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पापी देवता : रानू शरण भाग-16

‘‘बाबा।’’ सुधा ने सावधानी बरतते हुए अगल- बगल आहट ली और कहा, ‘‘मेरी आंखों का आपरेशन कब होगा ?’’ उसका प्रश्न सुनकर बाबा मौन रह गये। कुछ समझ में नहीं आया कि क्या उत्तर दें। आंखों के आपरेशन के पक्ष में वह स्वयं भी नहीं थे। वो सोचते थे कि आंखों का आना सुधा के […]

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पापी देवता : रानू शरण भाग-15

आनन्द जोशी ने बिना एक पल गंवाए टैक्सी रोकी। ड्राइवर के पीछे सुधा को बैठाया, उसके बगल में बाबा भगतराम को। वह खुद ड्राइवर की बगल में बैठा। रास्ते में भगतराम ने उसे अपने जीवन की कठिनाइयों से परिचित कराया, परन्तु ऐसी कोई बात नहीं कही जिसके कारण आनन्द जोशी खुद को जिम्मेदार समझकर लज्जित […]

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पापी देवता : रानू शरण भाग-14

‘‘ऐसा लगता है जैसे…’’ सहसा पुलिस इंस्पेक्टर अपना अनुमान लगाते हुए सकुचाया। फिर बोला, ‘‘आप खुद ही एक पुलिस अधिकारी हैं।’’ ‘‘जी नहीं।’’ आनन्द जोशी ने साफ इंकार किया। बोला ‘‘मैं तो एक व्यापारी हूं पुलिस जैसी हरकत इसलिए करने लगता हूं क्योंकि अंग्रेजी की जासूसी किताबें आवश्कता से अधिक पढ़ चुका हूं।’’ पापी देवता […]

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पापी देवता : रानू शरण भाग-13

अदालत ने न्याय की एक प्रतिलिपि सुधा को भी भेजी थी इसलिए भगतराम जानते थे इंस्पेक्टर जोशी को सजा हो चुकी है। उसे उसके अनजाने अपराध का फल मिल चुका है। अब इस समय की परिस्थिति देखते हुए वह निर्णय नहीं कर सके कि उन्हें उनसे घृणा करनी चाहिए या नहीं। उन्होंने सुधा को देखा, […]

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पापी देवता : रानू शरण भाग-12

उसने लपककर स्टियरिंग पकड़ ली और पूरी ताकत से बाईं ओर घुमा दी। ऐसा करते समय उसके पग भी जमीन में रगड़ गये। परन्तु उसने स्टियरिंग नहीं छोड़ा। ड्राइवर उसका हाथ छुड़ाने का प्रयत्न कर रहा था। फिर भी उसकी पकड़ मजबूत थी। फलस्वरूप कार बाईं ओर मुड़कर तुरन्त ही सड़क के किनारे बनी नाली […]

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पापी देवता : रानू शरण भाग-11

दिल्ली। मौसम गुलाबी। हल्की-हल्की ठण्डक पड़ रही थी। सुबह के लगभग ग्यारह बजे थे। आनन्द जोशी ने अपने बंगले के मुख्य द्वार पर पहुंचकर एक गहरी सांस ली और फिर पल भर रुककर खड़े-खड़े एक उड़ती हुई दृष्टि से बंगले का वातावरण देखा। पुराने ढंग का बंगला। मोटी-मोटी कलकतिया खपरैल पर काई जम रही थी। […]

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पापी देवता : रानू शरण भाग-10

जब रात का अंधकार जेल की चहारदीवारी पर मौत का साय बनकर मंडराने लगता, जब आसपास की काल-कोठरियों के अपराधी सपनों में अपने निकटतम नातेदारों से मिलने की आशा में सो जाते तो उनमें सम्मिलित होकर वह भी एक पत्थर की बेंच पर लेट जाता। अपनी आंखें बंद कर लेता और किरण के वायदों पर […]

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पापी देवता : रानू शरण भाग-9

कचहरी ! मुकदमा ! मुकद्दमे के मध्य इंस्पेक्टर जोशी को नौकरी से ‘सस्पैन्ड’ कर दिया गया था। जब भी तारीख पड़ी, वह बराबर एक अपराधी के समान अदालत में आता रहा। परन्तु अदालत में सुधा को उसने एक बार भी नहीं देखा। अदालत ने सुधा को इस मुकदमे की सूचना भेज दी थी। पापी देवता […]

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पापी देवता : रानू शरण भाग-8

सुधा अचेत होकर फर्श पर गिरने लगी तो वह उसे संभालने का साहस भी नहीं कर सका। सुधा फर्श पर गिर चुकी थी-अचेत-उसके पगों के बिलकुल समीप। तब भी उसने कुछ नहीं कहा-केवल उसे देखता रहा। सुधा की दोनों हथेलियां रक्त से तर थीं। रक्त सूखकर धीरे-धीरे जमता जा रहा था। उसने देखा, सुधा की […]

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पापी देवता : रानू शरण भाग-7

मेरठ ! शाम के लगभग साढ़े सात बजे थे। शहर की एक अच्छी-भली सड़क पर काफी चहल-पहल थी क्योंकि दुकानें खुली हुई थीं। लोगों का आना-जाना लगा हुआ था। इसी सड़क पर धीरे-धीरे चलते हुए एक नवयुवक इधर-उधर यूं देख रहा था मानो उसे किसी की तलाश है। नवयुवक गोरा था-कद का लम्बा। सफेद कमीज […]

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