World Trauma Day
World Trauma Day

Burn Survivors Modern Technology: 17 अक्टूबर, वर्ल्ड ट्रॉमा डे के अवसर पर, यह समय है बर्न सर्वाइवर्स (झुलसने वाले मरीजों) की अद्भुत ताकत और उन आधुनिक चिकित्सा तकनीकों को सराहने का जो उनके जीवन को नया रूप दे रही हैं। किसी व्यक्ति के लिए जिसने गंभीर जलन या बर्न इंजरी झेली हो, रिकवरी का सफर सिर्फ शारीरिक घाव भरने तक सीमित नहीं होता। यह अपने आत्मविश्वास, कार्यक्षमता और आराम को वापस पाने की प्रक्रिया होती है। आज, स्किन ग्राफ्टिंग और लेज़र स्कार रिविज़न जैसी आधुनिक तकनीकें इस इंसान-केंद्रित इलाज को हकीकत बना रही हैं।

ट्रॉमा का मानवीय असर

बर्न इंजरी शरीर और मन दोनों पर गहरा असर छोड़ती है। शुरूआती चोट के बाद बनने वाले मोटे और उभरे हुए निशान (हाइपरट्रॉफिक स्कार) अक्सर लगातार दर्द, खुजली और हिलने-डुलने में कठिनाई पैदा करते हैं। जोड़ों के पास अगर निशान हो तो शरीर का पूरा मूवमेंट रुक सकता है। इसके अलावा, इन निशानों का दिखना मरीज के आत्मविश्वास, मानसिक स्वास्थ्य और सामाजिक जीवन को भी प्रभावित करता है। आधुनिक बर्न केयर का लक्ष्य केवल त्वचा को ठीक करना नहीं है, बल्कि व्यक्ति के जीवन की गुणवत्ता को भी बहाल करना है।

इलाज की बुनियाद: स्किन ग्राफ्टिंग

गंभीर या गहरे बर्न मामलों में स्किन ग्राफ्टिंग अभी भी सबसे अहम और जीवनरक्षक तकनीक है। इसमें मरीज के शरीर के किसी स्वस्थ हिस्से से त्वचा लेकर उसे जली हुई जगह पर लगाया जाता है। यह प्रक्रिया घाव को बंद करने, संक्रमण से बचाने और जल्दी ठीक होने में मदद करती है। नई तकनीकों ने इस प्रक्रिया को और भी बेहतर और सटीक बना दिया है। बायोइंजीनियर्ड स्किन सब्स्टिट्यूट्स और मेशिंग तकनीक जैसी विधियाँ छोटी त्वचा से बड़े क्षेत्र को कवर करने में मदद करती हैं, जिससे घाव जल्दी बंद होते हैं और मरीज का एक्सपोज़र समय कम होता है। इससे रिकवरी का अगला चरण और भी तेज़ी से शुरू हो पाता है।

निखार की कला: लेजर स्कार रिवीजन

World Trauma Day
Laser Scar Revision

जहाँ स्किन ग्राफ्टिंग जीवन बचाती है, वहीं लेजर स्कार रिवीजन मरीजों को आत्मविश्वास और आराम लौटाने का काम करती है। यही वह क्षेत्र है जहाँ डर्मेटोलॉजी बिना सर्जरी के स्कार टिशू को फिर से नया रूप देने में मदद करती है।
आज के आधुनिक लेज़र, खासकर फ्रैक्शनल CO2 लेज़र और पल्स्ड डाई लेज़र, निशान को भीतर से सुधारते हैं। फ्रैक्शनल CO2 लेज़र स्कार टिशू में सूक्ष्म चोटें पैदा करता है जिससे शरीर नया और व्यवस्थित कोलेजन बनाता है। इससे स्कार मुलायम, सपाट और लचीला हो जाता है — जैसे त्वचा खुद को नये सिरे से पुनर्जीवित कर रही हो।
वहीं पल्स्ड डाई लेज़र स्कार की लालिमा को कम करके त्वचा के रंग से मेल कराता है।
अगर आप CO2 लेज़र और प्लेटलेट रिच प्लाज़्मा (PRP) सेशन के बाद का अंतर देखें, तो परिणाम खुद बोलते हैं। मरीज स्वयं अपने नतीजों से बेहद खुश है, जो तस्वीरों में साफ दिखाई देता है।
इन लेज़र तकनीकों के फायदे तुरंत महसूस होते हैं:

  • दर्द और खुजली से राहत: कई बार सिर्फ एक सेशन के बाद ही मरीजों को आराम मिल जाता है।
  • शरीर की गतिशीलता में सुधार: स्कार टूटने से त्वचा लचीली होती है और जोड़ों की मूवमेंट बेहतर होती है।
  • सौंदर्य में सुधार: निशान हल्के और कम दिखाई देने लगते हैं, जिससे आत्मविश्वास और मानसिक सुकून बढ़ता है।

उम्मीद और सशक्तिकरण की राह

मेरे अनुभव में, आधुनिक सर्जिकल तकनीकों और नॉन-सर्जिकल लेज़र ट्रीटमेंट्स का मेल बर्न सर्वाइवर्स की रिकवरी को पूरी तरह बदल चुका है। अब हम केवल घाव नहीं भर रहे, बल्कि पुनर्निर्माण और सशक्तिकरण की यात्रा का हिस्सा बन रहे हैं। इस वर्ल्ड ट्रॉमा डे पर, आइए हम बर्न सर्वाइवर्स की हिम्मत को सलाम करें और यह स्वीकार करें कि कैसे नई, सटीक चिकित्सा तकनीकें उन जख्मों को कहानी में बदल रही हैं — एक ऐसी कहानी जिसमें दर्द नहीं, बल्कि ताकत, आत्मविश्वास और नई उम्मीद झलकती है।

डॉ. शितिज गोयल, सीनियर कंसल्टेंट – डर्मेटोलॉजी, शारदाकेयर हेल्थसिटी

वर्तमान में गृहलक्ष्मी पत्रिका में सब एडिटर और एंकर पत्रकारिता में 7 वर्ष का अनुभव. करियर की शुरुआत पंजाब केसरी दैनिक अखबार में इंटर्न के तौर पर की. पंजाब केसरी की न्यूज़ वेबसाइट में बतौर न्यूज़ राइटर 5 सालों तक काम किया. किताबों की शौक़ीन...