हेपेटाइटिस की बेहतर समझ प्रकार, लक्षण: Hepatitis Types and Symptoms
Hepatitis Types, Symptoms, Diagnostics, and Global Impact of the Disease

Hepatitis Types and Symptoms: हेपेटाइटिस का मतलब है लिवर में सूजन, जो अक्सर संक्रमण फैलाने वाले रोगाणुओं जैसे वायरस आदि के कारण होता है, और इसे वायरल हेपेटाइटिस कहा जाता है। कई बार हेपेटाइटिस गैर-संक्रामक कारणों से भी होता है, जिनमें शराब का अधिक सेवन, टॉक्सिन या ऑटोइम्यून रोग आदि शामिल हैं। डॉ निरंजन पाटिल, एसोसिएट वाइस प्रेसीडेंट (एवीपी), साइंटिफिक बिजनेस हैड – इंफेक्शियस डिज़ीज़ेस, मेट्रोपोलिस हैल्थकेयर लिमिटेड, मुंबई के मताबिक

वायरल हेपेटाइटस अलग-अलग प्रकार के हेपेटाइटिस वायरस जैसे ए, बी, सी, डी और ई के कारण फैलता है।

Hepatitis A Symptoms, Causes, Stages & Treatment
Hepatitis A Symptoms, Causes, Stages & Treatment

हेपेटाइटिस एः यह स्वस्थ व्यक्ति द्वारा ऐसा भोजन और पानी का सेवन करने से होता है जो किसी संक्रमित व्यक्ति के मल से दूषित हो चुका होता है। इसके सामान्य लक्षणों में भूख न लगना, मितली, बुखार, थकान, उल्टी, पेट में बेचैनी, पेशाब का रंग गाढ़ा होना, और जॉन्डिस (स्किन की रंगत और आंखों में पीलापन) शामिल हैं। यह सैल्फ-लिमिटिंग रोग होता है। हेपेटाइटिस ए से ग्रस्त लगभग हरेक रोगी अपने आप ठीक भी हो जाता है। बहुत कम ही ऐसे होते हैं जिनका रोग फुलमिनेंट हेपेटाइटिस में बदलता है। हेपेटाइटिस ए से बचाव के लिए वैकसीन उपलब्ध है जो काफी सुरक्षित और कारगर पायी गई है।

हेपेटाइटस बीः यह हेपेटाइटस बी से ग्रस्त पार्टनर के साथ असुरक्षित यौन संसर्ग से फैलता है, इसके अलावा, ब्लड ट्रांसफ्यूज़न के दौरान दूषित ब्लड और ब्लड प्रोडक्ट्स चढ़ाने या संक्रमित मां से शिशु को, दूषित सुइयों या उपकरणों के इस्तेमाल जैसे कि टैटू बनवाने या इंट्रावेनस ड्रग्स के सेवन के दौरान भी यह रोग फैलता है। कई बार इस रोग के लक्षण दिखायी नहीं देते या काफी हल्के से गंभीर तक हो सकते हैं। सामान्य लक्षणों में मितली, थकान, बुखार, पेट में दर्द, पेशाब का गाढ़ा रंग और जॉन्डिस शामिल हैं। इसके अलावा, जोड़ों में दर्द, या देर तक रोग बने रहने की स्थिति में यह सिरोसिस अथवा लिवर सेल कैंसर में भी बदल सकता है। इससे बचाव के लिए वैक्सीन भी उपलब्ध है जो सुरक्षित होती है और इसकी 3 डोज़ लेनी होती हैं, जिसके बाद हर 5 साल में एक बार बूस्टर डोज़ ली जाती है।

हेपेटाइटिस सीः यह रोग हेपेटाइटिस बी से मिलता-जुलता है लेकिन यह अधिक गंभीर हो सकता है और आमतौर से जल्दी भी शुरू होता है। इसमें भी ट्रांसमिशन के कारण हेपेटाइटिस बी के कारणों जैसे ही हैं। शुरुआती स्टेज में कई बार कोई लक्षण नहीं दिखायी देता लेकिन यह रोग गंभीर हो सकता है और लिवर सिरोसिस लिवर कैंसर में भी बदल सकता है। फिलहाल हेपेटाइटिस सी से बचाव की कोई वैक्सीन उपलब्ध नहीं है। इसमें इलाज के लिए एंटीवायरल का प्रयोग किया जाता है।

हेपेटाइटिस डीः हेपेटाइटिस डी वायरस(HDV)को रेप्लिकेशन के लिए हेपेटाइटिस बी वायरस की जरूरत होती है। HDVइंफेक्शन उस समय हो सकता है जब कोई व्यक्ति उसी समय हेपेटाइटिस बी (इसे को-इंफेक्शन कहा जाता है) से संक्रमित हुआ हो, या हेपेटाइटिस बी इंफेक्शन (जिसे सुपरइंफेक्शन कहा जाता है) होने के बाद भी हो सकता है। प्रायः HBV & HDVका कंबीनेशन अधिक खतरनाक माना जाता है क्योंकि क्रोनिक मामले बढ़कर लिवर से जुड़ी मौतों और लिवर कैंसर में बदल सकते हैं। कोइंफेक्शन के मामले आमतौर पर उन लोगों में दिखायी देते हैं जो इंट्रावेनस ड्रग लेते हैं या नशे के आदी होते हैं अथवा उन मरीजों में जिन्हें अक्सर हेमोडायलिसिस की आवश्यकता होती है। हेपेटाइटिस डी इंफेक्शन के मामलों में हेपेटाइटिस बी वैक्सीनेशन प्रोग्राम शुरू करने के बाद से कमी आयी है। हेपेटाइटिस डी को-इंफेक्शन से बचाव के लिए हेपेटाइटिस बी वैक्सीनेशनकारगर साबित हो सकता है।

हेपेटाइटिस ईः इसमें भी ट्रांसमिशन और रोग के लक्षण हेपेटाइटिस ए के समान होते हैं, लेकिन हेपेटाइटिस ई अधिक गंभीर होता है क्योंकि यह प्रेग्नेंट महिलाओं में फुलमिनेंट हेपेटाइटिस में बदल सकता है।

Hepatitis E Risk Factors, Transmission Modes, & Prevention
Hepatitis E Risk Factors, Transmission Modes, & Prevention

डायग्नॉसिसः हेपेटाइटिस के डायग्नॉसिस के लिए मेडिकल हिस्ट्री, लक्षण, संकेत, शारीरिक जांच, लिवर फंक्शन के लिए ब्लड टेस्ट, वायरल मार्कर, लिवर एंज़ाइम्स, और लिवर कंडीशन का पता लगाने के लिए इमेजिंग जांच जैसे अल्ट्रासोनोग्राफी की जाती है। हेपेटाइटिस वायरस की पुष्टि के लिए ब्लड, सीरम या प्लाज़्मा आदि के नमूनों से खास टेस्ट किए जाते हैं, मैनेजमेंट प्लान तैयार किए जाते हैं और निम्नानुसार मॉनीटरिंग की जाती हैः

हेपेटाइटिस ए का पता लगाने के लिए ब्लड टेस्ट जैसे हेपेटाइटस A IgM, तथा हेपेटाइटिस A PCRकिए जाते हैं।

हेपेटाइटबस बी की जांच के लिए ब्लड टेस्ट जैसे HBsAg, HBc IgM, HBc टोटल एंटीबडीज़, HBeएंटिजन, Anti Hb E एंटीबडीज़, तथा HBV DNA PCRकिए जाते हैं।

HCV: हेपेटाइटिस सी टोटल एंटीबडीज़ डिटेक्शन, HCV RNA PCR.

HDV:सीरम सैंपल्स में हेपेटाइटिस डी IgM & IgG & HDV RNA PCR

HDE: की जांच ब्लड टेस्ट जैसे हेपेटाइटिस ई IgM, and Hepatitis E PCRसे की जाती है

महिलाओं पर प्रभाव – वैश्विक स्थति

अक्सर कुछ बायोलॉजिकल, सोशल और हेल्थकेयर एक्सेस कारणों के चलते, हेपेटाइटिस रोग का महिलाओं पर काफी असर होता हैः

  1. हेपेटाइटिस बी एवं सी के सैक्सुअल ट्रांसमिशन के चलते महिलाएं अक्सर अपने संक्रमित सेक्स पार्टनर के कारण जोखिमग्रस्त होती हैं।
  2. बचाव और उपचार के अभाव में, हेपेटाइटिस बी एवं सी वायरस का मां से बच्चे को ट्रांसमिशन होता है जिसके कारण शिशुओं में क्रोनिक इंफेक्शन हो सकता है जिससे वे आजीवन स्वास्थ्य संबंधी जटिलताओं से घिरे रह सकते हैं।
  3. हेपेटाइटिस बी एव सी के कारण प्रेग्नेंसी संबंधी जटिलताएं पेश आती हैं जिनमें प्रीटर्म बर्थ, लो बर्थ वेट बेबीज़, तथा शिशु को इंफेक्शन का ट्रांसमिशन शामिल हैं। हेपेटाइटिस ई के कारण प्रेग्नेंसी में फुलमिनेंट हेपेटाइटिस भी हो सकता है जो घातक साबित हो सकता है।
  4. हेपेटाइटिस के कारण क्रोनिक लिवर रोग से महिलाओं की रिप्रोडक्टिव हेल्थ तथा फर्टिलिटी पर असर पड़ता है और इसके इलाज से गर्भधारण के दौरान तथा प्रेग्नेंसी की अवधि में भी कई तरह की चुनौतियां पेश आ सकती हैं।
  5. कई समाजों में, हेपेटाइटिस बी एवं सी को लेकर शर्मिन्दगी इतनी ज्यादा जुड़ी है कि महिलाओं को हेल्थकेयर एक्सेस करने में परेशानी हो सकती है, और उन्हें स्क्रीनिंग, डायग्नॉसिस, इलाज या वैकसीनेशन जैसी सुविधाएं नहीं मिल पातीं।

मैं मधु गोयल हूं, मेरठ से हूं और बीते 30 वर्षों से लेखन के क्षेत्र में सक्रिय हूं। मैंने स्नातक की शिक्षा प्राप्त की है और हिंदी पत्रिकाओं व डिजिटल मीडिया में लंबे समय से स्वतंत्र लेखिका (Freelance Writer) के रूप में कार्य कर रही हूं। मेरा लेखन बच्चों,...