Sleep Disorder
Sleep And Diabetes Credit: Istock

Overview: रात में नहीं आती नींद तो इस बीमारी के लिए रहें तैयार, अपनाएं ये उपाय

डायबिटीज और नींद की समस्याओं के बीच संबंध है। नींद की कमी इंसुलिन रसिसटेंस बढ़ाकर डायबिटीज का जोखिम बढ़ा सकती है।

Sleep and Diabetes: रात में नींद न आना एक गंभीर समस्‍या है। बढ़ती उम्र के साथ इस समस्‍या का सामना अधिकांश लोग करते हैं। हालांकि अब कम उम्र के व्‍यक्ति भी स्‍लीप डिसऑर्डर की समस्‍या  से जूझ रहे हैं। पर्याप्‍त नींद न आने से एक ऐसी लाइफलॉन्‍ग बीमारी का खतरा भी बढ़ जाता है जो मरीज के शरीर को अंदर ही अंदर खोखला कर देती है। जी हां, हम बात कर रहे हैं डायबिटीज की। नींद और डायबिटीज दोनों ही आम स्वास्थ्य समस्याएं हैं जो एक-दूसरे को और गंभीर बना सकती हैं। नींद और डायबिटीज का आपस में क्‍या संबंध है और इससे कैसे मैनेज किया जा सकता है चलिए जानते हैं इसके बारे में।

क्या नींद की समस्याएं डायबिटीज का कारण बन सकती है

Can sleep problems cause diabetes
Can sleep problems cause diabetes

अध्ययनों से पता चलता है कि नींद की समस्याएं अकेले ही डायबिटीज के जोखिम को बढ़ा सकती हैं। नींद की समस्याओं और डायबिटीज के बीच सामान्य कारक है इंसुलिन रेसिसटेंस। इंसुलिन एक हार्मोन है जो पैनक्रियाज द्वारा उत्पादित होता है। यह रक्त में मौजूद शर्करा (ग्लूकोज) को कोशिकाओं तक पहुंचाने में मदद करता है, जहां इसे ऊर्जा के लिए उपयोग किया जाता है। इंसुलिन कोशिकाओं को अनलॉक करने की चाबी की तरह काम करता है। बिना इंसुलिन के, ग्लूकोज कोशिकाओं में प्रवेश नहीं कर पाता और रक्त में रह जाता है, जिससे ब्‍लड शुगर लेवल बढ़ जाता है। टाइप 1 मधुमेह में शरीर इंसुलिन नहीं बनाता, जबकि टाइप 2 मधुमेह में इंसुलिन बनता है, लेकिन कोशिकाएं इसका ठीक से जवाब नहीं देतीं, जिसे इंसुलिन रेसिसटेंस कहते हैं। नींद की कमी कई तरह से इंसुलिन रेसिसटेंस को बढ़ा सकती है।

नींद की क्‍वालिटी और क्‍वांटिटी

नींद की क्‍वालिटी और कुल समय आपके शरीर की इंसुलिन रेसिसटेंस को प्रभावित करता है। अध्ययनों से पता चलता है कि एक सप्ताह तक रात में 4 घंटे से कम नींद लेने से इंसुलिन रेसिसटेंस का जोखिम बढ़ सकता है। यह ब्‍लड शुगर और इंसुलिन के स्तर से जुड़ा है।

सर्कैडियन रिदम में बदलाव

आपके मस्तिष्क में एक आंतरिक घड़ी होती है जो सर्कैडियन रिदम को नियंत्रित करती है। यह 24 घंटे के चक्र में नींद और जागने के समय को नियंत्रित करती है। रात में काम करने वाले वर्कर्स में सर्कैडियन रिदम में बदलाव होता है, जिससे टाइप 2 मधुमेह और इंसुलिन रेसिसटेंस का जोखिम 44 प्रतिशत तक बढ़ जाता है।

डायबिटीज और नींद की बीमारियां

Diabetes and sleep disorders
Diabetes and sleep disorders

डायबिटीज से पीड़ित लोगों में नींद की बीमारियां नॉन-डायबिटि‍क लोगों की तुलना में अधिक आम हैं।

ऑब्सट्रक्टिव स्लीप एपनिया: ऑब्सट्रक्टिव स्लीप एपनिया मोटापे, इंसुलिन प्रतिरोध और टाइप 2 मधुमेह से निकटता से जुड़ा है। यह एक ऐसी स्थिति है जिसमें नींद के दौरान सांस रुक जाती है या सांस लेना कम या अनियमित हो जाता है। इससे नींद की गुणवत्ता कम होती है और हाई बीपी, हार्ट और लंग्‍स की समस्याएं हो सकती हैं।

डिप्रेशन: डायबिटीज से पीड़ित लोगों में डिप्रेशन का जोखिम सामान्य लोगों की तुलना में अधिक होता है। हालांकि डिप्रेशन नींद की बीमारी नहीं है, लेकिन यह डायबिटीज से पीड़ित लोगों में खराब नींद का एक महत्वपूर्ण कारक है।

डायबिटीज को कैसे करें मैनेज

– शुगर की समस्‍या न बढ़े इसके लिए जरूरी है कि आप अपना वजन कंट्रोल रखें।

– शुगर कंट्रोल करने के लिए नियमित वॉक और एक्‍सरसाइज करें।

– हेल्‍दी और बैलेंस डाइट लें।

– बाहर के तले और अनहेल्‍दी खाने से बचें।

– शरीर की जरूरत और मांग के अनुसार आराम करें।

 बेहतर नींद के उपाय

– नियमित नींद का समय बनाए रखें।

– नियमित व्यायाम करें।

– सोने से पहले शराब या कैफीन से बचें।

– यदि संभव हो तो दिन में झपकी लेने से बचें।

– सोने से पहले मेडिटेशन करें।

– खाने के बाद वॉक करें ताकि सोने से पहले खाना डाइजेस्‍ट हो जाए।

– रात के समय हैवी खाना न खाएं।