खामोशी के उस पार : गृहलक्ष्मी की कहानियां
वही सादगी, वही आँखें, वही ठहरी हुई सी मुस्कान। पास जा कर आदित्य ने लगभग बुदबुदाते हुए कहा “सिया”
Hindi Love Story: दिल्ली एयरपोर्ट की चहल-पहल के बीच, एक कोना था जहाँ वक़्त जैसे ठहर गया था। भीड़ से बेख़बर, एक शख़्स धीमे क़दमों से आगे बढ़ रहा था। चेहरे पर थकान पसरी हुई थी। आदित्य, अब 46 साल का, एक सफल कारोबारी और साथ ही एक ज़िम्मेदार पिता था ,लेकिन कहीं अंदर से आज भी अधूरा था । एयरपोर्ट के फैंसी कैफ़े को देखकर अक्सर उसे किसी की याद आती थी। ना चाहते हुए भी आदित्य कैफ़े की तरफ बढ़ गया।
वो कॉफ़ी का घूंट लेने ही वाला था कि उसकी नज़र सामने वाले कैफ़े शॉप पर पड़ी।
आदित्य देखता ही रह गया, वही सादगी, वही आँखें, वही ठहरी हुई सी मुस्कान। पास जा कर आदित्य ने लगभग बुदबुदाते हुए कहा “सिया”
सिया ने चौंक कर सिर उठाया। दोनों की आँखें मिलीं, और अतीत दोनों को एक दुसरे की आँखों में साफ़ नज़र आने लगा। 19 साल बाद आज वो आमने-सामने थे। दोनों चुपचाप एक जगह बैठ गए। उनके बीच की ख़ामोशी आज ख़त्म होने वाली थी।
“कैसी हो?” आदित्य ने धीरे से पूछा।
“ठीक हूँ। और तुम?” सिया की आवाज़ में भी हल्की कंपकंपी थी।

“जी रहा हूँ…” वो मुस्कराया, लेकिन वो मुस्कान दर्द से भरी हुई थी।
सिया की आँखों में नमी उतर गई।
वो दिन… याद है? जब हम अलग हुए थे ?
“हर रोज़ याद आता है,” आदित्य ने नज़रें झुका लीं। “एक ग़लतफहमी, और हम अजनबी बन गए।”
“काश, मैंने तुमसे एक बार बात कर ली होती,” सिया ने कहा, उसकी आवाज़ में अफ़सोस झलक रहा था।
“हम दोनों ने बात न करके अपनी जिंदगी की सबसे बड़ी भूल की,” आदित्य की आँखें भीग गईं।
सिया ने कांपते होंठों से कहा, “कभी-कभी लगता है, क्या वाक़ई प्यार था? या बस एक अधूरी कहानी?”

“अगर ये बस कहानी होती, तो आज इतने साल बाद भी तुम्हें देखकर ये दिल धड़कता क्यों?”
आदित्य की आँखें सिया से नहीं हट रहीं थीं।
दोनों चुप हो गए। उन पलों में, वो सब कुछ था जो कभी कहा नहीं गया था ।
अब तो बहुत कुछ बदल गया है, सिया ने धीरे से कहा। मैं शादीशुदा हूँ दो बच्चे हैं।
मैं भी, एक बेटा है। लेकिन आज समझ में आया कि दिल एक ही बार सच में धड़कता है, और वो धड़कन तुम थी।”

उसी समय सिया की फ्लाइट के लिए अनाउंसमेंट हुआ, सिया की फ्लाइट का समय हो गया था।
वो उठी, लेकिन जाने से पहले रुक गई। अगर वक़्त थोड़ा मेहरबान होता, तो शायद आज हम साथ होते।
“शायद,” आदित्य ने कहा, लेकिन तुम्हारी यादों ने मुझे अब तक थाम रखा है।
सिया ने एक आखिरी बार मुस्कराकर कहा, अगर अगली ज़िंदगी मिली , तो बिना ग़लतफहमी के प्यार करेंगे।
आदित्य ने सिर झुकाकर कहा, वादा रहा।
और फिर आँखों में ख़ुशी के आंसू लिए दोनों भीड़ में कहीं खो गए।
पलकें बंद करते ही दोनों के आंसू छलक आए, फर्क बस इतना था 19 साल पहले ये आंसू दुख के थे और आज ख़ुशी में बहते आंसू आदित्य और सिया के मन में उठते सवालों और बेचैनी को शांत कर चुके थे।दोनों अपने-अपने हिस्से की जिंदगी जीने अपने आशियाने की तरफ हल्क़े मन से लौट रहे थे।
