घटना उस वक्त की है, जब भारत परतंत्र था तथा उस पर अंग्रेजों का शासन था। लन्दन के एक छात्रवास में एक भारतीय विद्यार्थी को दिनदर्शिका में कुछ लिखते देख उसके एक आंग्ल सहपाठी ने पूछा, ‘यह क्या लिख रहे हो?’ ‘दिनदर्शिका,’ उस विद्यार्थी ने उत्तर दिया। ‘दिनदर्शिका? और वह भी अंग्रेजी में?’ ‘इसमें कौन-सी […]
Author Archives: डॉ. राजेन्द्र पटोरिया
गूंगेपन का कमाल – इंद्रधनुषी प्रेरक प्रसंग
एक गरीब किसान एक पेड़ से अपने घोड़े को बांधकर आराम कर रहा था। वहाँ एक अमीर आदमी अपना घोड़ा लेकर पहुँचा और उसे पेड़ से बांधने लगा। किसान ने कहा कि अपने घोड़े को यहाँ मत बांधो, घोड़ा बहुत उद्दंड है, वह उसे मार डालेगा। अमीर ने हठपूर्वक अपना घोड़ा उसी पेड़ से बांध […]
उत्तरदायित्व का प्रश्न – अनमोल प्रेरक प्रसंग
बात उन दिनों की है, जब विदर्भ, महाकोशल और छत्तीसगढ़ ‘सी पी।’ कहलाता था तथा डॉ. खरे उसके मुख्यमंत्री थे। पं- रविशंकर शुक्ल एवं उनके साथियों से जब डॉ. खरे का मतभेद हुआ, तो वर्धा में कांग्रेस कार्यकारिणी की एक जरूरी बैठक बुलायी गयी। उस समय यह समस्या उपस्थित हुई कि ऐसा व्यक्ति कौन है, […]
अच्छी सोच अच्छा फल – इंद्रधनुषी प्रेरक प्रसंग
किसी गाँव में एक व्यापारी के पास एक घोड़ा था। वह अपने बेटे से भी ज्यादा उसका ख्याल रखता था। उसका बेटा भी उस घोड़े को बहुत चाहता था। वे घोड़े पर सामान लादकर बाजार ले जाते और उसे बेचकर उधर से गाँववालों के उपयोग का सामान लेकर गाँव वापस आ जाते। समय के साथ-साथ […]
सही प्रार्थना – अनमोल प्रेरक प्रसंग
एक बालक ने किशोरावस्था में प्रार्थना करनी शुरू की – ‘या खुदा! मुझे शक्ति दो। मैं दुनिया को बदलना चाहता हूँ। मैं लोगों के दिल पर राज करना चाहता हूँ।’ कई वर्ष बीत गये। वह युवावस्था में पहुँच गया, परंतु प्रार्थना स्वीकृत नहीं हुई। उसने सोचा, क्यों न प्रार्थना के बोल बदलूं। अब वह प्रार्थना […]
भगवान खुद बाहर – इंद्रधनुषी प्रेरक प्रसंग
एक संपन्न लोगों की बस्ती में एक बेहद भव्य मंदिर था। एक दिन उसके पुजारी ने देखा कि एक फटेहाल व्यक्ति मंदिर की सीढ़ियां चढ़ रहा था। उस समय वहाँ प्रार्थना चल रही थी, बस्ती के गणमान्य व्यक्ति वहाँ मौजूद थे। वहाँ फटेहाल व्यक्ति के आने से प्रार्थना सभा का माहौल तनावमय हो जाएगा, पुजारी […]
दूसरों की मदद – अनमोल प्रेरक प्रसंग
ईश्वर जो करता है सदा ही अच्छा करता है। इसमें जिस व्यक्ति का विश्वास हो जाए उसके अनेक बिगड़े काम भी स्वतः सुधर जाते हैं। न सुधरने पर उसे दुःख महसूस नहीं होता। वह लाभ तथा हानि, दोनों अवस्थाओं में प्रसन्न रहता है। इसे ईश्वर की इच्छा मानता है। संत नजीर भी ऐसे ही व्यक्ति […]
अंतर्मन को भी माँजो – अनमोल प्रेरक प्रसंग
स्वामी रामकृष्ण परमहंस का यह नियम था कि वह नित्य अपने लोटे को माँजा करते थे। उनके एक शिष्य के मन में विचार आया कि स्वामीजी नित्य ही लोटा माँजते हैं, इसमें कुछ-न-कुछ रहस्य जरूर है। एक दिन उसने उनसे पूछ ही लिया। तब रामकृष्ण परमहंस बोले, “बेटे ! यह लोटा नित्य माँजने पर भी […]
सही उपाय काम आया – इंद्रधनुषी प्रेरक प्रसंग
एक किसान समुद्र के किनारे खेती करता था। जहां भयंकर तूफान उठते रहते, जो उसकी फसलों को अक्सर नुकसान पहुँचाते। उसने सोचा कि वह हमेशा अपने खेत का ख्याल नहीं रख पाता, इसलिए एक सहायक रखना ठीक रहेगा। उसने इस मंतव्य से कई लोगों का साक्षात्कार लिया परंतु जिम्मेदारी की गंभीरता को देखते हुए कोई […]
सेवा के लिए अभिमान से रहें दूर – अनमोल प्रेरक प्रसंग
राजा हरिसिंह बेहद न्यायप्रिय और बुद्धिमान था। वह प्रजा का हर तरह से ध्यान रखता था। लेकिन कुछ दिनों से उसे स्वयं के कार्य से असंतुष्टि हो रही थी। हालांकि वह यह प्रयास करता था कि राजा होने का अभिमान न पाले पर कुछ दिनों से यश व धन की वर्षा ने उसके चंचल मन […]
