बिना अनुमति कोई नहीं खोल सकता चांदी का द्वार
क्या आपको पता है उज्जैन में महाकाल का प्रवेश द्वार रहस्यों से भरा हुआ है।
Ujjain Mahakal Mystery: भोलेनाथ के सभी धाम इतने पावन है कि देशभर से श्रद्धालु बाबा के दर्शन करने आते है। ऐसा ही एक प्रसिद्ध धाम मध्य प्रदेश के उज्जैन में बाबा महाकाल का है। जहां दक्षिण मुखी शिवलिंग के दर्शन करने देश-विदेश से पर्यटक आते है। क्या आपको पता है उज्जैन में महाकाल का प्रवेश द्वार रहस्यों से भरा हुआ है। ऐसा कहा जाता है कि चांदी का यह प्रवेश द्वार बिना किसी अनुमति के खुलता ही नहीं है। इस रहस्य के बारे में अधिकांश शिव भक्त को पता नहीं है। ते चलिए आपको बताते है क्या है इस मंदिर का रहस्य।
महाकाल का रहस्यमयी दरवाजा

प्राचीन काल से यहां चांदी द्वार से पंडित, पुरोहित और दर्शनार्थी बाबा के दर्शन के लिए प्रवेश करते आ रहे हैं लेकिन इस द्वार में प्रवेश करना आसान बात नहीं है। शयन आरती के बाद जब बाबा को आराम करने के लिए सुला दिया जाता है। उसके बाद इस द्वार को बंद कर दिया जाता है। उसके बाद जब सुबह पुनः इस दरवाजे को खोल ना होता है, तो पहले बाबा महाकाल से अनुमति ली जाती है।
ऐसे मिलती है महाकाल की अनुमति

सुबह बाबा को जगाने के लिए पहुंचने वाले पंडित और पुरोहित महाकाल से द्वार खोलने की अनुमति लेते हैं। यह ठीक उसी तरह से होता है जिस तरह से किसी के घर पर जाने पर हम उन्हें दरवाजा खोलने के लिए वहां लगी हुई घंटी बजा कर संदेश देते हैं। इसी तरह से द्वार के बाद लगे हुए घंटे को बचाकर महाकालेश्वर से द्वार खोलने की अनुमति ली जाती है। चांदी द्वार खोला जाता है और बाबा की भस्म आरती संपन्न होती है। जानकारी के मुताबिक बाबा महाकाल से अनुमति के बिना कोई भी चांदी द्वार खोलकर मंदिर में प्रवेश नहीं ले सकता।
ऐसी है पूरी परंपरा

महाकालेश्वर मंदिर में सुबह की भस्म आरती के साथ पूजन अर्चन का क्रम शुरू होता है। इसके बाद प्रातः कालीन आरती और भोग आरती संपन्न होती है। बाबा का शाम को विशेष श्रृंगार किया जाता है। संध्या आरती होने के बाद रात्रि में बाबा को शयन करवाने से पहले भी विशेष आरती की जाती है। शयन आरती के पश्चात मंदिर के कपाट बंद कर दिए जाते हैं और कोई भी यहां पर प्रवेश नहीं कर सकता है। सुबह भस्मारती से पूर्व चांदी द्वार के बाहर लगे घंटे को बजाकर इसकी अनुमति दी जाती है और उसके बाद पूजन अर्चन का दौर शुरू होता है। रोजाना ये प्रक्रिया दोहराई जाती है।
कोटितीर्थ के जल से स्नान करते हैं बाबा
चांदी द्वार की घंटी बजाने के बाद जब पंडित और पुरोहित मंदिर में प्रवेश करते हैं उसके पश्चात बाबा को कोटि तीर्थ के जल से स्नान कराया जाता है। महाकाल मंदिर परिसर में स्थित कोटि तीर्थ बहुत ही प्रसिद्ध है। इसमें सभी नदियों का जल सम्मिलित है। इसलिए बाबा के स्नान में इसी जल का इस्तेमाल किया जाता है। पंचामृत अभिषेक कर विशेष श्रृंगार होता है।