Hariyali Amavasya 2022: हरियाली अमावस्या अपने आप में एक संदेश समेटे हुए है। धरती को हर-भरी रखने और पर्यावरण को संरक्षित करने के नजरिए से इस खास दिन पर वृक्षारोपण का खास महत्व है। ऐसा माना जाता है कि वृक्षों में असीम शक्तियों का वास है, जो मानव को एक उपहार के रूप में प्राप्त है। मौसम को नियंत्रित करने वाले पेड़-पौधों को ईश्वरीय शक्ति से परिपूर्ण माना गया है। हरियाली अमावस्या के दिन वृक्षारोपण के साथ-साथ पितरों के लिए यज्ञ, पूजा और श्राद्ध तर्पण भी किया जाता है। इस खास दिन पर भगवान शिव और मां पार्वती की पूजा की जाती है ताकि उनकी कृपा दृष्टि यूं ही बनी रहे।
हरियाली अमावस्या का धार्मिक और वैज्ञानिक महत्व

नारद पुराण में सावन के महीने में पितृ श्राद्ध, दान और वृक्षारोपण इत्यादि से शुभ फल की प्राप्ति होती है। ऐसा माना जाता है कि इस खास दिन पर अगर कुंवारी कन्याएं भोलेनाथ और मां पार्वती का पूजन करती है तो उन्हें मनचाहे वर की प्राप्ति होती है। इसके अलावा सुहागन स्त्रियों को अखण्ड सौभाग्य की प्राप्ति होती है। भगवान शिव की कृपा पाने के लिए इस विशेष दिन कालसर्प दोष, पितृदोष और शनि प्रकोप से ग्रस्त लोग अगर शिवलिंग पर जलाभिषेक, पंचामृत या रुद्राभिषेक करते हैं तो उन्हें सुख और ऐश्वर्य प्राप्त होता है। साथ ही सभी मुश्किलों से भी छुटकारा मिल जाता है। इस दिन संध्याकाल में दीप दान का भी विधान है।
हरियाली अमावस्या से किस प्रकार प्राप्त होता है पुण्य
हरियाली अमावस्या के दिन पौधारोपण का विशेष महत्व बताया गया है। भविष्य पुराण के मुताबिक निसंतान दंपति के लिए वृक्ष ही उनकी संतान है। भगवान शिव का आशीर्वाद प्राप्त करने के लिए बिल्वपत्र अवश्य लगाना चाहिए। इसके अलावा जहां पीपल के वृक्षारोपण से मानव को हजारों यज्ञ के बराबर पुण्य की प्राप्ति होती है। तो वहीं शमी का पेड़ लगाने से निरोगी काया का वरदान प्राप्त होता है और अशोक का पेड़ सभी रोगों का नाश करता है।
हरियाली अमावस्या का वैज्ञानिक औचित्य
धार्मिक महत्व होने के साथ-साथ हरियाली अमावस्या का वैज्ञानिक औचित्य भी है। इस खास पर्व पर लोग मान्यताओं के हिसाब से पौधों का चयन कर पौधारोपण करते हैं। जो धर्म के अलावा विज्ञान की दृष्टि से भी उचित है। इस दिन सैकड़ों पेड़ एक साथ लगाने से पर्यावरण शुद्ध और संतुलित रहता हैं। आज जब मौसम पूरे विश्व में बदल रहा है तब यह अमावस्या महज एक धार्मिक पर्व नहीं है बल्कि पृथ्वी को हरा-भरा बनाने का संकल्प पर्व भी है।
हरियाली तीज पर हरे रंग का विशेष महत्व
हरियाली तीज खुशी, उमंगों और रंगों का त्योहार है। 31 जुलाई 2022 को मनाए जाने वाले इस त्योहार में हरे रंग का विशेष महत्व है। इस दिन विवाहित महिलाएं सोलह शृंगार कर व्रत करती हैं। साथ ही भगवान शिव और माता पार्वती की पूजा अर्चना भी करती हैं। भगवान की पूजा करने से पहले विवाहित स्त्रियां हरे रंग की साड़ी जरूर पहनती हैं, जो सौभाग्य की निशानी मानी जाती है।
खुशहाली का प्रतीक
इसके अलावा चूड़ी, बिंदी, सिंदूर आदि लगाती हैं जिसमें हरा रंग विशेषतौर पर इस्तेमाल होता है। हरे रंग को खुशहाली का प्रतीक समझा जाता है। इस व्रत में मेहंदी लगवाना और झूला झूलने का भी रिवाज है।
आंखों को देता है राहत
प्रकृति का यह हरा रंग आंखों को ठंडक प्रदान करता है। जो हमें नेत्र विकारों से दूर रखने में भी मददगार साबित होता है। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार सावन में महिलाओं को हरे रंग की चूड़ियां और हाथों में मेंहदी भी लगानी चाहिए।
हरे रंग की धार्मिक मान्यता
धार्मिक ग्रंथों के अनुसार बुध ग्रह को हरे रंग से जोड़ा गया है। दरअसल, हरे रंग को बुध ग्रह का प्रतीक समझा जाता है। ज्योतिष की मानें, तो बुध ग्रह प्रबल होने से संतान की प्राप्ति होती है।
घर में शांति
अगर घर में दुख और कलेश का माहौल हर वक्त बना रहता है। ऐसे में हरा रंग धारण करना बेहद फायदेमंद साबित होता है। इससे घर में होने वाली छुटपुट बातें और विवाद अपने आप थम जाते हैं और खुशहाली बढ़ने लगती है।
हरियाली तीज का समय
हरियाली तीज शुक्ल पक्ष की तृतीया तिथि 31 जुलाई 2022 दिन रविवार को सुबह 3 बजे से शुरू होकर अगले दिन 1 अगस्त दिन सोमवार को सुबह 4:20 मिनट पर होगा।
हरियाली अमावस्या तिथि
हरियाली अमावस्या प्रारंभ : 27 जुलाई दिन बुधवार को रात 8:20 से
हरियाली अमावस्या समापन : 28 जुलाई दिन गुरुवार को रात 10:16 पर