Overview: ‘मंकीपॉक्स वायरस’ जानें, सभी जरूरी बातें!
वर्तमान विश्व प्रकोप मंकीपॉक्स वायरस (2022) कम गंभीर पश्चिम अफ्रीकी क्लैड के कारण होता है। संक्रमण का प्रकार क्लैड शायद ही कभी घातक होता है, लेकिन इसके लक्षण बेहद दर्दनाक हो सकते हैं और लोगों को शरीर पर दाने होने के कारण निशान हमेशा के लिए पड़ सकते हैं।
Monkeypox: मंकीपॉक्स एक दुर्लभ बीमारी है जो मंकीपॉक्स वायरस के संक्रमण से होती है। मंकीपॉक्स वायरस एक डबल-स्ट्रैंडेड डीएनए वायरस है जिसका जीनोम साइज लगभग 190 kb है। यह पॉक्सविरिडे परिवार के ऑर्थोपॉक्सवायरस जीनस से संबंधित है। ऑर्थोपॉक्सवायरस जीनस में वैक्सीनिया वायरस, काउपॉक्स वायरस, वेरियोला वायरस और कई अन्य जानवरों से संबंधित पॉक्सवायरस शामिल हैं। वैरियोला वायरस चेचक (स्मॉलपॉक्स) का कारण बनता है और मंकीपॉक्स के लक्षण चेचक के लक्षणों के समान त्वचा पर घाव, दाने और फ्लू से शुरू होता है।
- डब्ल्यूएचओ के अनुसार, मंकीपॉक्स जानवरों से मनुष्यों में प्रसारित होने वाले वायरस के कारण होता है और इसके लक्षण चेचक के लक्षणों के समान होते हैं।
- इंसानों से इंसानों में इस वायरस का संचरण संक्रामक घावों या शरीर के तरल पदार्थों के सीधे संपर्क के माध्यम से हो सकता है, जिसमें आमने-सामने, त्वचा से त्वचा और श्वसन की बूंदें शामिल हैं।
- संक्रमित व्यक्ति के दूषित कपड़ों या लिनेन के अप्रत्यक्ष संपर्क के माध्यम ये फैल सकता है।
- बुखार, दाने, और सूजी हुई लिम्फ नोड्स के साथ ये अन्य मेडिकल जटिलताओं को जन्म दे सकता है।
- आमतौर पर 2-4 सप्ताह तक इसके लक्षण दिखाई दे सकते हैं।
- केंद्र के दिशानिर्देशों के अनुसार, हाल के दिनों में, मृत्यु दर अनुपात 3 से 6 फीसदी रहा है।

सबसे पहले कब सामने आया मंकीपॉक्स
मंकीपॉक्स की सबसे पहले पहचान शोध के लिए रखे गए बंदरों में 1958 में हुई थी। “मंकीपॉक्स” नाम होने के बावजूद, इस बीमारी का स्रोत अज्ञात है। इस वायरस का ‘मंकीपॉक्स’ नाम बंदरों में सबसे पहले पाए जाने के कारण रखा गया था। हालांकि मुख्य रूप से ये वायरस संक्रमित जानवरों के साथ इंसानों के संपर्क में आने से फैलता है। लेकिन कभी-कभी संक्रमित व्यक्ति के साथ त्वचा से त्वचा के संपर्क से भी फैल सकता है।

इंसानों में मंकीपॉक्स का पहला मामला 1970 में कांगो डेमोक्रेटिक रिपब्लिक में दर्ज किया गया था। 2022 के प्रकोप से पहले, कई मध्य और पश्चिमी अफ्रीकी देशों के लोगों में मंकीपॉक्स की सूचना मिली थी। अफ्रीका के बाहर के लोगों में लगभग सभी मंकीपॉक्स के मामले उन देशों की अंतर्राष्ट्रीय यात्रा से जुड़े थे जहां यह बीमारी आमतौर पर होती है। मई 2022 में, स्वास्थ्य अधिकारियों ने अफ्रीका के बाहर कई क्षेत्रों में वायरस के प्रकोप की सूचना देना शुरू किया।
75 देशों में फैला मंकीपॉक्स वायरस
रिपोर्ट्स के अनुसार, 75 देशों से मंकीपॉक्स के 16,800 से अधिक मामले सामने आए हैं। भारत में, दिल्ली और केरल सहित कुल चार मामले दर्ज हो चुके हैं। 23 जुलाई, 2022 को डब्ल्यूएचओ के महानिदेशक टेड्रोस अदनोम घेब्येयियस ने मंकीपॉक्स को वैश्विक सार्वजनिक स्वास्थ्य आपातकाल घोषित कर दिया है।
क्या मंकीपॉक्स मौत का कारण बन सकता है

वर्तमान विश्व प्रकोप मंकीपॉक्स वायरस (2022) कम गंभीर पश्चिम अफ्रीकी क्लैड के कारण होता है। संक्रमण का प्रकार क्लैड शायद ही कभी घातक होता है, लेकिन इसके लक्षण बेहद दर्दनाक हो सकते हैं और लोगों को शरीर पर दाने होने के कारण निशान हमेशा के लिए पड़ सकते हैं।
99% से अधिक लोग जिन्हें वर्तमान में मंकीपॉक्स हुआ है, के जीवित रहने की संभावना है। हालांकि, कमजोर प्रतिरक्षा प्रणाली वाले लोग, नवजात शिशु, 8 वर्ष से कम उम्र के बच्चे, एक्जिमा की बीमारी से पीड़ित लोग और गर्भवती या स्तनपान करवाने वाली महिलाओं में मंकीपॉक्स के अधिक गंभीर लक्षण देखे जा सकते हैं और इन्हें मृत्यु का खतरा अधिक हो सकता है।
मंकीपॉक्स वायरस के लक्षण

- बुखार
- सिरदर्द
- मांसपेशियों में दर्द और पीठ दर्द
- लिम्फ नोड्स में सूजन
- ठंड लगना
- थकावट या कम एनर्जी होना
- गले में सूजन या डाई कफ होना
- चेहरे, मुंह के अंदर और शरीर के अन्य हिस्सों जैसे हाथ, पैर, छाती, जननांग या गुदा पर दिखाई देने वाले दाने जो फुंसी या फफोले की तरह दिख सकते हैं। घावों की संख्या एक से कई हजार तक हो सकती है। घाव पहले सपाट होने लगते हैं, फिर पपड़ी बनने से पहले तरल पदार्थ से भर जाते हैं फिर सूखकर गिर जाते हैं, जिसके नीचे त्वचा की एक नई परत बन जाती है।
आमतौर पर 2-4 सप्ताह तक ये सभी लक्षण रहते हैं। लेकिन दानों के निशान हमेशा के लिए रह जाते हैं। कभी-कभी दाने पहले निकलते हैं और अन्य लक्षण बाद में दिखाई देते हैं। ये लक्षण आमतौर पर संक्रमण के एक से दो सप्ताह बाद दिखाई देते हैं।
यदि आपको ये लक्षण दिख रहे हैं तो डॉक्टर से तुरंत संपर्क करें। साथ ही पालतू या अन्य जानवरों से दूर रहें। यदि आप मंकीपॉक्स टेस्ट के रिजल्ट का इंतजार कर रहे हैं तो खुद को आइसोलेट करें। रिपोर्ट पॉजिटिव आने पर दाने सूखने और त्वचा पर नई परत आने तक आइसोलेट रहें।
कैसे फैलता है मंकीपॉक्स वायरस

मंकीपॉक्स किसी को भी किसी भी उम्र में हो सकता है। मंकीपॉक्स अलग-अलग तरीकों से फैलता है।
- पर्सन-टू-पर्सन स्प्रेड (ट्रांसमिशन) तब होता है जब आप संक्रमित व्यक्ति के घावों, पपड़ी, सांस की बूंदों या मौखिक तरल पदार्थ के संपर्क में आते हैं या अंतरंग शारीरिक संपर्क के दौरान जैसे चूमना, गले लगाना, मालिश करना या संभोग करने से भी ये फैल सकता है।
- गर्भवती महिलाएं प्लेसेंटा के माध्यम से भ्रूण में वायरस को फैला सकती हैं।
- जब कोई मंकीपॉक्स संक्रामक व्यक्ति कपड़ों, बिस्तर, तौलिए, वस्तुओं, इलेक्ट्रॉनिक्स और सतहों को छूता है और कोई स्वस्थ व्यक्ति जो इन वस्तुओं को छूता है, वह संक्रमित हो सकता है। कपड़ों, बिस्तरों या तौलिये से स्किन फ्लेक्स या वायरस से पीड़ित व्यक्ति के करीब से संपर्क में आने से संक्रमित होना संभव है। इसे फोमाइट ट्रांसमिशन के रूप में जाना जाता है।
- लोगों को संक्रमित जानवरों से मंकीपॉक्स हो सकता है या तो जानवर द्वारा खरोंचने-काटने या मांस खाने से या संक्रमित जानवरों के प्रोडक्ट का उपयोग करने से मंकीपॉक्स हो सकता है।
मंकीपॉक्स के लिए किए जाने वाले टेस्ट

मंकीपॉक्स की पहचान करने के लिए एक खुले घाव से टिश्यू का सैंपल लिया जाता है। फिर इसे पोलीमरेज चेन रिएक्शन (पीसीआर) टेस्टिंग (जेनेटिक फिंगरप्रिंटिंग) के लिए लैब में भेजा जाता है। मंकीपॉक्स वायरस या इम्यून सिस्टम द्वारा बनाए गए एंटीबॉडी की जांच के लिए ब्लड सैंपल भी लिया जा सकता है।
मंकीपॉक्स का इलाज

मंकीपॉक्स से पीड़ित ज्यादातर लोग बिना इलाज के अपने आप ठीक हो जाते हैं। मंकीपॉक्स वायरस के संक्रमण के लिए विशेष रूप से कोई इलाज नहीं हैं। मंकीपॉक्स की पहचान होने के बाद लक्षणों को दूर करने का प्रयास किया जाता है। जैसे एंटीबायोटिक्स दी जा सकती हैं और मरीज को हाइड्रेट रहने की सलाह दी जाती है। हालांकि, चेचक के इलाज के लिए इस्तेमाल की जाने वाली एंटीवायरल और वैक्सीनिया गामा ग्लोब्युलिन, सिडोफोविर, एसटी -246 जैसी दवाओं का उपयोग मंकीपॉक्स के संक्रमण के इलाज के लिए किया जा सकता है। इसके अलावा एंटीवायरल दवा टेकोविरिमैट (टीपीओएक्सएक्स), उन लोगों को दी जा सकती है जिन्हें इस वायरस के कारण गंभीर रूप से बीमार होने का खतरा है। जैसे – कमजोर इम्यून सिस्टम वाले लोग। साथ ही डॉक्टर चेचक की वैक्सीन लगवाने की सलाह दे सकते हैं।
मंकीपॉक्स के लिए वैक्सीनेशन

मंकीपॉक्स और चेचक के वायरस आनुवंशिक रूप से समान होते हैं, इसलिए चेचक के वायरस से बचाव के लिए बनी वैक्सीन का उपयोग मंकीपॉक्स के संक्रमण को रोकने के लिए किया जा सकता है। यदि आपको 3-5 सालों के अंदर चेचक की वैक्सीनेशन लगी है तो आप मंकीपॉक्स से सुरक्षित हैं। शोधों के मुताबिक, चेचक की वैक्सीन मंकीपॉक्स को रोकने में 85% प्रभावी है।
हालांकि मंकीपॉक्स वायरस होने से पहले वैक्सीन लगवाना अच्छा है, फिर भी इसे बाद में लेने से बीमारी को रोकने में मदद मिल सकती है या यह कम गंभीर हो सकता है। सेंटर फॉर डिजीज कंट्रोल एंड प्रिवेंशन मंकीपॉक्स के संपर्क में आने के 4 दिनों के भीतर टीका लगवाने की सलाह देता है। लेकिन अगर आप इसे संक्रमित होने के 14 दिन बाद तक भी लगवाते हैं, तब भी यह मंकीपॉक्स के लक्षणों को कम कर सकता है। यदि आपको मंकीपॉक्स हुआ है और पिछले 3 सालों में चेचक की वैक्सीनेशन नहीं लगवाई है, तो विशेषज्ञ जल्द से जल्द टीका लगवाने की सलाह देते हैं।
अमेरिका और अन्य यूरोपीय देशों में मंकीपॉक्स को कम करने के लिए जाइनॉस (Jynneos) और एसीएएम2000 (ACAM2000) वैक्सीन का इस्तेमाल किया जा रहा है। इसे यूरोप में इम्वेनेक्स (IMVANEX) और कनाडा में इम्वाम्यून (IMVAMUNE) नाम से जाना जाता है। 2019 में, FDA ने मंकीपॉक्स को रोकने के लिए जाइनॉस को भी मंजूरी दी। 4 सप्ताह के अंतराल में इस वैक्सीन के दो शॉट्स दिए जाते है। वैक्सीन लगाने के बाद हल्का बुखार,थकान, ग्लैंड्स में सूजन, वैक्सीन की जगह पर रेडनेस या खुजली जैसे लक्षण दिख सकते हैं।
मंकीपॉक्स होने पर क्या करें
- सीडीसी के अनुसार, अगर आपको मंकीपॉक्स है, तो आपको सर्जिकल मास्क पहनना चाहिए, खासकर अगर आपको खांसी, सांस लेने में तकलीफ या गले में खराश जैसी सांस की समस्या है। इससे संक्रमण के खतरे को कम किया जा सकता है।
- यदि आपको मंकीपॉक्स के लक्षण हैं, तो पेन किलर्स और बुखार को कम करने वाली इबुप्रोफेन और एसिटामिनोफेन जैसी दवाएं ले सकते हैं।
- कोलाइडल ओटमील के साथ हॉट बाथ लेने से त्वचा पर चकत्ते के साथ आने वाली सूखी, खुजली से राहत मिल सकती है।
- अगर आप संक्रमित हैं तो खुद को आइसोलेट कर लें। दूसरों के संपर्क में आने से बचें, जब तक कि आपके सभी घावों सूख कर झड़ ना जाएं।
- घावों को कवर करके रखें। मंकीपॉक्स को फैलने से रोकने के लिए धुंध या पट्टियों का प्रयोग करें।
- बीमार हों तो घर पर रहें और आराम करें। दूसरों के आसपास जाने से पहले मास्क पहनें और खूब सारे तरल पदार्थ पिएं।
- पालतू जानवरों के संपर्क से बचें।
- डॉक्टर के संपर्क में उस समय रहें जब बुखार, दर्द या सूजी हुई लिम्फ नोड्स के साथ बीमार महसूस करें, नए दाने या घाव दिखें या एक संक्रमित व्यक्ति के निकट संपर्क में रह चुके हों।
- सांस लेने में कठिनाई हो, सीने में दर्द हो, गर्दन में अकड़न हो, कुछ सोचने, बोलने, या हिलने-डुलने में कठिनाई हो, बेहोशी या दौरा पड़ने पर तुरंत इमरजेंसी में जाएं।
मंकीपॉक्स से खुद को कैसे बचाएं

- संक्रमित जानवरों (विशेषकर बीमार या मृत जानवरों) के संपर्क में आने से बचें।
- दूषित कपड़े, बिस्तर और वायरस से दूषित अन्य सामग्री के संपर्क में आने से बचें।
- जानवरों के मांस या अन्य भागों वाले सभी खाद्य पदार्थों को अच्छी तरह से पकाएं।
- अपने हाथों को बार-बार साबुन और पानी से धोएं।
- ऐसे लोगों के संपर्क में आने से बचें जो इस वायरस से संक्रमित हो सकते हैं।
- सुरक्षित संबंध बनाएं और कंडोम और डेंटल डैम का उपयोग करें।
- ऐसा मास्क पहनें जो दूसरों के आस-पास होने पर आपके मुंह और नाक को ढके रखे।
- बार-बार छुई जाने वाली सतहों को साफ और कीटाणुरहित करें।
- वायरस से संक्रमित लोगों की देखभाल करते समय पीपीई किट का प्रयोग करें। यदि आप मंकीपॉक्स पीड़ित व्यक्ति के संपर्क से नहीं बच सकते हैं तो मास्क, सेफ्टी गोगल्स या ग्लासेज और दस्ताने जैसे प्रोटेक्टिव गियर का उपयोग करें।
क्या मंकीपॉक्स एक बार होने के बाद दोबारा हो सकता है?
मंकीपॉक्स संक्रमण होने के बाद प्रतिरक्षा कितने समय तक चलती है, इस पर अभी शोध होना बाकी है। शोधों में ये बात सामने नहीं आई है कि मंकीपॉक्स संक्रमण से बने एंटीबॉडीज फ्यूचर में होने वाले संक्रमणों के प्रति प्रतिरोधक क्षमता प्रदान करते हैं या नहीं या कब तक करते हैं। विशेषज्ञ मानते हैं कि अगर आपको पहले कभी मंकीपॉक्स हुआ है तो भी आपको फिर से संक्रमित होने से बचने के लिए हर संभव प्रयास करना चाहिए। यदि आपको पहले मंकीपॉक्स हुआ है और आपके घर में कोई मंकीपॉक्स से संक्रमित है तो आपको उनकी देखभाल करनी चाहिए, क्योंकि दूसरों की तुलना में आपका इम्यून मजबूत होने की अधिक संभावना है। हालांकि, संक्रमित होने से बचने के लिए आपको अभी भी सभी सावधानियां बरतनी चाहिए। आप ऑर्थोपॉक्सविर्यूज के प्रति एंटीबॉडी टेस्ट करके भी जान सकते हैं कि आप मंकीपॉक्स से सुरक्षित हैं या नहीं। हालांकि टेस्ट ये नहीं बताएंगे कि आपके शरीर में मौजूद एंटीबॉडीज बनने का कारण क्या है यानी चेचक या मंकीपॉक्स वैक्सीनेशन है या मंकीपॉक्स वायरस या कोई अन्य ऑर्थोपॉक्सवायरस इसका कारण है।
