ पर बैठ जाओ “। कुछ पलों के बाद आदित्य खाना खाकर अपने कमरे में चला जाता है और अपने कमरे की सफाई करने लगता है तभी उसका मित्र राहुल आता है और दोनों की बातें होने लगती हैं। राहुल पूछता है – ” आदित्य तुमने किस कॉलेज में दाखिला लिया है ? आदित्य उसे पूरी जानकारी देकर उसके कॉलेज के बारे में पूछने लगता है। आदित्य की बातों को सुनकर राहुल धीरे से कहता है -” तुमको पता है उस कॉलेज में…. “। इतना कहकर वह रुक जाता है। आदित्य समझ जाता है वह कहता है – ” राहुल तुम ” रैगिंग यूनिवर्सिटी ” कहना चाहते हो यह सब बातें हैं वहां तो रैगिंग विरोधी संस्था भी बनाई गई है जो विद्यार्थियों के ” आत्मसम्मान का अस्तित्व ” बनाए रखने में सदैव तत्पर है “। आदित्य की इन बातों को सुनकर राहुल कहता है – ” तुम्हारी इन बातों को सुनकर मुझे लगता है मुझे भी उस कॉलेज में दाखिला लेना चाहिए तुम मेरी सहायता अवश्य करना ” तभी राहुल के फोन की घंटी बजती है और उसे सूचना मिलती है कि उसका दाखिला किसी दूसरे कॉलेज में हो गया है और उसे छात्रवृत्ति भी प्राप्त हुई है। राहुल यह सब आदित्य को बताकर अपने घर की ओर चला जाता है। 

कॉलेज शुरू हो चुके थे और आदित्य नियमित कॉलेज जाता था और वह अपने इस समय का पूरा आनंद लेता था। वह बहुत खुश रहता था मगर कुछ ही हफ्तों के बाद आदित्य बहुत दुखी नज़र आने लगा। वह अपने कमरे में ही रहता था और अपने माता – पिता और दोस्तों के साथ में बहुत कम समय बिताता था और अब वह कॉलेज भी बहुत कम जाने लगा उसका यह व्यवहार उसके माता – पिता और दोस्तों को कुछ ठीक नहीं लगा हमेशा खुश और अपनी मस्ती में रहने वाला आदित्य बहुत शांत और खामोश रहने लगा। एक दिन उसकी मां उसके कमरे में जाती हैं और देखती हैं कि पूरे कमरे में अंधेरा है और आदित्य सभी खिड़कियों को बंद करके एक कोने में चुपचाप बैठा हुआ है। आदित्य के सिर पर हाथ रखते हुए मां पूछती हैं – ” आदित्य बेटा क्या हुआ कोई परेशानी है तुम कमरे मे इस प्रकार क्यों बैठे हो ” आदित्य अपनी मां की आंखों में देखकर कहता है – ” मां शायद सभी सही हैं वो कॉलेज नहीं ” रैगिंग यूनिवर्सिटी ” है जहां पर सिर्फ रैगिंग होती है ” आत्मसम्मान का अस्तित्व ” इसका कोई स्थान नहीं है सिर्फ मज़ाक के नाम पर गलत व्यवहार होता है “। मां पूछती है – ” तुमने रैगिंग विरोधी संस्था से बात की उनको बताया और अपने प्राचार्य सर को इसकी सूचना दी “। आदित्य कहता है -” सभी को इसकी सूचना है सभी कहते हैं यह तो आम बात है यह सिर्फ मज़ाक है तुम ज़्यादा सोचते हो “। 

आदित्य की मां यह सारी बातें उसके पिताजी को बताती हैं फिर दोनों मिलकर आदित्य के साथ में कॉलेज के प्राचार्य से बात करते हैं। प्राचार्य कहते हैं – ” जी आप सभी ज्यादा सोच रहे हो यह सब एक आम बात है यह सभी आपस में दोस्त हैं और मज़ाक होता रहता है और मस्ती चलती रहती है इस बात को इतना बड़ा बनाने की कोई ज़रूरत नहीं है अगर ऐसा कुछ होता रैगिंग विरोधी संस्था कोई निर्णय अवश्य लेती उन्होंने कुछ भी निर्णय या कोई सूचना मुझे नहीं भेजी है ” आदित्य के पिताजी कहते हैं – ” कॉलेज विरोधी संस्था कॉलेज की है और उसके निर्णय लेने से कॉलेज की छवि को नुकसान होगा इसलिए वह और आप कोई निर्णय नहीं लेते हैं। हम अपने बेटे का दाखिला इस कॉलेज में खारिज करते हैं और शिक्षा अधिकारियों से आपके इस कॉलेज की शिकायत करेंगे कि यह यूनिवर्सिटी ” रैगिंग यूनिवर्सिटी ” है और यहां ” आत्मसम्मान का अस्तित्व ” नहीं है जिसमें कॉलेज के प्राचार्य अपनी और कॉलेज की छवि को बचाने के लिए कोई निर्णय लेते ही नहीं हैं “। इतना सुनकर कॉलेज के प्राचार्य कहते हैं – ” जी , इस यूनिवर्सिटी का नाम सभी जानते हैं और बहुत सारी शिकायतें भी हुई हैं मगर कोई भी इसे साबित नहीं कर पाया है आप स्वतंत्र हैं जिससे शिकायत करना है आप कर सकते हैं देखते हैं हम क्या होता है आप अकेले हैं “। 

एक हफ्ते बाद आदित्य के घर पर कुछ लोग आते हैं वह आदित्य के पिताजी और मां से आदित्य और उसके कॉलेज के बारे में बातें करते हैं। सभी आदित्य के परिवार को हिम्मत बनाए रखने के लिए कहते हैं। कुछ पलों के बाद आदित्य का दोस्त राहुल भी वहां कुछ विद्यार्थियों के साथ में आ जाता है। आदित्य उन विद्यार्थियों को पहचान लेता है वह सभी उसके कॉलेज के विद्यार्थी हैं। आदित्य यह बात अपने पिताजी और मां को बताता है। सभी विद्यार्थी इस रैगिंग का अनुभव कर चुके थे मगर डर के कारण कभी कुछ कह नहीं पाए थे। अब वह सभी आदित्य के साथ खड़े होना चाहते थे। सभी ने मिलकर शिक्षा अधिकारियों से ” रैगिंग यूनिवर्सिटी ” की शिकायत की क्योंकि यह सिर्फ एक मज़ाक नहीं है यह ” आत्मसम्मान का अस्तित्व ” बनाए रखने की जिम्मेदारी है। शिक्षा अधिकारियों ने कॉलेज के खिलाफ कार्यवाही शुरू कर दी और कुछ ही हफ्तों में ” रैगिंग यूनिवर्सिटी ” चलाने वाले पकड़े जाते हैं और उन्हें न्यायालय में दोषी साबित करके जेल भेज दिया जाता है। सभी ने मिलकर आदित्य को धन्यवाद कहा और आदित्य के चेहरे पर मुस्कान लौट आती है यह देखकर उसके पिताजी और मां को प्रसन्नता होती है। दो हफ्तों के बाद कॉलेज में नए प्राचार्य नियुक्त हो जाते हैं और कॉलेज में नया वातावरण बनना शुरू हो जाता है जहां सिर्फ शिक्षा , सहयोग और शांति का माहौल था।