केरल में रहस्यमयी मौतों का कारण ‘निपाह वायरस’ NIV को बताया गया है। इस वायरस के इफेक्ट्स को देखते हुए WHO ने NIPAH वायरस को एक सीरियस डिसीज घोषित कर दिया है। WHO के मुताबिक, ‘निपाह वायरस’ एक ऐसा वायरस है जो जानवरों से इंसानों में फैल सकता है और गंभीर बीमारियों की वजह बन सकता है । इस वायरस का मुख्य स्रोत ‘फ्रूट ब्रेट’ यानी वैसे चमगादड़ हैं जो फल खाते हैं या फिर उनके अपशिष्ट जैसी चीजों के संपर्क में आने पर यह वायरस किसी को भी प्रभावित कर सकता है। यह वायरस इतना खतरनाक है कि इससे संक्रमित होने पर व्यक्ति की मृत्यु तक हो जाती है।
NIPAH वायरस के लक्षण
निपाह वायरस से संक्रमित होने पर उस व्यक्ति में दिमागी बुखार के लक्षण दिखने लगते हैं। बीमारी की शुरूआत में व्यक्ति को सांस लेने में दिक्कत होने लगती है। चक्कर आना, सिर में तेज दर्द और फिर बुखार होता है। धीरे-धीरे बुखार दिमाग में पहुंच जाता है, जिससे मरीज की मौत हो सकती है।
क्या इलाज है निपाह वायरस का?
अभी तक इस खतरनाक “निपाह वायरस” का कोई वैक्सीन नहीं बन पाया है। अपना बचाव करना ही इसका एकमात्र इलाज है। इससे संक्रमित रोगी को डाॅक्टर की कड़ी निगरानी में रखना जरूरी होता है ताकि मरीज की उचित देखभाल की जा सके और उसे मौत के मुंह में जाने से बचाया जा सके।
बचाव
- निपाह वायरस से बचना है तो आम व खजूर को पानी से अच्छी तरह से धोकर खाएं क्योंकि रमजान के महीने में खजूरों का काफी मात्रा में सेवन किया जाता है। ऐसी स्थिति में यह आवश्यक हो जाता है कि इनका सेवन बहुत सोच-समझकर करें।
- चमगादड़ों की लार या पेशाब के संपर्क मे आने से बचे। खासतौर पर पेड़ से गिरे फलों को उठाकर बिल्कुल भी ना खाएं।
- फलों को पोटाश वाले पानी से धोकर खाएं ताकि फल पूरी तरह से संक्रमणरहित हो जाएं।
- इस वायरस से संक्रमित इंसानों और पशुओं खासकर सुअरों के संपर्क में ना आएं।
- निपाह वायरस से प्रभावित इलाकों में ना जाएं तो बेहतर है।
- बंद पड़े कुंओं के आस-पास जाने से बचें क्योंकि ऐसी जगहो पर चमगादड़ बड़़ी संख्या में मौजूद रहते हैं।
- सबसे खास बात यदि किसी में ‘निपाह वायरस’ का कोई भी लक्षण नजर आए तो तुरंत उस व्यक्ति को डाॅक्टर के पास ले जाएं। क्योंकि समय पर इलाज मिलने पर मरीज की जान बचायी जा सकती है।
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