Breastfeeding with Hepatitis C: नई माएं अपने बच्चे को बीमारियों से बचाने के लिए हर संभव कोशिश करती हैं, खासतौर पर जब वे ब्रेस्टफीडिंग करवाती हैं। दरअसल, नवजात बच्चे के शुरूआती महीनों में मां का दूध ही उसके लिए सर्वश्रेष्ठ फूड होता है। लेकिन यदि मां को कोई गंभीर समस्या है तो उसका चिंता करना जायज है। ऐसे में सवाल उठता है कि नई मां या ब्रेस्टफीडिंग करवाने वाली महिलाओं को यदि हेपेटाइटिस सी होता है तो क्या इस स्थिति में ब्रेस्टफीडिंग करवाना सेफ है? आइए जानें, आखिर इस संबंध में एक्सपर्ट और शोध क्या कहते हैं।
क्या ब्रेस्टफीडिंग सेफ है?

इस सवाल का जवाब हां है। आप बिना किसी चिंता के अपने बच्चे को ब्रेस्टफीडिंग करवा सकती हैं। एचसीवी, वायरस जो हेपेटाइटिस सी का कारण बनता है, ब्रेस्ट के दूध से नहीं फैलता है। शोधों से ये भी बात सामने आई है कि ब्रेस्टफीड करने वाले शिशुओं में फार्मूला दूध पीने वाले शिशुओं की तुलना में हेपेटाइटिस सी की दर अधिक नहीं है।
शोधों के मुताबिक, ब्रेस्ट फीडिंग से हेपेटाइटिस सी वायरस नहीं होता। ये वायरस दूसरों में तब फैलता है जब किसी संक्रमित व्यक्ति का ब्लड किसी ऐसे व्यक्ति के ब्लड में जाता है जो संक्रमित नहीं है। जन्म के दौरान शिशुओं को अपनी मां से वायरस मिल सकता है – हेपेटाइटिस सी से पीड़ित मां से पैदा होने वाले 100 में से लगभग 6 शिशु संक्रमित होते हैं।
रोग नियंत्रण और रोकथाम केंद्र (सीडीसी) के अनुसार, यदि ब्रेस्ड फीडिंग करवाने वाली मां हेपेटाइटिस सी से पीड़ित हैं, तो भी वे अपने बच्चे को ब्रेस्ट फीडिंग करवा सकती हैं।
हेपेटाइटिस सी वायरस से पीड़ित नई मां ब्रेस्ट फीडिंग प्लान के बारे में अपने डॉक्टर से बात कर सकती हैं और अपनी चिंताओं को लेकर डॉक्टर से सलाह ले सकती हैं।
हेपेटाइटिस सी फैलने के अन्य तरीके

- एक ही सुई या सीरिंज शेयर करना।
- नीडलस्टिक इंजरी होना।
- टैटू या बॉडी पियर्सिंग करवाने के दौरान यदि टूल्स को ठीक से साफ ना किया गया हो।
- संक्रमित व्यक्ति के साथ यौन संबंध बनाना।
- रेजर या टूथब्रश जैसी व्यक्तिगत वस्तुओं को शेयर करना, जिन पर किसी का ब्लड लगा हो सकता है।
यदि ब्रेस्ट से ब्लड आए या निप्पल में दरारें हो तो क्या करें?

नई मांओं को ये भी चिंता सताती है कि हेपेटाइटिस सी होने के दौरान यदि ब्रेस्ट से ब्लीडिंग हो या निप्पल में दरारें आएं तो क्या तब भी बच्चे को ब्रेस्टफीड करवाना सेफ हैं। हालांकि इस पर आए शोध सीधे तौर पर ब्रेस्टफीडिंग को जारी रखने या रूकने की बात नहीं कहते। लेकिन एक्सपर्ट मानते हैं कि जब तक ब्लड आना या दरारें ठीक नहीं हो जाती है तब तक शिशु को ब्रेस्टफीडिंग नहीं करवानी चाहिए। ऐसी स्थिति में दूध को सूखने से बचाने के लिए उसे पंप करें और फेंक दें।
ब्रेस्टफीडिंग से इन स्थितियों में लें ब्रेक
- यदि आपको मास्टिटिस या सूजन ब्रेस्ट टिश्यूज का संक्रमण है तो ब्रेस्टफीडिंग ना करवाएं।
- ब्रेस्ट में चोट या जख्म हो तो ब्रेस्टफीडिंग से ब्रेक लें।
- बच्चे के मुंह में या मुंह के आसपास कट लगा हो तो ब्रेस्टफीडिंग से ब्रेक लें।
- यदि आपको एचआईवी और हेपेटाइटिस सी दोनों हैं, तो आपको ब्रेस्टफीडिंग नहीं करवानी चाहिए।
- जब आप इन सभी लक्षणों से मुक्त हो जाएं तो दोबारा ब्रेस्ट फीडिंग शुरू कर सकते हैं।
क्या हेप सी के लिए बच्चे के टेस्ट करवाना जरूरी है?

यदि आपको हेपेटाइटिस सी है और आपने बच्चे को ब्रेस्टफीडिंग करवाई है तो पीडियाट्रिक्स बच्चे के पैदा होने से 18 महीने के बाद हेप सी वायरस के टेस्ट करवाने की सलाह दे सकते हैं।
हेप सी की जांच के लिए बच्चे के कौन से टेस्ट करवाएं
एंटी-एचसीवी – यह बच्चे का पहला टेस्ट होगा। ये एचसीवी के प्रति एंटीबॉडी की तलाश करता है, जो बताता है कि बच्चा वायरस के संपर्क में आया है या नहीं। यदि रिजल्ट नेगेटिव हैं, तो बच्चे को हेप सी नहीं है। यदि रिजल्ट पॉजिटिव हैं, तो बच्चे को ये देखने के लिए और टेस्ट की आवश्यकता होगी कि क्या वो अभी भी संक्रमित हैं या नहीं।
एचसीवी-आरएनए – यदि एंटी-एचसीवी के रिजल्ट पॉजिटिव थे, तो बच्चे का ये टेस्ट होगा। ये टेस्ट बच्चे के खून में वायरस की तलाश करता है। रिजल्ट पॉजिटिव का मतलब है कि बच्चे को हेपेटाइटिस सी संक्रमण अभी भी है।
वायरल लोड टेस्ट – ये टेस्ट ये जानने के लिए किया जाता है कि बच्चे के खून में कितना वायरस है। यदि एचसीवी के लिए रिजल्ट पॉजिटिव है, तो डॉक्टर इस टेस्ट को ये देखने के लिए करते हैं कि ट्रीटमेंट सही से काम कर रहा है या नहीं।
बच्चे को हेपेटाइटिस सी कैसे सुरक्षित रखें

अमेरिकन लिवर फाउंडेशन के अनुसार, बच्चे में 2 साल की उम्र तक वायरस अपने आप ठीक होने की 40 प्रतिशत संभावना रहती है। वहीं कुछ बच्चों में 7 साल की उम्र तक वायरस अपने आप होने की संभावना होती है। एक अन्य शोध के मुताबिक, यदि बच्चे को हेपेटाइटिस सी है, तो 25% संभावना रहती है कि वायरस अपने आप ठीक हो जाए।
यदि बच्चे में हेपेटाइटिस सी वायरस ठीक नहीं होता है, तो कुछ बातों का ध्यान रखकर आप बच्चे को सुरक्षित रख सकते हैं। जैसे – बच्चे को डॉक्टर से रेगुलर चेकअप करवाते रहें। डॉक्टर की सलाह पर रेगुलर ब्लड टेस्ट करवाने चाहिए और डॉक्टर द्वारा बताई गई दवाओं को सही समय पर लेना चाहिए। दवाओं का कोर्स पूरा करना चाहिए। सही इलाज से हेप सी का इलाज संभव है। इसलिए हेपेटाइटिस सी इंफेक्शन से लड़ने के लिए पीडियाट्रिक्स के संपर्क में रहें और डॉक्टर के दिशा-निर्देशों का पालन करें। इसके अलावा बच्चे को अन्य स्वास्थ्य समस्याओं से बचाने में मदद करें जो कि हेप सी को गंभीर कर सकते हैं।
आप अपनी हेल्थ की सीरियली निगरानी करके भी अपने बच्चे को सुरक्षित रख सकती हैं। साथ ही आप शराब के सेवन से बचें और अपने डॉक्टर द्वारा बताई गई एंटी-वायरल दवाएं लें। यदि आप गर्भवती हैं लेकिन ये नहीं जानती कि आपको हेपेटाइटिस सी है, तो अपने डॉक्टर से एचसीवी टेस्ट करने के लिए कहें।