Short Story: उदयपुर में पिताजी की नौकरी लगी तो पूरा परिवार वहीं शिफ्ट हो गया था। हमने एक किराए का मकान लिया था। तब मेरी उम्र 6 साल थी। मकान मालिक के पूरे परिवार को मुझसे काफी लगाव हो गया था। जब मैं तीसरी कक्षा में आई तो एक ऐसी घटना हुई जो मुझे आज भी याद है। स्कूल के मैदान में हम बच्चे पकड़म पकड़ाई खेल रहे थे। इसी बीच जल्दबाजी में एक बच्चे ने मुझे धक्का दे दिया और मेरे सिर से खून बहने लगा। तुरंत मुझे पट्टी भी की गई। जब मैं स्कूल बस से घर लौटी और कंडक्टर मुझे उतार रहे थे, तो मेरे मकान मालिक और उनके दो भाई बाहर ही बैठे थे और तुरंत मुझे लेने आए। सिर पर पट्टी देखी तो उन्हें लगा कि इन बस वालों ने चोट पहुंचा दी है। उन्होंने कंडक्टर की कॉलर पकड़ ली और जैसे कि वो लोग उन्हें पीटने ही वाले थे, इतने में मैंने कहा कि अंकल, ये तो मैं स्कूल में गिर गई थी। तब वो शांत हुए, पर स्कूल वालों पर गुस्सा उतारने लगे कि बच्ची का ध्यान भी नहीं रखा जाता है इन स्कूल वालों से। उनका मेरे लिए ये लगाव और प्यार देखकर अच्छा लगा। मुझे यह बात हमेशा याद रहती है और बहुत खुशी होती है कि मुझे उन सबसे कितना प्यार मिला है।
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