Drinks for Cholesterol: कोलेस्ट्रॉल एक लुब्रिकेंट की तरह होता है जिसका निर्माण लिवर के द्वारा किया जाता है। यह शरीर में हॉर्मोन्स को कंट्रोल रखने के साथ ही बॉडी से टॉक्सिन्स को सोखकर हेल्दी रखता है। अगर आप कोलेस्ट्रॉल को नियंत्रित रखना चाहते हैं तो कुछ ड्रिंक्स को अपनी डाइट में शामिल करें।
सेल, टिशू और अंगों के निर्माण में कोलेस्ट्रॉल की अहम भूमिका है। यह हार्मोन, विटामिन डी और बाइल जूस को भी बनाता है। गुड कोलेस्ट्रॉल को एचडीएल और बैड कोलेस्ट्रॉल को एलडीएल कहा जाता है। बढ़े हुए एलडीएल लेवल से आर्टिरीज के अंदर फैट बढ़ता है, यह हार्ट में रक्त संचार को ब्लॉक करता है। फाइबर इनटेक बढ़ाने, सैचुरेटेड फैट कम करने, प्लांट बेस्ड फूड्स लेने, रिफाइन फूड कम खाने और डाइट में ट्रांस फैट कम करने से कोलेस्ट्रॉल स्तर सही रहता है। कोलेस्ट्रॉल को हेल्दी स्तर पर रखने से आपकी जिंदगी स्वस्थ और लंबी रहती है।
कोलेस्ट्रॉल स्तर को कम करने या बढ़े हुए कोलेस्ट्रॉल स्तर को नियंत्रण में रखने के लिए कुछ पेय पदार्थों की मदद ली जा सकती है। आइए विस्तार से उन के बारे में जानते हैं-
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ओट्स ड्रिंक
कोलेस्ट्रॉल के अवशोषण को कम करने के लिए ओट मिल्क बहुत प्रभावशाली है। इसमें बीटा ग्लूकन नामक चीज होती है, जो गट में जेल जैसा पदार्थ बनाता है और बाइल सॉल्ट के साथ इंटरैक्ट करता है। शोध बताते हैं कि ओट ड्रिंक सेमी सॉलिड या सॉलिड ओट प्रोडक्ट की तुलना में कोलेस्ट्रॉल में अधिक कमी लाता है। रोजाना 3 ग्राम बीटा ग्लूकन का सेवन करना चाहिए, जिससे एलडीएल में 7 प्रतिशत कमी आ सकती है। एक कप ओट दूध में 1.3 ग्राम बीटा ग्लूकन होता है। इसलिए बीटा ग्लूकन की जांच करने के लिए ओट ड्रिंक लेबल की जांच करनी चाहिए।
ग्रीन टी
ग्रीन टी में कैटचिन्स और अन्य एंटीऑक्सीडेंट कम्पाउन्ड होते हैं, ये बैड एलडीएल और टोटल कोलेस्ट्रॉल स्तर को कम करने में मदद करते हैं। ब्लैक टी भी कोलेस्ट्रॉल पर असर डालते हैं लेकिन इसमें ग्रीन टी की तुलना में कम कैटचिन्स होते हैं। ऐसा इसलिए क्योंकि चाय में मौजूद कैटचिन्स की अलग-अलग मात्रा का मतलब है कि शरीर लिक्विड को अलग तरह से अवशोषित करता है।
सोय मिल्क
सोय मिल्क में सैचुरेटेड फैट कम होता है। सोय मिल्क और क्रीमर लेने से कोलेस्ट्रॉल स्तर को कम करने या संतुलित करने में मदद मिलती है। फूड एंड ड्रग एसोसिएशन की सलाह है कि दिल के रोग के जोखिम को कम करने में मदद के लिए सैचुरेटेड फैट और कोलेस्ट्रॉल में कम डाइट के हिस्से के तौर पर रोजाना 25 ग्राम सोय प्रोटीन का सेवन करने की सलाह देता है।
कोकोआ ड्रिंक
डार्क चॉकलेट का मुख्य इनग्रेडिएंट कोकोआ है, जिसमें फ्लेवनॉल नामक एंटीऑक्सीडेंट होता है। यह बॉडी में बैड कोलेस्ट्रॉल स्तर को कम करने में मदद करता है। डार्क चॉकलेट का मुख्य इनग्रेडिएंट कोकोआ है, जिसमें मोनोसैचुरेटेड फैटी एसिड का उच्च स्तर रहता है। यह कोलेस्ट्रॉल स्तर को सुधारने में सहायक है। शोध बताते हैं कि 450 मिलीग्राम कोकोआ फ्लेवनॉल ड्रिंक का दिन में दो बार 1 महीने तक सेवन करने से बैड एलडीएल कोलेस्ट्रॉल स्तर को कम करने और गुड एचडीएल कोलेस्ट्रॉल स्तर में सुधार आने में मदद मिलती है। कोकोआ में मोनोअनसैचुरेटेड फैटी एसिड का हाई स्तर पाया जाता है, जिससे कोलेस्ट्रॉल स्तर में सुधार लाया जा सकता है। प्रोसेस किए हुए चॉकलेट से परहेज करना चाहिए क्योंकि इनमें सैचुरेटेड फैट का उच्च स्तर रहता है।
प्लांट बेस्ड स्मूदी
प्लांट बेस्ड मिल्क में ऐसे इनग्रेडिएंट पाए जाते हैं, जो कोलेस्ट्रॉल स्तर को कम या कंट्रोल करने में मदद कर सकते हैं। सोय मिल्क या ओट मिल्क का इस्तेमाल करके स्मूदी बनाया जा सकता है। 1 कप सोय या ओट मिल्क यानी 250 मिली में कोलेस्ट्रॉल कम करने वाले फल या सब्जियों को ब्लेन्ड करके सोय या ओट स्मूदी बनाया जा सकता है। इसमें 1 केला, 1 मु_ी अंगूर या प्रून्स, आम या मेलोन की 1 स्लाइस, 2 छोटे प्लम, 1 कप काले, 2/3 कद्दू की प्यूरी मिलाकर इसे तैयार किया जा सकता है। इंग्रेडिएंट्स को ओट मिल्क में मिलाकर स्मूदी बनाने से कुछ ही सैचुरेटेड फैट बचते हैं, जो अनियमित कोलेस्ट्रोल स्तर के लिए जिम्मेदार होते हैं।
अल्कोहल
शोध का कहना है कि सीमित मात्रा में अल्कोहल का सेवन ब्लड में एचडीएल स्तर को बढ़ा सकता है। यह गुड एचडीएल कोलेस्ट्रॉल स्तर को बढ़ाता है। सीमित मात्रा में अल्कोहल के सेवन का मतलब है महिलाओं के लिए रोजाना 1 अल्कोहलिक ड्रिंक और पुरुषों के लिए 2 अल्कोहलिक ड्रिंक। अल्कोहल का कोलेस्ट्रॉल के स्तर पर जो प्रभाव हो सकता है, वह काफी हद तक कारकों पर निर्भर करता है, जिसमें कोई व्यक्ति कितना पीता है, उसकी उम्र और लिंग और वह किस प्रकार की शराब का सेवन करता है। हालांकि, हेवी ड्रिंकिंग से कोलेस्ट्रॉल बढ़ता है और अल्कोहल के सेवन से स्वास्थ्य संबंधी इतने जोखिम होते हैं कि इसके नकारात्मक प्रभाव इसके लाभ से अधिक हो जाते हैं।
अल्कोहल की बात की जाए तो इसमें रेड वाइन सही चॉइस है क्योंकि इसमें एंटीऑक्सीडेंट गुण होते हैं। कई अध्ययन यह खुलासा करते हैं कि सीमित मात्रा में रेड वाइन के सेवन से न सिर्फ कोलेस्ट्रॉल स्तर कम होता है बल्कि कुछ खास तरह के हार्ट डिजीज से भी बचाव होता है।
बेरी स्मूदी
अधिकतर बेरी में एंटीऑक्सीडेंट्स और फाइबर प्रचुर मात्रा में होता है, ये दोनों कोलेस्ट्रॉल स्तर को सही रखने में सहायता करता है। स्ट्रॉबेरी, रसबेरी, ब्लूबेरी और ब्लैकबेरी में खूब सारे एंटीऑक्सीडेंट और फाइबर होते हैं। बेरी में कलिऑरी और फैट भी कम होता है। आधा कप लो फैट मिल्क या योगर्ट के साथ आधा कप ठंडे पानी में 80 ग्राम बेरी डालकर रोजाना शेक पीने से कोलेस्ट्रॉल स्तर ठीक रहता है।
स्टेनॉल और स्टेरॉल
स्टेनॉल और स्टेरॉल प्लांट केमिकल हैं, जिनका शेप और साइज कोलेस्ट्रोल जैसा होता है। ये कोलेस्ट्रॉल के अवशोषण को ब्लॉक करते हैं। हालांकि, सब्जियों और नट्स में स्टेनॉल और स्टेरॉल का कम स्तर होता है, जो कोलेस्ट्रॉल को कम नहीं कर सकता है। फूड कंपनियां इन केमिकल्स को कई फूड्स और ड्रिंक्स में मिलाती हैं, जिसमें फॉर्टिफाइड योगर्ट ड्रिंक, दूध और फलों का जूस शामिल है। एफडीए का कहना है कि रोजाना स्टेरॉल का 1.3 ग्राम और स्टेनॉल का 3.4 ग्राम सेवन कोलेस्ट्रॉल स्तर को सही रखने में मदद करता है। स्टेनॉल और स्टेरॉल को मील के साथ लेने की कोशिश करनी चाहिए।