Pyaar ki Dhun
Pyaar ki Dhun

Hindi Love Story: सर्दी की ठंडी हवा अब भी हल्की-हल्की बह रही थी। पार्क के कोने में लगे पेड़ की पत्तियाँ धीरे-धीरे गिर रही थीं, और उन पर ठहरी ओस की बूंदें सूरज की हल्की किरणों में मोती की तरह चमक रही थीं। आदित्य और काव्या अब तक उसी बेंच पर बैठे थे, जहाँ उन्होंने पहली बार एक-दूसरे को ठीक से महसूस किया था।

काव्या ने अपनी उंगलियाँ अपनी हथेलियों में भींच लीं, जैसे कोई सवाल उसके भीतर हलचल मचा रहा हो। “आदित्य, क्या प्यार हमेशा इतना आसान होता है?” उसने हल्की, पर गहरी आवाज़ में पूछा। आदित्य ने उसकी ओर देखा, उसकी आँखों में वही कोमलता थी जो पहली मुलाकात में थी।

“नहीं, काव्या। प्यार कभी आसान नहीं होता, लेकिन जब सही इंसान साथ होता है, तो मुश्किलें भी खूबसूरत लगने लगती हैं।”

काव्या ने हल्की मुस्कान दी, लेकिन उसकी आँखों में अनकहे सवाल अब भी झलक रहे थे।

“मैंने पहले भी प्यार किया था, आदित्य,” उसने धीरे से कहा, “लेकिन वह रिश्ता एक बुरा सपना बन गया था। मुझे अब भी डर लगता है कि अगर मैंने फिर से भरोसा किया और सबकुछ वैसे ही हुआ तो?”

आदित्य ने उसकी हथेली अपने हाथों में ले ली। “तुम चाहो तो हम धीरे-धीरे आगे बढ़ सकते हैं। मैं तुम्हें किसी बंधन में नहीं बाँधना चाहता, बस तुम्हारे साथ हर लम्हा जीना चाहता हूँ।”

उसकी बातें सुनकर काव्या की आँखों में हल्का सा नमी आ गई। उसने अपनी उंगलियाँ आदित्य की हथेली में फंसा दीं, जैसे पहली बार उसने खुद को किसी के प्रति पूरी तरह समर्पित कर दिया हो।

“आदित्य, मैं डरती हूँ। लेकिन मैं चाहती हूँ कि ये डर चला जाए। मैं चाहती हूँ कि मैं तुम पर भरोसा कर सकूँ, खुद पर भरोसा कर सकूँ।”

आदित्य मुस्कराया। “मैं तुम्हारे हर डर को दूर करने के लिए यहाँ हूँ, काव्या। हम साथ हैं, और हमेशा रहेंगे।”

उनकी यह बातचीत उनके रिश्ते को और गहरा कर रही थी। हर मुलाकात के साथ वे एक-दूसरे को और अधिक महसूस करने लगे। वे अब सिर्फ पार्क में ही नहीं, बल्कि शहर की गलियों में, कैफे की टेबल पर, और लाइब्रेरी की शांति में भी साथ होते थे।

एक सुबह, जब सर्दी की हल्की धूप बालकनी में बिखरी हुई थी, आदित्य ने काव्या को फोन किया।

“आज क्या प्लान है?”

“कुछ नहीं, बस घर पर हूँ,” काव्या ने कहा।

“तो एक प्लान बनाते हैं?”

“कैसा प्लान?”

“आज तुम्हें एक जादुई जगह पर ले चलूँगा,” आदित्य ने रहस्यमयी आवाज़ में कहा।

काव्या हंस पड़ी। “ठीक है, लेकिन यह जादूई जगह क्या है?”

“अगर अभी बता दूँ तो मजा खत्म हो जाएगा। बस तैयार रहना।”

आदित्य उसे शहर के बाहरी इलाके में एक छोटी सी झील के किनारे ले गया, जहाँ सिर्फ शांति और चाँदनी थी।

“तुम्हें यहाँ क्यों लाए हो?” काव्या ने हैरानी से पूछा।

“क्योंकि मैं चाहता हूँ कि जब तुम अपने डर को छोड़ो, तो यह जगह तुम्हें याद रहे। जहाँ सिर्फ तुम और मैं हों, और कुछ भी नहीं।”

काव्या ने झील के ठहरे हुए पानी को देखा, जिसमें चाँद का प्रतिबिंब हल्की लहरों में कांप रहा था। आदित्य ने धीरे से उसके कंधे पर अपना हाथ रखा और कहा, “काव्या, तुम मेरी ज़िंदगी का सबसे खूबसूरत हिस्सा हो। मैं चाहता हूँ कि हम इस सफर को साथ तय करें।”

उसका स्पर्श काव्या के लिए किसी सुकून से कम नहीं था। वह धीरे से उसकी ओर मुड़ी और पहली बार बिना किसी संकोच के उसने अपनी भावनाएँ व्यक्त कीं।

“आदित्य, मैं भी तुमसे प्यार करने लगी हूँ। लेकिन मुझे थोड़ा समय चाहिए।”

आदित्य ने हल्के से उसका हाथ चूमा। “तुम्हारा हर फैसला मेरा होगा, और मैं इंतजार करूंगा।”

उस रात, जब दोनों एक-दूसरे के करीब आए, तो समय जैसे थम सा गया था। आदित्य ने काव्या के चेहरे को अपने हाथों में लिया और उसकी आँखों में झाँकते हुए धीरे से कहा, “तुम मेरी ज़िंदगी में सबसे खूबसूरत लम्हा हो।”

उस पल, चाँदनी में घुली ठंडी हवा भी गवाह थी कि यह प्यार सच्चा था। दोनों ने उस रात चाँद के नीचे एक-दूसरे की बाहों में खुद को खो दिया। वे अब सिर्फ दो लोग नहीं थे, बल्कि दो आत्माएँ थीं, जो एक-दूसरे में समा गई थीं।

कुछ हफ्तों बाद, एक दिन जब काव्या ऑफिस से लौट रही थी, उसे अपने अपार्टमेंट के बाहर एक गुलाब मिला। गुलाब के साथ एक छोटी सी चिट्ठी थी—

“तुम्हारी हँसी मेरी पसंदीदा धुन है। तुम्हारी बातें मेरे सबसे प्यारे लम्हे हैं। और तुम्हारे बिना… मेरी दुनिया अधूरी है। क्या तुम हमेशा के लिए मेरी बनोगी?”

काव्या का दिल तेज़ी से धड़कने लगा। उसने चारों तरफ देखा, और तभी आदित्य सामने आ गया—वही शरारती मुस्कान, वही चमकती आँखें।

“तो, काव्या… तुम्हारा जवाब?”

काव्या ने गुलाब को अपने दिल के करीब रखा, उसकी आँखों में हल्का सा पानी आ गया।

“हाँ, आदित्य। हमेशा के लिए।”

आदित्य ने उसे अपने बाहों में समेट लिया, और वह सर्दी की शाम उनकी ज़िंदगी की सबसे गर्माहट भरी शाम बन गई।

कुछ महीने बाद, वही ठंडी सुबह थी। वही ओस की बूंदें, वही पार्क की बेंच। लेकिन इस बार, काव्या और आदित्य शादी के बंधन में बंध चुके थे।

“तुम्हें याद है, यही वो बेंच है जहाँ हमने पहली बार अपने दिल की बात कही थी?” आदित्य ने मुस्कराते हुए पूछा।

काव्या ने उसकी बाहों में खुद को सिमटते हुए कहा, “हाँ, और यही वो जगह है जहाँ से हमारी कहानी शुरू हुई थी।”

अब उनकी राहें साथ थीं, और उनके दिलों की धड़कन एक ही धुन पर थी—प्यार की धुन।

कुछ देर तक दोनों चुपचाप बैठे रहे, ठंडी हवा उनके चारों ओर बह रही थी, लेकिन उनके दिलों में एक अलग सी गर्मी थी। आदित्य ने काव्या की उंगलियाँ अपने हाथों में कसकर पकड़ लीं और मुस्कराते हुए कहा, “ज़िंदगी की ये ठंडी हवाएँ चाहे जितनी भी तेज़ चलें, मैं हमेशा तुम्हारा हाथ थामे रहूँगा।”

काव्या ने उसकी आँखों में झाँका, और वहाँ उसे वही वादा नजर आया, जो उसने हमेशा से चाहा था सच्चा, अटूट और हमेशा के लिए। वह हल्के से मुस्कुराई और अपना सिर आदित्य के कंधे पर टिका दिया। उस एक पल में जैसे सारी उलझनें सुलझ गईं।

उसी रात अब आसमान में चाँद अपनी पूरी रोशनी के साथ चमक रहा था, और ठंडी हवा के बीच उनका प्यार किसी गर्माहट भरे एहसास की तरह खिल रहा था। यह सिर्फ एक कहानी नहीं थी, यह दो दिलों का मेल था, जो अब किसी भी मौसम, किसी भी मुश्किल का सामना करने के लिए तैयार थे। सर्दी की उस रात, उनका प्यार अमर हो गया।

राधिका शर्मा को प्रिंट मीडिया, प्रूफ रीडिंग और अनुवाद कार्यों में 15 वर्षों से अधिक का अनुभव है। हिंदी और अंग्रेज़ी भाषा पर अच्छी पकड़ रखती हैं। लेखन और पेंटिंग में गहरी रुचि है। लाइफस्टाइल, हेल्थ, कुकिंग, धर्म और महिला विषयों पर काम...