हरियाली अमावस्या कब है? जानिए महिलाओं के लिए क्यों खास है यह पर्व: Hariyali Amavasya 2023
Hariyali Amavasya 2023

Hariyali Amavasya 2023: सावन का महीना शुरू होते ही हिंदू धर्म के व्रत त्योहारों की भी शुरुआत हो जाती है। सनातन संस्कृति में व्रत त्योहार का खास महत्व है। हिंदू धर्म की महिलाएं सभी तरह के व्रत और पूजा पाठ के कार्यों को नियमों से करती हैं ताकि उनके परिवार के सभी सदस्यों की उन्नति होती रहे। सावन के महीने में हरियाली तीज से पहले आने वाली आने वाली हरियाली अमावस्या महिलाओं के लिए बहुत ही शुभ मानी जाती है। इस बार हरियाली अमावस्या 17 जुलाई, सोमवार 2023 को मनाई जाएगी। महिलाएं हरियाली अमावस्या के दिन अपने पति की अच्छी सेहत के लिए भोलेनाथ की पूजा अर्चना करती हैं। आज हम आपको बताएंगे कि हिंदू धर्म में हरियाली अमावस्या का धार्मिक महत्व क्या है और हरियाली अमावस्या क्यों मनाई जाती है।

हरियाली अमावस्या का धार्मिक महत्व

Hariyali Amavasya 2023
Importance of Hariyali Amavasya 2023

पंडित इंद्रमणि घनस्याल बताते हैं कि हिंदू धर्म में अमावस्या को एक पर्व की तरह ही मनाया जाता है। सावन के महीने में हर तरफ हरियाली होती है इस कारण सावन की अमावस्या को हरियाली अमावस्या के नाम से जाना जाता है। सावन में हरियाली अमावस्या पर भगवान शिव और माता पार्वती की जोड़े से पूजा की जाती है। शास्त्रों में बताया गया है कि हरियाली अमावस्या के पावन पर्व पर पवित्र नदियों में स्नान करने और दीपदान करने से व्यक्ति को मोक्ष की प्राप्ति होती है। सावन के महीने में हरियाली अमावस्या पर पौधे लगाने की विशेष परंपरा है। नारद पुराण में उल्लेख मिलता है कि हरियाली अमावस्या के दिन देवताओं, पितरों के साथ साथ पेड़ भी उगाने चाहिए। ऐसा करने से व्यक्ति रोग मुक्त रहता है और उसे मां लक्ष्मी का आशीर्वाद भी मिलता है। मान्यता है कि हरियाली अमावस्या के दिन तुलसी और पीपल के पेड़ की पूजा करके परिक्रमा लगानी चाहिए।

धर्मग्रंथों के अनुसार, हरियाली अमावस्या के दिन दान करने का बड़ा महत्व है। जरूरतमंदों को भोजन और वस्त्र आदि देकर उनका आशीर्वाद लेने से घर के सदस्यों पर आने वाले संकट दूर हो जाते हैं। ऐसा माना जाता है कि हरियाली अमावस्या के दिन दान करने से पूर्वजों की आत्मा को शांति मिलती है। पितरों के नाम से तर्पण करने से व्यक्ति को काल सर्प दोष और पितृ दोष से मुक्ति मिलती है।

इसलिए मनाई जाती है हरियाली अमावस्या

Hariyali Amavasya
Hariyali Amavasya Celebration 2023

धार्मिक मान्यताओं और पौराणिक ग्रंथों के अनुसार, पेड़ पौधों में देवी देवताओं का वास होता है। शास्त्रों के अनुसार पीपल के पेड़ में स्वयं त्रिदेव ब्रह्मा, विष्णु और महेश रहते हैं। इसी प्रकार आंवले के पेड़ में भी लक्ष्मी नारायण का निवास माना जाता है। इसलिए संसार में हरियाली बनाए रखने के लिए ऋषि मुनियों ने हरियाली अमावस्या के दिन पेड़ पौधों की पूजा करने की परंपरा शुरू की। हरियाली अमावस्या का मुख्य उद्देश्य प्रकृति का संरक्षण और पर्यावरण को शुद्ध बनाएं रखना है।

महिलाओं के लिए बेहद खास है हरियाली अमावस्या

Hariyali Amavasya
Hariyali Amavasya

शिव पुराण के अनुसार, हरियाली अमावस्या पर महिलाएं शिव जी के अर्धनारीश्वर रूप की पूजा करती हैं। हरियाली अमावस्या के दिन व्रत रखने और सिंदूर से माता पार्वती की पूजा करने से महिलाओं को अखंड सौभाग्य की प्राप्ति होती है। मान्यताओं के अनुसार, हरियाली अमावस्या के दिन महिलाएं, सुहागन स्त्रियों को श्रृंगार की वस्तुएं बांटकर अपने पति के दीर्घायु होने की मंगलकामना करती हैं।

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