Mulla Nasruddin ki kahaniya: अपने वतन में मुल्ला नसरुद्दीन की वापसी का दिन बहुत सारी घटनाओं और बेचैनियों से भरा हुआ सिद्ध हुआ। वह बेहद थका हुआ था। वह किसी ऐसी जगह की तलाश में था, जहाँ एकांत हो और वह आराम कर सके। एक तालाब के किनारे उसने लोगों की भारी भीड़ देखी और […]
Author Archives: Dr. Giriraj Sharan Agarwal
मुल्ला नसरुद्दीन – भाग-6
Mulla Nasruddin ki kahaniya: अक्लमंदी से भरे इस उसूल को याद करके कि उन लोगों से दूर रहना चाहिए, जो यह जानते हैं कि तुम्हारा रुपया कहाँ रखा है, मुल्ला नसरुद्दीन उस कहवाख़ाने पर नहीं रुका और फौरन बाज़ार की ओर बढ़ गया। बीच-बीच में वह मुड़कर यह देखता जाता था कि कोई उसका पीछा […]
मुल्ला नसरुद्दीन – भाग-5
Mulla Nasruddin ki kahaniya: शहर के दूसरे छोर पर पहुँचकर मुल्ला नसरुद्दीन रुक गया। अपने गधे को एक कहवाख़ाने के मालिक को सौंपकर खुद नानबाई की दुकान में चला गया। वहाँ बहुत भीड़ थी। धुआँ और खाना पकने की महक आ रही थी। चूल्हे गर्म थे और कमर तक नंगे बावर्चियों की पसीने से तर […]
मुल्ला नसरुद्दीन – भाग-4
Mulla Nasruddin ki kahaniya: तीसरे पहर का सन्नाटा चारों ओर फैला हुआ था। उमस बहुत ज़्यादा थी। धूल से भरी सड़क के दोनों ओर के मकानों की कच्ची दीवारों और बाड़ों से अलसायी-सी गर्मी उठ रही थी। पोंछने से पहले ही पसीना मुल्ला नसरुद्दीन के चेहरे पर फैल जाता था । बुखारा की चिरपरिचित सड़कों, […]
मुल्ला नसरुद्दीन – भाग-3
Mulla Nasruddin ki kahaniya: बुखारा में मुल्ला नसरुद्दीन को न तो अपने रिश्तेदार मिले और न पुराने दोस्त। उसे अपने पिता का मकान भी नहीं मिला। वह मकान, जहाँ उसने जन्म लिया था। न वह छायादार बगीचा ही मिला, जहाँ सर्दी के मौसम में पेड़ों की पीली-पीली पत्तियाँ सरसराती हुई झूलती थीं। पके फल धरती […]
मुल्ला नसरुद्दीन – भाग-2
Mulla Nasruddin ki kahaniya: सवेरे तड़के अजान देने वालों ने मीनारों से फिर अजान दी। फाटक खुल गए और कारवाँ धीरे-धीरे शहर में दाखिल होने लगा। ऊँटों के गले में बँधी घंटियाँ धीरे-धीरे बजने लगीं। लेकिन फाटक में घुसते ही कारवाँ रुक गया। सामने की सड़क पहरेदारों से घिरी हुई थी। उनकी संख्या बहुत अधिक […]
मुल्ला नसरुद्दीन – भाग-1
Mulla Nasruddin ki kahaniya: शाम के सूरज की किरणें बुखारा शरीफ़ के अमीर के महल के कंगूरों और मस्जिदों की मीनारों को चूमकर अलविदा कह रही थीं। रात के क़दमों की धीमी आवाज़ दूर से आती सुनाई देने लगी थी।मुल्ला नसरुद्दीन ऊँटों के विशाल कारवाँ के पीछे-पीछे अपने सुख-दुख के एकमात्र साथी गधे की लगाम […]
