मुझे याद है जब मैं स्कूल जाती थी। घर के हालात ठीक-ठाक थे, परंतु आसपास के दोस्त व सहेलियां अमीर घरों के थे। हम छुट्टियों में शिमला घूमने जाते और वो स्विटजरलैंड। एक बार तीसरी क्लास में टीचर ने पढ़ाया कि पृथ्वी सूरज का चक्कर लगाती है। यह बात मेरे दिमाग में बैठ गई। छुट्टियां हुई सब बताने लगे कि वो कहां-कहां जा रहे हैं। मुझ से पूछा तो मैं बोली हम तो सूरज का ट्रिप लगाने जा रहे हैं। तुम से दूर और बेहतर। सब हैरान रह गए कि हम सूरज का ट्रिप लगाने जा रहे हैं। आज भी कहीं घूमने का प्रोग्राम बनते ही यह बात याद आ जाती है और बहुत हंसी आती है कि कैसे मैंने सबको बुद्धू बनाया।

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